कोरोनावायरस को कवर करना: पत्रकारों के लिए एक ऑनलाइन कोर्स - First Draft
First Draft uses cookies to distinguish you from other users of our website. They allow us to recognise users over multiple visits, and to collect basic data about your use of the website. Cookies help us provide you with a good experience when you browse our website and also allows us to improve our site. Check our cookie policy to read more. Cookie Policy.

This website is hosted in perpetuity by the Internet Archive.

कोरोनावायरस को कवर करना: पत्रकारों के लिए एक ऑनलाइन कोर्स

*इस पाठ्यक्रम , जो मार्च 2020 में इस महामारी के बीच लिखा गया था ,अब भी बहुत प्रासंगिक हैं।

कोरोनावायरस के तीव्र प्रसार के साथ-साथ, एक ‘सूचना-महामारी’ भी फैल रही है। रोग, उसके फैलने के तरीके, और उसके विरुद्ध स्वयं की सुरक्षा करने के तरीकों से संबंधित भ्रामक या गलत सूचनाएं, स्वयं वायरस से अधिक तेजी से फैल रही हैं।

चाहे लोगों द्वारा नकली उपचारोंको आगे बढ़ाना हो, विपक्षी सरकारों को कमजोर बनाने के लिएषडयंत्र सिद्धांतों का उपयोग हो,  गलत लक्षण हों या मजेदार मीम्स, गलत-सूचना हमारे समाज में विश्वास घटाती है और घबराहट बढ़ाती है। यह जटिल डिजिटल परिवेश कंटेंट रचनाकारों, प्रौद्योगिकीविदों, नीति विधायकों, शोधकर्ताओं, अध्यापकों, एवं पत्रकारों के लिए चुनौतियां प्रस्तुत करता है। पर हम साथ मिलकर कार्य करते हुए उनका मुकाबला कर सकते हैं।

इस कोर्स का उपयोग कैसे करें

हम जानते हैं कि यदि इस समय आप पत्रकार हैं, तो आप काफी व्यस्त होंगे । शायद आपको भोजन करने का भी समय ना मिल रहा हो। हमने कोर्स को एक ‘अल्पाहार’ की तरह बनाया है।

हमने वीडियो को यथासंभव छोटा बनाया है। कुछ वीडियो 10 मिनट की हैं, वहीं अधिकांश वीडियो 2-3 मिनट के हैं। हम नीचे दिए गए टेक्स्ट में प्रमुख सूचना को दोहराए भी हैं, ताकि आपके पास वीडियो देखने का समय ना होने की स्थिति में आप उसे पढ़ सकें।

इस कोर्स में मुख्य रूप से चार विषय हैं, और प्रत्येक मॉड्यूल में इन चार विषयों में से किसी एक का लेबेल लगाया गया है।

1) संक्षिप्त विवरण: इन मॉड्यूल्स में परिभाषाओं एवं रूपरेखाओं पर फोकस किया गया है। इस अनुभाग में अच्छी खासी सूचना दी गई है, लेकिन इसमें कुछ सुझाव और युक्तियां भी हैं। इसमें आपको सूचना अव्यवस्था को समझने, और इसे कोरोनावायरस पर लागू करने में सहायता करने के लिए बनाया गया है।

2) मॉनिटरिंग: यह अनुभाग इन कामों में आपकी सहायता करने इसलिए बनाया गया है — चाहे आप वायरस से जुड़ी सभी गुणवत्तापरक सूचना खोजने की तकनीकी जानना चाहते हों, चाहे आप षड्यंत्रों एवं अफवाहों पर नज़र रखना चाहते हों, अथवा यदि आप इन्टरनेट पर वायरस से अपने व्यक्तिगत अनुभव शेयर करने वाले लोगों को खोज रहे हों। आप प्लेटफॉर्म के अनुसार मॉड्यूल को चुन सकते हैं। हो सकता है कि आप TikTok या Instagram पर खोज करने में कुछ सहायता चाहते हों, अथवा शायद आपको Twitter List सेटअप करने के बारे में कुछ बुनियादी जानकारी चाहिए हो। हमने सभी चीजों को अलग-अलग रखा है, ताकि उन्हें पाना आपके लिए आसान हो।

3) वैरीफिकेशन: यह अनुभाग इसलिए तैयार किया गया है ताकि इमेज या वीडियो को वैरीफाई करने अथवा किसी व्यक्ति के डिजिटल फुटप्रिंट की जांच-पड़ताल करने का तकनीकी ज्ञान आपको दिया जा सके। हमारी केस स्टडी देखें, जिसमें हमने समझाया है कि सोशल मीडिया पर मिलने वाले एक वीडियो को हमने कैसे वैरीफाई किया है।

4) रिपोर्टिंग: यह अनुभाग इसलिए बनाया गया है ताकि आपको हेडलाइन में सही शब्दों का प्रयोग करने, सही इमेज चुनने, और आपकी रिपोर्टिंग को इस तरीके से फ्रेम करने में सहायता की जाए, जिससे गलत-सूचना के फैलाव को धीमा किया जा सके। आप किस तरह से ‘डेटा वॉयड’ भर सकते हैं, और आपके पाठकों के प्रश्नों का कैसे उत्तर दे सकते हैं? इसके अंत में एक रिमाइंडर है कि यह रिपोर्टिंग करने के दौरान अपने आप का और अपने स्रोतों का ध्यान रखें।

इसमें एक शब्दकोश एवं पाठ्य सूची भी है, जिसे आप कोर्स के दौरान किसी भी समय देख सकते हैं।

हमने यह कोर्स इस तरह से तैयार किया है कि आप अपनी सुविधा के अनुसार सीखने की गति रख सकते हैं। हमें आशा है कि कोरोनावायरस संकट के दौरान विश्वसनीय कवरेज तैयार करने में यह कोर्स आपके लिए एक मूल्यवान मार्गदर्शिका साबित होगा।

नवीनतम समाचार एवं सूचना के लिए firstdraftnews.org को फॉलो करना जारी रखें। खासतौर पर हमारा रिपोर्टर्स के लिए संसाधन अनुभाग, जिसे नियमित तौर पर नए टूल्स, मार्गदर्शिकाओं, परामर्श, प्राय: पूछे जाने वाले प्रश्नों, वेबिनार, तथा अन्य सामग्रियों से अपडेट किया जाता है, ताकि सूचित निर्णय लेने में और विश्वसनीय कवरेज तैयार करने में आपकी सहायता की जा सके।

 

विहंगावलोकन

गलत-सूचना क्यों मायने रखती है

मनुष्य को प्राकृतिक रूप से गपबाजी में रुचि होती है। मनोवैज्ञानिकों ने दर्शाया है कि मानव के लिए गपबाजी कुछ वैसा ही है जैसी हरकतें गोरिल्ला अपने समूह में करते हैं, लेकिन वे एक दूसरे की जुएं खोजते हैं, और वहीं हम सूचना को साझा करने के द्वारा एक दूसरे से जुड़ते हैं। अफवाह, षड्यंत्र सिद्धांत (कॉन्सपायरेसी थ्योरी), तथा मनगढ़ंत खबर कुछ नयी बात नहीं है। पर्सनलाइज्ड डिजिटल फीड से पहले के दौर में अफवाहें बहुत अधिक दूर तक नहीं जा पाती थीं।  वर्तमान समय में भ्रामक सूचना या सोची-समझी अफवाह कुछ ही सेकेंड में एक देश से दूसरे देश तक फैल सकती है। और आज हम जिस कठिन समय से गुज़र रहे हैं, उसमें यह एक बहुत गम्भीर समस्या हो सकती है।

लोग किसी चीज को शेयर क्यों करते हैं?

भय एवं प्रेम दो शक्तिशाली कारण होते हैं। आज हम एक वैश्विक महामारी का सामना कर रहे हैं, ऐसे में लोग किसी सूचना को केवल इसलिए शेयर करते हैं क्योंकि वे भयभीत हैं और वे अपने प्रियजनों को सुरक्षित रखना चाहते हैं, दूसरों की सहायता करना चाहते हैं और उन्हें सतर्क करना चाहते हैं। न्यूरोसाइंटिस्टों ने यह दर्शाया है कि हम अपनी भावनाओं पर असर करने वाली सूचना को अधिक अच्छे से याद रख सकते हैं

F*** News – यह एक चार अक्षर का शब्द है

“F*** news” बहुत ही व्यापक रूप से प्रयोग किया जाने वाला शब्द बन गया है, और इसमें बहुत कुछ समाहित है। समस्या यह है कि यह हमें इन्टरनेट पर मिलने वाली सूचना के समस्त विस्तार को नहीं वर्णित करता है। सूचना बाइनेरी नहीं होती है। यह नकली या जो नकली न हों – इसके बीच की एक पसंद नहीं है। इस शब्द को राजनेताओं द्वारा एक हथियार के रूप में भी प्रयोग किया जा सकता है और वे जिन न्यूज आउटलेट से असहमत होते हैं, वे इस शब्द का प्रयोग करके उनसे पीछा छुड़ा सकते हैं।

ह्यूगो मर्सियर एवं डैन स्पेरबर ने अपनी पुस्तक  The Enigma of Reason (2018), में समझाया है कि हम सामाजिक गतिविधि के आधार पर और मौजूदा पहचान एवं विश्वासों की बुनियाद पर किसी चीज को “सच” मानते हैं, बजाय किसी पृथक सोच-विचार के माध्यम से। जब किसी चीज को “f*** news” कहा जाता है, तो लोग तथ्य के बजाय पहचान के आधार पर चुनते हैं: यदि आप मुझ पर भरोसा करते हैं तो आप मेरी टीम में हैं, नहीं तो आप शत्रु हैं। यह एक ऐसा समय है जब हमारे द्वारा शेयर की जाने वाली सूचना से लोगों के जीवन और मौत का सवाल हो सकता है, ऐसे में पत्रकारों एवं कम्युनिकेटर्स की भूमिका पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण हो गई है।

संदर्भ को हथियार के रूप में प्रयोग किया जाना

संदर्भ को हथियार के रूप में प्रयोग किए जाने की घटना में बढ़ोत्तरी देख रहे हैं। ऐसे में  ही वास्तविक खबर में छेड़छाड़ करके उसे नया रूप दिया जाता है। कोई ऐसी चीज में सच्चाई का कुछ अंश होता है, उसके द्वारा लोगों का विश्वास जीतने और उन्हें अपने साथ जोड़ने की अधिक सम्भावना होती है।

आंशिक रूप से ऐसा इसलिए है क्योंकि अब आप सोशल प्लेटफॉर्म उनके उपयोगकर्ताओं को मैनीप्युलेट करने के प्रति काफी कठोर बनते जा रहे हैं। वे अब संदेहपूर्ण खातों को बंद कर रहे हैं और भ्रामक विषय (सामग्री) के प्रति अधिक आक्रामक होते जा रहे हैं (उदाहरण के लिए Facebook का थर्ड-पार्टी फैक्ट-चेकिंग प्रोजेक्ट), तो ऐसे में गलत-सूचना फैलाने वाले लोगों ने वास्तविक खबर को प्रयोग करने का तरीका खोजा है, लेकिन उसे वे नए और भ्रामक तरीकों से नया रूप देते हैं, जिसके चलते आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर आधारित मॉडरेशन सिस्टम के लिए उनकी पहचान करना कठिन हो जाता है।  ऐसे मामलों में कुछ सामग्रियां फैक्ट-चेकिंग के लिए अयोग्य मान ली जाती हैं।

तो आइए एक बार पुनरावृत्ति करते हैं, आज हमें पहले से कहीं अधिक सतर्क होने और यह समझने की जरूरत है कि गलत-सूचना क्यों फैलती है, ताकि हम एकसाथ काम करके यह सुनिश्चित कर सकें कि सूचना का साझाकरण एक सकारात्मक शक्ति बनी रहे।

सूचना अव्यवस्था को समझने के लिए एक रूपरेखा

सूचना अव्यवस्था को समझने क लिए हमें यह समझने की आवश्यकता है कि किस तरह की भिन्न प्रकार सामग्रियां बनायी एवं शेयर की जा रही हैं, उन्हें बनाने वाले लोगों के पास क्या कारण (मोटिवेशन) है, और यह कैसे फैलती है।

हम इसके बारे में कैसे बात करते हैं, उसके लिए एक आम भाषा महत्वपूर्ण है।  हम  प्रत्येक तरह की कंटेंट के लिए सबसे उपयुक्त शब्दों का प्रयोग करने का सुझाव देते हैं; चाहे वह प्रोपागंडा हो, झूठ हो, षड्यंत्र हो, अफवाह हो, होक्स हो, अतिपक्षपाती कंटेंट हो, झूठ हो या मैनीप्युलेटेड मीडिया हो। साथ ही हम गलत-सूचना, दुष्प्रचार या कुसूचना के लिए व्यापक शब्दों के प्रयोग को प्राथमिकता देते हैं (नीचे देखें)। सामूहिक रूप से हम इसे सूचना अव्यवस्था कहते हैं (वर्ष 2017 में क्लेयर वार्डल एवं हॉसेन डेरकशैन द्वारा लिखित एक रिपोर्ट के आधार पर)।

दुष्प्रचार

जब लोग पैसे कमाने के लिए, राजनीतिक प्रभाव डालने के लिए, अथवा दुर्भावनापूर्ण तरीके से समस्या या नुकसान करने के लिए झूठी या भ्रामक सूचना क्रिएट करते हैं।

गलत-सूचना

जब लोग किसी दुष्प्रचार को शेयर करते हैं, लेकिन उन्हें यह जानकारी नहीं होती है कि वह झूठा या भ्रामक है, क्योंकि प्राय: वे सहायता करने का प्रयास कर रहे होते हैं।

कुसूचना

जब लोग कोई सही सूचना हानि पहुंचाने के उद्देश्य से शेयर करते हैं। यह व्यक्तिगत विवरण, रिवेंज पोर्न या लीक्ड ईमेल हो सकता है, जिसका उद्देश्य किसी की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाना हो सकता है।

यह कंटेंट कैसे फैलती है, उसकी एक आम समझ होना भी महत्वपूर्ण है। इसे:

  • सोशल मीडिया पर लोगों द्वारा बेइरादा शेयर किया जा सकता है, जांच किए बिना रिट्वीट पर क्लिक किया जा सकता है।
  • इसे ऐसे पत्रकारों द्वारा एम्प्लीफाई किया जा सकता है जिनके पास पहले से ही काम का बहुत अधिक दबाव होता है, और उन्हें रियल टाइम में सोशल वेब पर सामने आने वाली सूचना की रिपोर्ट करना होता है।
  • इसे ढीले तरीके से कनेक्टेड समूहों द्वारा फैलाया जा सकता है जो सार्वजनिक मत को जानबूझकर प्रभावित करने का प्रयास कर रहे हैं।
  • इसे बॉट नेटवर्क एवं ट्रॉल फैक्टरी के माध्यम से एक अत्याधुनिक दुष्प्रचार अभियान के हिस्से के रूप में फैलाया जा सकता है।

जैसे हम इससे निपटने के लिए मिलकर काम करेंगे, सूचना अव्यवहार की यह सामान्य समझ महत्वपूर्ण होगी ।

सूचना अव्यवस्था के सात सबसे आम प्रकार

सूचना अव्यवस्था के अति-व्यापक प्रकारों (गलत-सूचना, दुष्प्रचार, एवं कुसूचना) के अन्दर हम सार प्रमुख श्रेणियों को भी देखेंगे:

  1. व्यंग्य
  2. झूठा कनेक्शन
  3. भ्रामक विषय
  4. ढोंगपूर्ण खबर (इम्पोस्टर सामग्री)
  5. गलत संदर्भ
  6. हेरफेर की गई बातें
  7. मनगढ़ंत खबर

ये हमें इस तंत्र की जटिलताओं, तथा सच एवं झूठ के बीच में मौजूद आंशिक सच-झूठ (शेड्स ऑफ ग्रे) को समझने में सहायता करते हैं। इनका एक पूरा स्पेक्ट्रम है, और किसी विशिष्ट प्रकार की खबर पर एक से अधिक श्रेणियां लागू हो सकती हैं।|

1. व्यंग्य

व्यंग्य निश्चित रूप से एक स्वस्थ लोकतंत्र का चिह्न है। यह सरकार के सामने सच बोलने का एक शक्तिशाली कलात्मक रूप है, तथा ऐसा करने के दौरान यह पारम्परिक पत्रकारिता से अधिक प्रभावी हो सकता है। एक अच्छा व्यंग्यकार असहज सच्चाइयों को बढ़ा-चढ़ाकर बताता है और उन पर प्रकाश डालता है, और उसे उपहासपूर्ण चरम तक ले जाता है। वे यह काम इस तरह से करते हैं कि ऑडिएन्स के मन में कोई संदेह नहीं होता है कि क्या चीज सच है और क्या चीज सच नहीं है। ऑडिएन्स सच को पहचानती है, वह बढ़ा-चढ़ाकर बताई बात को पहचानती है, और इसलिए मजाक को पहचानती है।

वर्तमान समय में सूचना अव्यवस्था के दौर में समस्या यह है कि सटायर (व्यंग्य) को रणनीतिक तरीके से इस प्रकार प्रयोग किया जा सकता है कि यह फैक्ट-चेकर (तथ्यों की जांचकर्ता) की आंखों में धूल झोंक सकता है और अफवाहें एवं षडयंत्र (कॉन्सपायरेसी) का प्रचार-प्रसार जारी रख सकता है। यदि आपके ऊपर अफवाह फैलाने का आरोप लगाया जाए, तो आप कह सकते हैं कि मैं तो मजाक में कह रहा था। “यह केवल एक मजाक था” यह वाक्य भ्रामक खबर फैलाने के लिए एक बहाने के रूप में प्रयोग किया जा सकता है।

सटायर (व्यंग्य) एक शक्तिशाली साधन हो सकता है, क्योंकि इन्टरनेट पर इसे जितना अधिक शेयर किया जाएगा – वास्तविक संदर्भ उतना ही नजर से दूर होता जाएगा। सोशल मीडिया पर ह्यूरिस्टिक्स (किसी बात को समझने के लिए हम जो मानसिक शॉर्टकट का प्रयोग करते हैं) नहीं होता है। एक अखबार में आप समझते हैं कि आप कौन सा सेक्शन पढ़ रहे हैं। आप जानते हैं कि आप वैचारिकी पढ़ रहे हैं या कार्टून देख रहे हैं। लेकिन इन्टरनेट पर ऐसा नहीं होता है।

उदाहरण के लिए, शायद आप अमेरिका की एक लोकप्रिय व्यंग्यात्मक वेबसाइट दि ओनियन को जानते हों। लेकिन आपको ऐसी कितनी वेबसाइट पता है? Wikipedia के व्यंग्यात्मक समाचार साइट वाले पेज में El Deforma, का नाम शामिल नहीं है, जो कि दी ओनियन को मैक्सिकन संस्करण है अथवा इसमें Revista Barcelona, का नाम भी नहीं शामिल है जो कि अर्जेन्टीना की एक व्यंग्यात्मक राजनीतिक पत्रिका है। और प्राय: जब कोई खबर फैल जाती है, तो बहुत ही जल्दी उसका उसके असली मैसेन्जर से नाता टूट जाता है, और उसे स्क्रीनशॉट या मीम के रूप में प्रयोग किया जाने लगता है।

2. झूठा कनेक्शन

सूचना अव्यवस्था के बारे में परिचर्चा के हिस्से के रूप में कंटेंट क्रिएटर्स, पत्रकारों एवं ब्लॉगर्स के लिए यह पहचानना आवश्यक है कि सम्भावित रूप से समस्याप्रद सामग्री की रचना करने में उनकी क्या भूमिका है।

आइए क्लिकबेट शब्द के बारे में बात करते हैं। क्लिकबेट – आमतौर पर कोई हेडलाइन या फोटो – होते हैं, जिसे इस तरह से बनाया गया होता है कि पाठक उसे देखने के बाद तुरन्त ही हाइपरलिंक पर क्लिक करे, विशेष तौर पर जब वह लिंक संदेहपूर्ण कंटेंट वाली पर ले जाता हो। ‘झूठा कनेक्शन’ सूचना अव्यवस्था का एक रूप है। जब हम क्लिक पाने के लिए सनसनीखेज भाषा का प्रयोग करते हैं, जिसमें साइट पर जाने वाले पाठकों को वैसा कुछ नहीं मिलता है – यह एक तरह का प्रदूषण है।

प्राय: एक हेडलाइन की शक्ति से इस बात का फ़र्क़ पड़ता है कि एक और जहां कुछ ही सबस्क्राइबर किसी पोस्ट को पढ़ें, और दूसरी ओर वह काफी अधिक पाठकों के बीच में फैल जाए। पोस्ट एवं समाचार लेखों को पाठकों का ध्यान आकर्षित करने के लिए कैट GIFs एवं Netflix के साथ प्रतिस्पर्धा करना पड़ता है।

स्रोत: thesciencepost.com

उदाहरण के लिए, व्यंग्यात्मक समाचार वेबसाइट दि साइंस ने एक लेख प्रकाशित किया, जिसका शीर्षक था   अध्ययन: 70% फेसबुक उपयोगकर्ता ने केवल हेडलाइन ही पढ़ते हैं। वर्ष 2018 में विज्ञान लेखों पर टिप्पणी करने से पहले । इस लेख के बॉडी कॉपी में कोई वास्तविक टेक्स्ट नहीं था, बल्कि प्लेसहोल्डर के रूप में “लॉरेम इप्सम” के पैराग्राफ थे। लेकिन आप यह तभी जान पाते जब आप इस पर क्लिक करके इसे पढ़ते । इसे 125,000 से अधिक बार शेयर किया गया था, और यह हेडलाइन की बात की साबित करता था। अधिकांश लोग किसी चीज पर क्लिक करके पढ़े बिना ही उसे शेयर कर देते हैं।

उसके बाद, कोलम्बिया विश्वविद्यालय एवं फ्रेंच नेशनल इंस्टीट्यूट (Inria) के शोधकर्ताओं ने पाया कि हम जिन लोगों को फॉलो करते हैं उनके द्वारा क्यूरेट की गई चीजों को पढ़ने की अधिक सम्भावना होती है। अध्ययन के अनुसार – हमारे मित्र एवं परिवार सोशल मीडिया पर जो पोस्ट या शेयर करते हैं, उसे ‘रीडर रेफरल्स’ कहते हैं, और ट्विटर पर न्यूज स्टोर क्लिक में उनका 61% योगदान होता है। शोधकर्ताओं ने यह भी पाया कि शेयर किए गए लिंक में से 59% लिंक को पहले खोला ही नहीं गया था – अर्थात लोगों ने हेडलाइन से आगे पढ़े बिना ही उसे शेयर कर दिया।

अध्ययन Inria के एक सहलेखक अरनॉड लेगाउट के अनुसार “हम किसी लिख को पढ़ने की तुलना में उसे साझा करने में अधिक इच्छुक रहते हैं”। ट्रैफिक एवं क्लिक की जरूरत का अर्थ यह है कि क्लिकबेट तकनीक के दूर होने की कम ही सम्भावना है, लेकिन ट्रैफिक पाने के लिए ध्रुवीकरण वाली और भावनात्मक भाषा का प्रयोग करने के चलते गम्भीर और गहरी समस्याएं हो सकती हैं। वैसे इन तकनीकों का प्रयोग करके अल्पकाल में ट्रैफिक तो पाया जा सकता है, लेकिन नि:संदेह दीर्घकाल में इसके चलते इन्टरनेट पर मौजूद सामग्री के प्रति लोगों के विश्वास पर गहरा नकारात्मक असर पड़ेगा।

3. भ्रामक विषय

‘भ्रामक’ क्या है, इसे परिभाषित करना कठिन हो सकता है। यह संदर्भ और सूक्ष्म अन्तर का विषय है: किसी उद्धरण के कितने भाग को हटाया गया है? क्या डेटा में छेड़छाड़ की गई है? क्या फोटो इस प्रकार से क्रॉप किया गया है कि उसका मतलब कुछ और ही निकल रहा है?

कुछ आम तकनीकों में शामिल है: हेडलाइन में स्टोरी को रीफ्रेम करना, किसी व्यापक बिंदु को सपोर्ट करने के लिए किसी व्यक्ति की बात के एक विशेष भाग का प्रयोग करना, किसी आंकड़े को इस प्रकार से बताना जो किसी विशेष बात के पक्ष में हो, अथवा किसी चीज को इसलिए कवर ना करना क्योंकि उसके चलते दलील कमजोर हो जाती।

इन्हीं जटिलताओं के चलते आर्टिफीशियल इंटेलिजेन्स को इस प्रकार की सामग्री को फ्लैग करने की स्थिति में पहुंचने में काफी समय लगेगा। कम्प्यूटर सही और गलत समझते हैं, लेकिन ‘भ्रामक’ एक संदेहास्पद विषय है। कम्प्यूटर को किसी मूल कंटेंट (कोटेशन, स्टैस्टिसस्टिक्स अथवा इमेज) को समझना है, उसके हिस्से को पहचानना है और उसके बाद निष्कर्ष निकालना है कि क्या उस हिस्से के चलते मूल कंटेंट का कुछ और भी मतलब निकल रहा है?

 Reuters Institute के वर्ष 2020 के लिए मीडिया एवं टेक्नोलॉजी ट्रेंड्स एवं प्रिडिक्शन, के अनुसार 85% लोगों का मानना है कि झूठ और अर्द्ध-सत्य को सामने लाने के लिए मीडिया को अधिक प्रयास करने चाहिए। सनसनीखेज अतिपक्षपाती सामग्री तथा किसी मुद्दे को रीफ्रेम करने वाले आंशिक रूप से भ्रामक कैप्शन के बीच में महत्वपूर्ण अन्तर है। लेकिन चूंकि मीडिया के प्रति लोगों का विश्वास बहुत कम हो गया है, ऐसे में पहले जिस भ्रामक विषय को हानिरहित माना जाता था, उस पर अब दूसरे तरीके से विचार किया जाना चाहिए।

4. ढोंगपूर्ण खबर (इम्पोस्टर सामग्री)

किसी सूचना को समझने में हमारी सहायता करने के लिए हमारा मस्तिष्क हमेशा ह्यूरिस्टिक्स (मानसिक शॉर्टकट) की खोज करता रहता है। किसी अच्छी तरह से परिचित ब्रान्ड को देखना एक बहुत ही शक्तिशाली ह्यूरिस्टिक्स है। हम जिसे जानते हैं उस पर भरोसा करते हैं और उसे विश्वसनीयता देते हैं। ढोंगपूर्ण खबर (इम्पोस्टर सामग्री) ऐसी झूठी या भ्रामक विषय होते हैं – जिसके बारे में यह दावा किया जाता है कि वह किसी स्थापित व्यक्ति, ब्रान्ड, संगठन और यहां तक कि पत्रकार द्वारा की गई है।

लोग अपने दैनिक जीवन में जितनी सूचना ग्रहण करते हैं, यहां तक कि केवल अपने फोन से, उसका अर्थ है कि ह्यूरिस्टिक्स और भी अधिक शक्तिशाली बन जाती है। हमें विशेष सेलीब्रिटीज, ब्रांड्स, संगठनों एवं मीडिया आउटलेट पर जो विश्वास होता है, उसे मैनीप्युलेट किया जा सकता है, और हमारे साथ गलत सूचना शेयर की जा सकती है।

5. गलत संदर्भ

इस श्रेणी का प्रयोग ऐसी सामग्री को वर्णित करने के लिए किया जाता है, जो वैसे तो वास्तविक है, लेकिन उसे खतरनाक तरीके से रीफ्रेम किया गया होता है। इस प्रकार की गलत-सूचना सबसे अधिक दिखाई पड़ती है, और इसे प्रोड्यूस करना बहुत आसान है। इसमें बस कोई इमेज, वीडियो या पुरानी न्यूज स्टोरी खोजनी होती है, और उसे किसी नए नरैटिव के साथ पुनःशेयर कर दिया जाता है।

‘वुहान’ बाजार

जनवरी 2020 में कोरोनावायरस प्रकोप के बादसबसे पहले वायरल होने वाले वीडियो में से एक में दिखाया जाता है कि बाजार में चमगादड़, चूहे, सांप, तथा अन्य पशुओं के मांस उत्पाद बेचे जा रहे हैं। इस वीडियो के भिन्न संस्करणों को इन्टरनेट पर शेयर किया गया था, जो इसे चीन के वुहान शहर से होने का दावा कर रहे थे, जहां से वायरस की शुरुआत हुई थी। इस वीडियो को मूल रूप से जुलाई 2019 में अपलोड किया गया था, और इसे इंडोनेशिया के लैंगोवन मार्केट में शूट किया गया था। हालांकि इस वीडियो को इन्टरनेट पर बहुत अधिक शेयर किया गया, क्योंकि यह लोगों के चीन-विरोधी मनोभावों एवं पूर्व-धारणाओं की कसौटी पर खरा उतरता था।

6. हेरफेर की गई बातें

हेरफेर की गई बातें वह होता हैं, जिसमें किसी वास्तविक चीज में छेड़छाड़ की जाती है। इसमें कंटेंट पूरी तरह से काल्पिक या मनगढ़ंत नहीं होती है बल्कि उसमें छेड़छाड़ करके नरैटिव बदल दिया जाता है। यह काम फोटो और इमेज के साथ सबसे अधिक किया जाता है। इस प्रकार के हेरफेर में इस बात का फायदा उठाया जाता है कि अधिकांश लोग अपने फोन की छोटी स्क्रीन पर कं टेंटको जल्दबाजी में स्क्रॉल करते समय इमेज देखते हैं। ऐसे में उस कंटेंट को बहुत परिष्कृत या परफेक्ट होने की जरूरत नहीं होती है। इसका काम केवल एक नरैटिव सेट करना होता है, और इसे बस ‘असली’ जैसा दिखना होता है, ताकि लोग 2 या 3 सेकेंड में निर्णय ले सकें कि इसे शेयर करना है या नहीं।

साइनो-सूडानी विजिट

3, फरवरी 2020 को सूडान के विदेश मामलों के मंत्री और सूडान के चीनी अम्बेसडर ने  मुलाकात करके कोरोनावायरस प्रकोप के बारे में चर्चा किया

अगले कुछ सप्ताहों में उस बैठक की फोटोग्राफ में फोटोशॉप से फेरबदल करके यह दिखाया गया कि सूडानी मंत्री एक फेसमास्क पहने हुए थे। इन इमेजेज को सोशल मीडिया पर बहुत व्यापक स्तर पर शेयर किया गया था, जिसमें ऐसी टिप्पणियां की गई थीं “अफ्रीकी लोग चीनियों के साथ किसी तरह का चांस नहीं लेना चाहते”।

7. मनगढ़ंत खबर

मनगढ़ंत खबर कोई भी ऐसी चीज है जो 100% झूठी है। यह स्पेक्ट्रम का अन्तिम छोर है, और यह एकमात्र ऐसी सामग्री है जिसे हम वास्तव में “फेक (झूठ)” कह सकते हैं। स्टेज्ड वीडियो, मेडअप वेबसाइट और पूरी तरह से फैब्रिकेटैड दस्तावेज इस श्रेणी में आते हैं।

इनमें से कुछ चीजों को हम ‘सिन्थेटिक मीडिया’ या ‘डीप फेक’ कहते हैं। सिंथेटिक मीडिया एक व्यापक शब्द है, इसका प्रयोग – आर्टिफीशियल इंटेलिजेन्स का करके बनाए जाने वाले फैब्रिकेटेड मीडिया के लिए किया जाता है।  किसी मौजूदा वीडियो अथवा ऑडियो के विभिन्न एलिमेन्ट्स को मिलाकर, आर्टिफीशियल इंटेलिजेन्स अपेक्षाकृत आसानी से ‘नई’ सामग्री बना सकता है, जिसमें लोग ऐसी बातें कहते या ऐसे काम करते हुए दिखते हैं जो वास्तव में कभी हुआ ही नहीं था।

 वर्ष 2018 की इस वीडियो में, कॉमेडियन जॉर्डन पीले ने एआई टेक्नोलॉजी का प्रयोग करके ऐसा दर्शाया कि जैसे कि बराक ओबामा कैमरा के सामने बोल रहे हों। यह कोई नई टेक्नोलॉजी नहीं है, फिल्म जगत में इसे बहुत लंबे समय से प्रयोग करके पात्रों को जीवंत बनाया जा रहा है, लॉर्ड ऑफ दि रिंग्स ट्रायोलॉजी में गोलम से लेकर रोग वन में नवयुवती प्रिंसेज लीला तक के लिए इसका प्रयोग किया गया है। वर्तमान समय में इस टेक्नोलॉजी का बहुत अधिक प्रयोग सहमतिरहित पोर्नोग्राफी बनाने के लिए किया जाता है, यहां तक कि फुल बॉडी अवतार बनाकर मानव शरीर के प्रत्येक पहलू को नियंत्रित किया जा रहा है।

इस समय सिन्थेटिक मीडिया अपने शैशवास्था में है। उदाहरण के लिए छोटी गलतियों एवं मिसमैच के कारण सिन्थेटिक चेहरों को अभी भी पहचाना जा सकता है। हालांकि, इस बात की सम्भावना है कि यह तकनीक अधिक विकसित हो जाने पर हमलोग दुष्प्रचार अभियान में इसका अधिक व्यापक स्तर पर प्रयोग किए जाने के उदाहरण देखेंगे। हालांकि इन जोखिमों से निपटने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं, वैज्ञानिक इस प्रकार के “डीप फेक” की पहचान करने में हमारी सहायता के लिए समाधान विकसित कर रहे हैं, उदाहरण के लिए यह देखकर के वीडियो में मौजूद व्यक्ति कितनी बार पलकें झपका रहा है

कोरोनावायरस से सम्बन्धित गलत-सूचना की चार मुख्य विषय

गलत-सूचना की चार विशेष श्रेणियां कोरोनावायरस के मामले में सामने आ रही हैं। ये सोशल मीडिया और क्लोज्ड मैसेजिंग ऐप के माध्यम से वायरस के पैटर्न पर ही फैल रही हैं, और संकट बढ़ने के साथ प्रत्येक देश तक पहुंच रही हैं।

गलत-सूचना के चार मुख्य प्रकार:

1. वायरस कहां से आया, इसके बारे में षडयंत्र (कॉन्सपायरेसी)
2. वायरस कैसे फैलता है, इसके बारे में गलत-सूचना
3. लक्षणों एवं उपचार के बारे में झूठी एवं भ्रामक सूचना
4. प्राधिकरण एवं लोग कैसे प्रतिक्रिया कर रहे हैं, इसके बारे में अफवाह

यह कहां से आया

सत्यापित तथ्यों के अभाव में गलत-सूचना अधिक फैलती है। यह मानव प्रकृति है कि हम अपने पास पहले से मौजूद जानकारी के आधार पर नई सूचना को समझने का प्रयास करते हैं। तो जब चीनी अधिकारियों ने दिसम्बर में WHO को कोरोनावायरस के एक नए स्ट्रेन के बारे में रिपोर्ट किया था, तो सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं ने वायरस के उद्गम स्थान के बारे में अपने स्वयं के सिद्धांतों से सूचना के खालीपन को भर डाला।

षडयंत्र (कॉन्सपायरेसी) सिद्धांतकारों (थ्योरिस्ट) ने यह दावा किया कि जनसंख्या कम करने के ग्लोबलिस्ट एजेंडा के तहत इसे माइक्रोसॉफ्ट संस्थापक बिल गेट्स द्वारा लैब में बनाया गया। अथवा चीनी सरकार द्वारा यूनाइटेड स्टेट्स के विरुद्ध हथियार के रूप में बनाया गया। अथवा यूनाइटेड स्टेट्स द्वारा चीन के विरुद्ध हथियार के रूप में बनाया गया।

सबसे अधिक क्षतिकारी झूठ /गलत बात इंडोनेशिया के एक वीडियो से आया, जिसे जून 2019 में इन्टरनेट पर पोस्ट किया गया था। यह वीडियो काफी चौंका देने वाला था, क्योंकि इसमें विभिन्न प्रकार के वन्यजीवों जैसे चमगादड़ों, चूहों एवं बिल्लियों को पकाकर खाने को तैयार दिखाया गया था।

दर्जनों यूट्यूब उपयोगकर्ताओं ने इस क्लिप को डाउनलोड करके इसके शुरुआती कुछ सेकेंड को हटा दिया, जिसमें इसकी वास्तविक लोकेशन (लैंगोवन, इंडोनेशिया के सुलावेसी द्वीप पर) को हटाकर “वुहान मार्केट” जोड़ दिया।

बहुत सी अफवाहों की ही भांति यह सच्चाई के कुछ अंश पर आधारित था। वुहान की सीफूड मार्केट, जिसमें विभिन्न प्रकार के पशुओं को रखा गया था, इसे 1 जनवरी को बंद कर दिया गया था, और चीनी सरकार ने कोरोनावायरस के प्रति सीधे प्रतिक्रिया के रूप में फरवरी के उत्तरार्द्ध में ही जंगली पशुओं की बिक्री और उपभोग को प्रतिबंधित कर दिया था।

यह कैसे फैलता है

स्रोत: विश्व स्वास्थ्य संगठन

बहुत से झूठे दावों की जड़ काफी वास्तविक उलझन एवं भय में होती है। सोशल मीडिया की मुद्रा है भावना, और कोरोनावायरस के संकट में बहुत से उपयोगकर्ता लाइक एवं शेयर के लालच में ऐसी खबरें फैला रहे हैं जो उन्हें उपयोगी सलाह लग रही है।

यह विशेष रूप से सच है वायरस को संक्रामक बनाने वाले इसकी विशेषताओं के बारे में । WHO की वेबसाइट पर झूठे दावों का खंडन करने वाली बहुत सी सूचना मौजूद है, जिसमें ये शामिल हैं — गर्म मौसम और ठंडा मौसम दोनों ही कोरोनावायरस को मारता है (नहीं मारता), मच्छर इस रोग का संचार कर सकते हैं (नहीं कर सकते), तथा अल्ट्रावॉयलेट लैम्प आपकी त्वचा को स्टरलाइज करेगा (यह नहीं करेगा, लेकिन आपकी त्वचा को जला सकता है)।

एक उदाहरण में ऐसे दावे किए गए थे कि इटली का “पहला रोगी” एक अप्रवासी श्रमिक था, जिसने पॉजिटिव टेस्ट आने के बाद भी अपने आपको अलग रखने (सेल्फ आइसोलेट करने) से मना कर दिया था। पुनः, इसमें कुछ सच्चाई है। एक डिलीवरी ड्राइवर पर ठीक इसी बात के लिए फाइन लगाया गया था, लेकिन इस बात का कोई साक्ष्य नहीं है कि देश में वायरस उसके कारण फैला हो। लोग वायरस कैसे फैला रहे हैं, इस बारे में और भी बहुत सी दुर्भावनापूर्ण अफवाहें फैल रही हैं।

इसके पहले साउथम्पटन विश्वविद्यालय में WorldPop प्रोजेक्ट ने फरवरी में एक अध्ययन प्रकाशित किया था, जिसमें यह आकलन दिया गया था कि उस क्षेत्र को क्वरांटाइन करने से पहले कितने लोग वुहान छोड़कर चले गए थे। इस अध्ययन का लिंक ट्वीट करते समय उन्होंने एक ऐसी पिक्चर चुनी थी, जिसमें वर्ष 2011 में सभी एयर-ट्रैफिक मार्गों एवं यात्रा की पूरी मैपिंग दर्शायी गई थी। उसके बाद इस “खतरनाक मैप” को विभिन्न ऑस्ट्रेलियाई एवं ब्रिटिश न्यूज आउटलेट ने इसका सत्यापन किए बिना ही इसे प्रकाशित कर दिया। हालांकि WorldPop प्रोजेक्ट ने अपनी त्रुटिपूर्ण ट्वीट को डिलीट कर दिया, लेकिन तब तक नुकसान हो चुका था।

लक्षण एवं उपचार

उपचार एवं रोगमुक्ति के बारे में अनुचित परामर्श – अब तक गलत-सूचना का सबसे आम रूप है, और इसके गम्भीर परिणाम हो सकते हैं। यह लोगों को उनकी जरूरी देखभाल से वंचित कर सकता है, और सबसे खराब स्थिति में इसके चलते जीवन की हानि हो सकती है। ईरान में एल्कोहल गैरकानूनी है और हजारों लोग संक्रमित हो चुके हैं, वहां एक ईरानी मीडिया ने बताया कि इस रोग से सुरक्षा के लिए घरेलू एल्कोहल पीने के बाद 44 लोगों की मृत्यु हो गई तथा सैकड़ों लोगों को अस्पताल में भर्ती करवाया गया।

सोशल मीडिया उपयोगकर्ता स्वयं को आश्वस्त करने का प्रयास करते रहते हैं, और इसके चलते हमने इस रोग के लक्षणों के बारे में बहुत ही अजीब सी अटकलें देखी हैं। मार्च की शुरुआत में रोकथाम एवं लक्षणों की एक सूची दुनियाभर में वायरल हुई। आपको यह कहां से मिला है, इस पर निर्भर करते हुए, सूची को ताइवान के विशेषज्ञों, जापानी डॉक्टरों, यूनिसेफ, सीडीसी, स्टैनफोर्ड हॉस्पिटल बोर्ड और प्रेषक के सहपाठी को जिम्मेदार ठहराया गया था, जिनके पास मास्टर डिग्री थी और शेनजेन में काम किया था। इस संदेश में कहा गया कि गर्म पेय तथा गर्मी इस वायरस को मारते हैं, तथा आपको वायरस है या नहीं इसकी जांच करने के लिए आपको प्रत्येक सुबह 10 सेकेंड तक सांस रोकनी चाहिए। इनमें से कोई भी दावे सही नहीं साबित हुए।

शायद यह आज तक का सबसे प्रसिद्ध उदाहरण होगा, जिसमें राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने एक प्रेस कॉन्फ्रेन्स में दावा किया कि मलेरिया के उपचार में प्रयोग की जाने वाली दावा हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन से कोविड-19 का उपचार हो सकता है। वैसे तो एक तरफ इस दवा की प्रभाविता का परीक्षण करने के लिए रैंडमली कन्ट्रोल्ड ट्रायल किए जा रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ लोगों को इस बारे में उलझन है कि क्या उन्हें यह दवा आजमानी चाहिए तथा ऐसी रिपोर्टें आई हैं कि लोगों द्वारा इस दवा का स्टॉक करने के चलते इस दवा की कमी पड़ गई है। दुर्भाग्यवश दूसरे लोग दवा के नाम के बारे में भ्रमित होकर इसे कोई दूसरी दवा समझ बैठे, और इस मामले में बैनर हेल्थ ने बताया कि प्रेस कॉन्फ्रेन्स के दो दिन बाद एरिजोना में रहने वाले लगभग 60 वर्ष की आयु वाले एक जोड़े द्वारा क्लोरोक्विन फॉस्फेट का सेवन करने के कारण उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया।  अस्पताल में पति की मृत्यु हो गई तथा पत्नी ने NBC को बताया कि उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेन्स देखी थी।

अफवाहें बहुत गम्भीर से लेकर मामूली तक हो सकती हैं, जैसे कि अभी हमने एक बहुत गम्भीर मामला देखा, वहीं दूसरी तरफ सम्भावित रूप से मददगार साबित हो सकने वाले खाद्य पदार्थों एवं घरेलू दवाओं के बारे में हानिरहित अंधविश्वास तक शामिल है। अंततः, कोई अफवाह चाहे जितनी भी तुच्छ हो, लोगों को इस बात का महत्व समझना चाहिए कि जब कोई सूचना किसी मेडिकल एक्सपर्ट द्वारा जारी कही गई हो, केवल तभी उसे साझा करना ठीक होता है।

प्राधिकरण और लोग किस प्रकार प्रतिक्रिया दे रहे हैं

इस समय महामारी और इंफोडेमिक दोनों ही वैश्विक है। सोशल मीडिया के उपयोगकर्ता एक मंच से दूसरे मंच पर कंटेंट साझा करते रहते हैं, वे एक दूसरे को सतर्क करने का प्रयास करते हैं।

वर्ष की शुरुआत में जब चीन और हाँगकाँग में लोग कोरोनावायरस के प्रति अपनी प्रतिक्रिया कर रहे थे, उससे पहले ही लोगों द्वारा पैनिक में आकर ट्वॉयलेट पेपर खरीदने के चलते खाली आलमारियों की फोटो सोशल मीडिया पर फैलने लगी थी। वर्ष 2011 में एक सुपरमार्केट सेल की वीडियो को इस रूप में दिखाया गया कि यूके, स्पेन, एवं बेल्जियम के विभिन्न शहरों में लोग पैनिक में आकर खरीदारी कर रहे हैं। वर्ष 2018 में यूएस सुपरमार्केट में खाली आलमारियों की फोटो दिखाते हुए यह भी दावा किया गया कि श्रीलंका में लोग पैनिक में आकर खरीदारी कर रहे हैं, वहीं मैक्सिको की पुरानी फुटेज दिखाते यह रिपोर्ट की गई तुर्की में लूटपाट हो रही है। ऐसे उदाहरण एक देश से दूसरे देश तक भय फैलाते हैं।

इस वैश्विक महामारी के प्रति अलग-अलग सरकारें किस तरह से प्रतिक्रिया कर रहीं हैं, तथा इसके चलते आगे क्या परिणाम हो सकते हैं – इस बारे में भी अफवाहें बहुत दूर-दूर तक फैली। हर देश में, यहां तक कि हर राज्य में अलग-अलग नियम होते हैं।

सरकार द्वारा नए उपाय किए जाने के साथ ही ऐसी बहुत सारी गलत (मिसरिप्रिजेन्टेड) पिक्चर की बाढ़ सी आ गई, जिसमें यह दावा किया गया कि घर से बाहर निकलने वाले लोगों के साथ पुलिस मनमानी तरीके से कार्रवाई कर रही है, अथवा मार्शल लॉ लागू करने के लिए सेना सड़कों पर उतर आई है।

कई बार इन कारणें से भी असुविधा होती है क्योंकि सरकार द्वारा जारी किए गए निर्देश अस्पष्ट होते हैं तथा लोगों के प्रश्न अनुत्तरित होते हैं, जैसे कि क्या वे अपने परिचितों से मिलने जा सकते हैं, अथवा क्या उन्हें अपने कुत्ते को घर से बाहर टहलाने के लिए एक परमिट की आवश्यकता होगी।

हाल ही में यूके में टेक्स्ट के झूठे स्क्रीनशॉट सर्कुलेट किए गए, जिसमें यह दावा किया गया कि सरकार लोगों के फोन का लोकेशन डेटा की सहायता से उनके ऊपर नजर रखी हुई है। इन झूठी अफवाहों में दावा किया गया है कि यदि आप एक से अधिक बार घर से बाहर जाएंगे, तो आपके पास फाइन का मैसेज भेज दिया जाएगा। पुनः, इसमें आंशिक सच्चाई है – ब्रिटिश सरकार ने यूके में सभी लोगों के पास यह मैसेज भेजा था कि उन्हें जरूरी सामान लेने जाने के सिवाय घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए।

जैसे कि दुनियाभर में गलत-सूचना फैल रही है, हम यह देखना जारी रखे हैं कि वायरस कहां से आया, यह कैसे फैलता है, इसके लक्षण एवं उपचार क्या हैं, और गलत-सूचना की चार मुख्य श्रेणियों के प्रति सरकार की क्या प्रतिक्रिया है।

कोरोनावायरस से सम्बन्धित गलत सूचना के दस अभिलक्षण

 

मॉनिटरिंग

कीवर्ड्स के बारे में कैसे सोचें

कीवर्ड के आधार पर सूचना के सटीक स्निपेट प्राप्त करके सोशल मीडिया चैटर के माध्यम से स्मार्ट खोजों में कटौती की जाती है। जब आप इन्टरनेट पर खबरों के लायक सामग्री खोज रहे हों, तो आपको पता होना चाहिए कि आपको वास्तव में किस चीज की तलाश है, और आपके पास उसे खोजने का कौशल होना चाहिए। ऐसे में सही स्थान पर खोजने के लिए सही कीवर्ड्स प्रयोग करना प्रमुख तरीका है। जब आप कीवर्ड्स की बात सोचें:

  • यह सोचें कि दूसरे लोग कैसे बोलते हैं (जिसमें गाली, गलत स्पेलिंग, कठबोली आदि शामिल है)।
  • कीवर्ड्स को बूलियन खोज पूछताछ
  • चक्षुदर्शी सामग्री को खोजने के लिए फर्स्ट पर्सन शब्दों (my, I’m, me, mine) को शामिल करें।
  • स्रोत के रूप में प्लेटफॉर्म पर विचार करें। अलग-अलग समुदायों में अलग-अलग वार्तालाप होते हैं।
  • याद रखें कि कीवर्ड्स विकसिक होते हैं

एक बेसिक बूलियन खोज पूछताछ कैसे लिखें

यहां पर बुलियन खोज पूछताछ सहायता करती है। शब्दों की यह स्ट्रिंग आपको सोशल मीडिया के सामान्य शोरगुल से आगे ले जाने में सहायता करता है, आप एक डिफॉल्ट सर्च को एक बहुआयामी, विशिष्ट सर्च में अपग्रेड करते हैं, ताकि अधिक सटीक सूचना खोज सकें।

इस त्वरित मार्गदर्शिका में हम आपको प्रभावी तरीके से समाचार इकठ्ठा करने के लिए सोशल मीडिया पर खोज करने लिए जरूरी बुनियादी जानकारी समझाएंगे।

बूलियन खोजें आपको यह निर्दिष्ट करने में मदद करती हैं कि आप क्या देख रहे हैं या नहीं देख रहे हैं। उदाहरण के लिए मान लेते हैं कि आप एक ब्रेकिंग न्यूज ईवेंट जैसे कि Notre Dame अग्निकांड के दौरान पोस्ट की खोज कर रहे हैं। आप Notre Dame से सम्बन्धित पोस्ट खोजना चाहते हैं, लेकिन आप डिज्नी फिल्म से सम्बन्धित कोई भी पोस्ट नहीं चाहते हैं।

ऐसे में एक बूलियन खोज आपको यह सुविधा देता है कि आप ऐसी पोस्ट को शामिल कर सकें जिसमें Notre Dame का जिक्र हो, लेकिन ऐसी पोस्ट को अनदेखा करें जिसमें Disney Film शब्द का जिक्र किया गया हो, इससे आप अपने खोज परिणाम को रिफाइन कर सकते हैं और अपने मतलब की सूचना ढूंढ सकते हैं।

ऐसा करना ‘ऑपरेटर्स’ की सहायता से संभव है, जो आपको एक से अधिक कीवर्ड्स को कंबाइन करने की सुविधा देते हैं। बुनियादी खोजों के लिए तीन ऑपरेटर्स होते हैं: AND, OR, तथा NOT.

AND

AND केवल ऐसे परिणाम दिखाता है जिसमें दो या अधिक शब्दों को कंबाइन किया गया हो, और इससे आप अपने सर्च को सीमित (नैरो) कर सकते हैं। उदाहरण के लिए आप “Notre Dame” और “Fire” खोज सकते हैं।

OR

OR दो या अधिक मिलते-जुलते शब्दों को कनेक्ट करने वाले परिणाम दर्शाता है और आपकी खोज को व्यापक बनाता है। यह तरीका गलत-स्पेलिंग एवं टाइपो (वर्तनी त्रुटि) के लिए कारगर हो सकता है।

Notre Dame के मामले में आप “Notre Dame” OR “Notre Dam” को खोज सकते हैं। ऐसा करने पर इनमें से किसी भी वाक्यांश वाले सभी परिणाम प्रदर्शित हो जाएंगे।

प्रमुख बिंदु:

  • ऑपरेटर्स (AND, OR ) को कैपिटल लेटर में ही लिखा जाना चाहिए, अन्यथा ये काम नहीं करेंगे।
  • यदि आप वाक्यांश (बहुत से शब्दों से बने हुए टर्म्स) की खोज कर रहे हैं, तो आपको उन्हें कोटेशन चिह्न के अन्दर रखना होगा (जैसे कि “Coronavirus vaccine”)
  • यदि किसी उपयोगकर्ता ने किसी सूचना को निजी (प्राइवेट) रखा होगा, तो आप उसे नहीं ढूंढ सकेंगे।

अपनी खोज में जटिलता कैसे जोड़ें

लम्बी एवं जटिल खोज के लिए सेक्शन्स को एकसाथ ग्रुप करना सबसे अधिक उपयोगी है। यह सर्च के ब्रेक होने के जोखिम को कम करेगा तथा इसे मैनेज करना आसान है। इसे नेस्टिंग भी कहा जाता है, यह तरीका आपको एक ही बार में अपनी सर्च टर्म के विभिन्न वैरियेशन को खोजने की सुविधा प्रदान करता है। किसी सर्च के पार्ट्स को एकसाथ ग्रुप करने के लिए आपको केवल कोष्ठक (ब्रैकेट) य पैरेंथेसेस का प्रयोग करना होता है।

उदाहरण के लिए यदि आप कोरोनावायरस से सम्बन्धित विभिन्न हैशटैग एवं गलत स्पेलिंग ढूंढ रहे हैं, तो आप यह लिख सकते हैं:

( coronavirus OR caronavirus OR coronavirusoutbreak OR coronoavirus)

आपके सर्च का जो भाग कोष्ठक के अंदर होगा, डेटाबेस या सर्च इंजन उसे वरीयता देगा और एक अधिक व्यापक परिणाम प्रदर्शित करेगा।

कोरोनावायरस को मॉनिटर करने के लिए बूलियन सर्च नमूने

कोरोनावायरस से सम्बन्धित मुद्दों को मॉनिटर करने के लिए First Draft टीम जिन बूलियन सर्च का प्रयोग कर रही है, उसके नमूने इस प्रकार हैं। हम अनुशंसा करेंगे कि आप कुछ अतिरिक्त कीवर्ड जोड़ें जो आपके क्षेत्र या दर्शकों के लिए विशिष्ट हों।

कोविड सामान्य शब्द

टिप्पणी: हम यह बताने का दायित्व महसूस करते हैं कि कुछ खोज शब्दों का हमारा समावेश सामाजिक प्लेटफार्मों पर उनके प्रसार के कारण है, हम निश्चित रूप से नस्लवादी शब्दावली का समर्थन नहीं करते हैं।

Coronavirus OR COVID-19 OR covid OR Sars-Cov-2 OR “corona virus” OR “china flu” OR “wuhan flu” OR wuhanvirus OR “china virus” OR “chinavirus OR caronavirus” OR coronovirus

चुनाव एवं कोविड

(Coronavirus OR COVID-19 OR covid OR Sars-Cov-2 OR “corona virus” OR “china flu” OR “wuhan flu” OR “china virus” OR “chinavirus OR caronavirus) AND (voting OR voter OR vote OR votes OR voters OR election OR elections OR primary OR primaries OR polls OR “polling place” OR “polling location” OR ballot OR ballots)

जनगणना एवं कोविड

टिप्पणी: इस सर्च में एक प्रॉक्सिमिटी ऑपरेटर है, जो खोज परिणामों को केवल तभी दर्शाता है जब शब्द एक दूसरे से मिलते-जुलते होते हैं। एक प्रॉक्सिमिटी सर्च के लिए नोटेशन – सर्च इंजन के आधार पर अलग-अलग होते हैं। हम नीचे जिस नोटेशन का प्रयोग कर रहे हैं, उसे Google के लिए फॉरमैट किया गया है।

(Coronavirus OR COVID-19 OR covid OR Sars-Cov-2 OR “corona virus” OR “china flu” OR “wuhan flu” OR “china virus” OR “chinavirus” OR caronavirus) AND (census OR questionnaire OR door AROUND(3) knock OR door AROUND(3) knocking OR door AROUND(3) knocked)

कोविड प्रश्न

टिप्पणी: यह सर्च सम्भवत: फॉल्स पॉजिटिव परिणाम दिखाएगा, लेकिन इसके बावजूद भी First Draft टीम के विचार में यह एक रोचक तरीका है:

(Coronavirus OR COVID-19 OR covid OR Sars-Cov-2 OR “corona virus” OR “china flu” OR “wuhan flu” OR “china virus” OR “chinavirus” OR caronavirus) AND (“I have a question” OR “should I” OR “can I” OR “what happens if”)

Twitter Lists द्वारा मॉनिटरिंग करना

Twitter का List फंक्शन आपकी रूचि वाले Twitter खातों को कलेक्ट एवं मॉनिटर करने का एक अच्छा तरीका है।

Twitter Lists आपको ये सुविधाएं देता है:

  • खातों, संगठनों के समूह को विषय आदि के अनुसार निगरानी करें।
  • किसी खाते को फॉलो किए बिना ही उसकी कंटेंट देखें।
  • दूसरे लोगों की सूची को फॉलो या सबस्क्राइब करें
  • उपयोगी खातों की सूची को अपने सहकर्मियों के साथ शेयर करें

Twitter.com पर ट्विटर सूचियां कैसे ढूंढें

1. सूची बनाने के लिए, सबसे पहले अपना Twitter अकाउंट खोलें और बायीं ओर मौजूद पैनल पर स्थित प्रतीक चिह्न पर जाएं जो टेक्स्ट की कुछ पंक्तियों वाले दस्तावेज जैसा दिखता है।

स्रोत: Twitter.com/WHO

2. इससे आपके सामने जो स्क्रीन खुलेगी उसमें वे सारी सूचियां होंगी जो आपने बनाई हैं, जो आपने सब्सक्राइब की हैं, या जिनके आप सदस्य हैं। सबसे ऊपर दायें कोने में, आपको दस्तावेज का वही प्रतीक चिह्न दिखेगा, पर इस बार उसमें प्लस का चिह्न होगा — उस पर क्लिक करें!

3. यहां आप अपनी सूची को नाम और वर्णन दे सकते हैं। यहीं आप अपनी सूची को निजी (केवल आपको दिखे), या सार्वजनिक (आपकी प्रोफाइल पर सूचीबद्ध हो और खोजी जा सके) बनाने का विकल्प चुन सकते हैं।

4. बॉक्स भरने के बाद, नेक्स्ट पर क्लिक करें और आपके सामने एक सर्च बार आएगा जिसमें आप अकाउंट्स के नाम टाइप करके उन्हें अपनी सूची में जोड़ना शुरू कर सकते हैं।

5. वैकल्पिक रूप से, यदि आप ट्विटर में खोजबीन कर रहे हैं और आपको कोई ऐसा अकाउंट मिलता है जिसे आप किसी मौजूदा सूची में जोड़ना चाहते हैं, तो उस प्रोफाइल पर मौजूद फॉलो बटन के बगल में दिख रहे तीन बिंदुओं को चुनें, और “एड/रिमूव फ़्रॉम लिस्ट्स पर क्लिक करें।

6. सूची बन जाने पर, आप उस पर क्लिक करके एक फीड देख सकते हैं जिसमें केवल सूची के सदस्यों द्वारा ट्वीट या रीट्वीट की गई सामग्री होगी।

Google पर Twitter Lists कैसे खोजें

बहुत सारी Twitter Lists सार्वजनिक रूप से उपलब्ध हैं, जो आपके काम के लिए उपयोगी हो सकती हैं। उन्हें ढूंढने के लिए “add/remove from Lists” के नीचे “View Lists” विकल्प को चुनें, जैसा कि आप उपरोक्त स्क्रीनशॉट में देख सकते हैं।

SOURCE: google.com

Twitter पर विषय के अनुसार Twitter Lists खोजने का कोई नेटिव तरीका नहीं है, लेकिन इस गूगल शॉर्टकट का प्रयोग करके सार्वजनिक Twitter Lists ढूंढ सकते हैं; site:twitter.com/*/lists “सर्च टर्म”

Tweetdeck पर Twitter Lists प्रदर्शित करना

Tweetdeck एक फ्री टूल है, जिसे पत्रकार और शोधकर्ता Twitter पर मॉनिटर करने और समाचार इकठ्ठा करने के लिए व्यापक रूप से उपयोग करते हैं।

स्रोत: tweetdeck.twitter.co

Tweetdeck इंटरफेस में आप एक ही स्थान पर विभिन्न कंटेंट वाले कई कॉलम को मॉनिटर कर सकते हैं। इन कॉलम में Twitter Lists, उपयोगकर्ता, कीवर्ड सर्च, मेंशन, लाइक, तथा अन्य चीजें शामिल हो सकती हैं।

नीचे दिए गए उदाहरण में हम एक लिस्ट (NH राजनेता), एक कीवर्ड सर्च, और एक उपयोगकर्ता (गर्वनर क्रिस सुनुनू) को मॉनिटर कर रहे हैं। Tweetdeck को एक्सेस करने के लिए आपको केवल एक Twitter खाते की जरूरत है। आप अपने Twitter आईडी पासवर्ड से लॉगिन करके बाएं तरफ दिए गए “Add column” विकल्प पर क्लिक करें, चुनें कि आप क्या एक्सप्लोर करना चाहते हैं और मॉनिटरिंग करना शुरू करें।

Twitter Lists कैसे कॉपी करें

Twitter List Copy, इसकी रचना एक स्नातक छात्र ने की थी, यह किसी दूसरे व्यक्ति के खते से लिस्ट को कॉपी करने का एक उपयोगी तरीका है।

स्रोत: Twitter Copy List

साइट पर अपने Twitter खाते में लॉगिन करें, और उसके बाद जिस व्यक्ति की Twitter List आप कॉपी करना चाहते हैं, उसके एकाउंट हैंडल दर्ज करें।

ड्रॉपडाउन में आपको वे सभी सूची मिल जाएंगी जिसे उस खाते ने सेटअप किया है। जिस लिस्ट को आप कॉपी करना चाहते हैं, उसे चुनें। यह टूल आपको इसे अपनी किसी मौजूदा Twitter Lists में कॉपी करने की सुविधा देता है, तो हो सकता है कि आप इस वेबसाइट पर जाने से पहले अपने खाते में एक रिक्त लिस्ट बनाकर उसे एक नाम देना पसंद करें।

Crowdtangle प्रत्येक देश के लिए लाइव डिस्प्ले करता है

CrowdTangle एक सोशल विश्लेषिकी उपकरण है, जिसका स्वामित्व Facebook के पास है। उनके मुख्य पोर्टल में साइन-अप की जरूरत है, लेकिन उनके सार्वजनिक लाइव डिस्प्ले को कोई भी व्यक्ति एक्सेस कर सकता है। यह सोशल मीडिया पर कोरोनावायरस से सम्बन्धित सूचना फैलने के तरीके को दिखाने का बहुत ही तीव्र और विजुअल तरीका है।

सार्वजनिक लाइव डिस्प्ले को क्षेत्र एवं देश के अनुसार व्यवस्थित किया जाता है, और इसमें स्थानीय मीडिया, क्षेत्रीय विश्व स्वास्थ्य पेजों, सरकारी एजेन्सियों, तथा स्थानीय राजनेताओं तथा Facebook, Instagram, एवं Reddit. की सोशल मीडिया चर्चा की कंटेंट को दिखाया जाता है।

प्रत्येक सार्वजनिक लाइव डिस्प्ले Covid-19 सम्बन्धित पोस्ट को रियल टाइम में दिखाता है, उसे प्रत्येक क्षेत्र के अनुसार सार्वजनिक पेजों के साथ कीवर्ड द्वार सॉर्ट करता है।

अपडेट रहने के लिए RSS फीड्स

RSS, अथवा Really Simple Syndication (रियली सिम्पल सिंडीकेशन),  आपकी रुचि वाले वेबसाइट या ब्लॉग की नए कंटेंट को एक ही फीड में पाने का एक आसान तरीका है। प्रत्येक दिन बहुत सी साइटों पर जाकर जांच करने के बजाय आप एक RSS रीडर इंस्टॉल कर सकते हैं, और यह किसी भी नई कंटेंट को आप तक पहुंचा देगा।

Feedly में पंजीकरण करना

वैसे तो बहुत सी RSS रीडर एप्लिकेशन उपलब्ध हैं, परन्तु हम उपयोगिता के दृष्टिकोण से आपको Feedly का सिफारिश करते हैं। सबसे पहले आपको एक Feedly उपयोगकर्ता के रूप में पंजीकरण करना होगा। अपना खाता बनाने के बाद आप RSS फीड बनाना शुरू कर सकते हैं, जो कि आपकी जरूरतों के अनुरूप व्यवस्थित हो। आप अलग-अलग विषयों के लिए अलग-अलग फीड चुन सकते हैं, अथवा विशेष स्रोतों जैसे कि सरकारी प्राधिकरणों या समाचार साइटों के लिए फीड बिल्ड कर सकते हैं। आप अपने फीड में क्या शामिल करना चाहते हैं, यह पूरी तरह से आपके ऊपर है।

स्रोत: Feedly

फीड्स को सेटअप करना

एक RSS फीड सेटअप करने के लिए Feedly पर जाकर “create a feed. पर क्लिक करें। आपसे कहा जाएगा कि आप न्यूज फीड के लिए एक शीर्षक दें, और उसके बाद आप जो भी ट्रैक करना चाहते हों – इसे उसके साथ पाप्युलेट करना शुरू कर सकते हैं। Feedly आपको कोई विशिष्ट वेबसाइट, कीवर्ड या RSS लिंक को इनपुट करने की सुविधा देता है।

किसी वेबसाइट को फॉलो करना

यदि आप अपने फीड में किसी वेबसाइट की सभी नई कंटेंट देखना चाहते हैं तो अपनी रुचि की वेबसाइट चुनें, और “Follow” बटन पर क्लिक करें, और उसे सुसंगत फीड में जोड़ें।

स्रोत: Feedly

किसी कीवर्ड या वाक्यांश को फॉलो करना

कीवर्ड्स काफी हद तक Google अलर्ट की तरह चलते हैं, तो यदि आप किसी कीवर्ड या कीवर्ड सेट के सभी मेंशन अपने फीड में चाहते हैं, तो आप यह विकल्प चुन सकते हैं। यदि आपको किसी विशिष्ट वाक्यांश में दिलसचस्पी है, तो उसे कोटेशन मार्क के अन्दर रखना सुनिश्चित करें।

आप किसी पब्लिकेशन, व्यक्ति या विषय के मेंशन को मॉनिटर करने के लिए कीवर्ड अलर्ट का प्रयोग भी कर सकते हैं, भले ही उसे किसी भी वेबसाइट ने पब्लिश किया हो।

RSS लिंक को फॉलो करना

यदि अपनी रुचि वाली कोई वेबसाइट टाइप करते हैं और वह Feedly में नहीं प्रदर्शित हो रही है, लेकिन आप जानते हैं कि उसके पास RSS है, तो आप URL के अंत में /RSS जोड़ सकते हैं, और उस लिंक को Feedly में इनपुट करके उसे अपने कस्टम RSS फीड में जोड़ सकते हैं।

पैटर्न और टेम्प्लेट पहचानना

हमने अब तक ऐसी एक भी वैश्विक घटना नहीं देखी जिससे जुड़ी एक ही गलत-सूचना देशों की सीमाएं पार करके साथ-ही-साथ फैल रही हो। चुनावों के दौरान हम इन्हीं तकनीकों का इस्तेमाल होते देखते हैं। मिसाल के तौर पर, ग़लत मतदान दिनांक  के साथ कुछ सूचना को फैलाने की तरकीब लगभग हर देश में देखने को मिली है। जब दुष्ट अभिनेताओं को पता चल जाता है कि अमुक तरकीब काम करती है, तो उसी पहले वाले आइडिया का दोबारा इस्तेमाल करना, नए सिरे से नया आइडिया सोचने और नाकामयाबी का जोख़िम उठाने से कहीं आसान हो जाता है। कोरोनावायरस के मामले में भी यही हो रहा है। जैसे सभी लोग खबर साझा कर रहें हैं, हम देख रहें हैं कि लगातार एक ही प्रकार की खबरें और एक ही तरह के कॉन्टेंट एक देश से दुसरे देश में फैल रहा है। ये ही ‘टेम्प्लेट’ बन जाते हैं जिन्हें विभिन्न भाषाओं में और प्लेटफ़ॉर्म्स पर बार-बार इस्तेमाल में लाया जाता है।

वैसे तो आपको इन ‘टेम्प्लेट’ के उदाहरण सभी प्लेटफ़ॉर्म्स पर मिल जाएंगे, पर इस कोरोनावायरस वैश्विक महामारी के दौरान, हमें क्लोज्ड मैसेजिंग ऐप और Facebook ग्रुप्स में ये कट एंड पेस्ट टेम्प्लेट बड़ी संख्या में देखने को मिल रहे हैं। इसलिए इन संदेशों की असल संख्या को समझ पाना मुश्किल है, पर व्यक्तिगत कहानियों के जरिए हम देख रहे हैं कि लोग लगभग एक जैसी भाषा और चित्र सूचित कर रहे हैं।

दिक्कत यह है कि इनमें से अधिकांश सूचनाओं के साथ ज़रा सा सच जुड़ा है: जिसके कारण ये सूचनाएं बहुत तेज़ी से फैलती हैं, क्योंकि यह पता लगाना बहुत मुश्किल हो जाता है कि सूचना का कौनसा हिस्सा झूठा है। चौकन्ने रहें, फिर बात चाहे घोटालों की हो, अफवाहों की, या एक ही गलत (लेकिन अनुवाद किए हुए संदर्भ) के साथ शेयर किए जा रहे वीडियो की।

लॉकडाउन

विभिन्न घर-पर-ही-रहें या शेल्टर-इन-प्लेस यानि जहां रहते हैं वहीं आश्रय लें आदेशों की घोषणाओं के बाद दुनियाभर में जल्द ही सैन्य लॉकडाउन, पूरे देश में क्वॉरन्टीन और सैन्य शासन लगाए जाने से संबंधित चिंताएं फैल रही हैं। अलग-अलग देशों में अलग-अलग नियम हैं, और कहीं-कहीं तो अलग-अलग शहरों ने अलग-अलग समयों पर अलग-अलग अध्यादेश पारित किया है। इससे जनता उलझने और बढ जाती है, और नतीजा यह होता है कि लोग यह पक्का करने के लिए सूचनाएं शेयर करने लगते हैं ताकि उनके प्रियजन सुरक्षित और तैयार रहें।

मिसाल के तौर पर, कई टेलिग्राम ब्रॉडकास्ट चैनल्स और ग्रुप्स ने ट्रेनों पर टैंकों, बख़्तरबंद गाड़ियों और अन्य सैन्य वाहनों की क्लिप्स शेयर की हैं जो शहरों और कस्बों से होते हुए जा रहे हैं। हज़ारों सदस्यों वाले एक लोकप्रिय टेलिग्राम चैनल पर शेयर किए गए एक वीडियो में दावा किया गया कि उनके पास “न्यू यॉर्क शहर में सेना की तैनाती” की रिकॉर्डिंग है। हालांकि, वीडियो बनाने वाले का कहना है कि वह फ़ेडएक्सफ़ील्ड में था, जो कि वॉशिंगटन D.C. में है।

हमने मार्च-मध्य में UK के आयरलैंड में सोशल मीडिया पर इसी तरह के वीडियो शेयर होते देखे हैं – सड़कों पर तथाकथित टैंक, और पुलिस व सेना द्वारा सड़कबंदी। अधिकतर वीडियो पुराने थे और संदर्भ से अलग करके दोबारा ऑनलाइन शेयर किए गए थे, या फिर उनमें ऐसी सड़क दुर्घटनाओं की तस्वीरें थीं जहां पुलिस पहुंच चुकी थी। पर चूंकि ये वीडियो व तस्वीरें, दूसरे देशों में जो कुछ हो रहा था उसकी विभिन्न ऑनलाइन कहानियों में फ़िट बैठते हैं, अतः लोगों ने एक-दूसरे को यह चेतावनी देने के लिए उन्हें बार-बार शेयर किया कि निकट भविष्य में क्या-कुछ हो सकता है।

चूंकि लोग एक-दूसरे को सुरक्षित रखने की कोशिश कर रहे हैं, अतः लॉकडाउन की अफ़वाहों के मिलते-जुलते अफवाहें देखने को मिल रहे हैं जो लोगों से कह रहे हैं कि वे पक्का कर लें कि उनके पास ज़रूरत की चीजों का स्टॉक हो और वे तैयार रहें।

हालांकि, इन संदेशों में आवश्यक सूचनाएं नहीं होतीं और ये लोगों के डर का फ़ायदा उठाते हैं। बहुत से शहरों में लॉकडाउन होने की हकीकत यह है कि बहुत सी आवश्यक दुकानें अभी-भी खुली हुई हैं, और लोग कसरत करने, या खाने-पीने का सामान खरीदने के लिए बाहर जा सकते हैं, और लोगों को तैयार रहने के लिए कहने वाले संदेश केवल भगदड़ी खरीददारी को ही हवा दे रहे हैं।

Facebook पर, मेकअप की दुनिया की एक इतालवी हस्ती की ओर से की गई एक  वायरल पोस्ट ने बीस लाख फ़ॉलोअर्स को बताया कि न्यू यॉर्क और अन्य बड़े महानगरीय इलाकों में अमेरिकियों में हथियार खरीदने की होड़ लगी हुई है और यह कि वह अपनी सुरक्षा की ख़ातिर डर के मारे शहर से “भाग” आई है।

जब दुनियाभर के देश और शहर अपने-अपने उपाय कर रहे हैं, हमें बार-बार ऑनलाइन दुनिया में इसी किस्म की प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं। लोगों को यह चिंता है कि वे कैसे सुरक्षित और तैयार रहें।

कभी-कभी जब लोग अपने आस-पास कुछ होते देखते हैं और सरकारों और संस्थानों को यह समझाने में समय लगता है कि क्या हो रहा था, तो इस दौरान जिस सूचना-शून्य का निर्माण होता है वह कन्फ़्यूज़न पैदा कर देता है।

एक ऑनलाइन सोशल पोस्ट ने 25 मार्च, 2020 को लंदन शहर के हवाई अड्डे पर सेना के वायुयानों के होने की सूचना देते हुए। लंदन में UK की सेना का 27 मार्च, 2020 को सड़कों पर सैन्य वाहनों की उपस्थिति का स्पष्टीकरण देती ट्विटर पोस्ट।

अग़र आपको कोई संदिग्ध चीज दिखे, तो उसे किसी सर्च इंजन का इस्तेमाल करें। इस बात की काफ़ी संभावना है कि दुनिया के किसी दूसरे हिस्से में किसी फ़ैक्ट-चेकर (तथ्यों की जांचकर्ता) या न्यूजरूम ने उस कंटेंट को पहले ही पर्दाफाश कर दिया हो। बज़फ़ीड (Buzzfeed) के पास अफवाहों और गलत खबरों की एक काफ़ी बड़ी सूची है  जिसे आप यहां देख सकते हैं।

बंद समूहों की निगरानी की नैतिकता

जैसे यह वैश्विक महामारी पूरी दुनिया में फैल रही है, अतः हमें निजी संदेश समूहों और चैनल्स में वायरस से संबंधित बातचीत बड़ी मात्रा में देखने को मिल रही है। हो सकता है कि ऐसा इसलिए है क्योंकि ऐसे समय में लोगों को सार्वजनिक स्थानों में सूचनाएं शेयर करना कम सहज लगता हो, या फिर ऐसा हो सकता है कि जब डर और घबराहट बढ़ रहे हैं तो लोग ऐसे स्रोतों का रुख कर रहे हैं जिनके बारे में उन्हें लगता है कि वे उन्हें जानते हैं और उन पर भरोसा करते हैं।

इस बदलाव का एक बुरा नतीजा यह है कि अफ़वाहें ऐसे-ऐसे स्थानों में फैल रही हैं जिन पर नज़र रखना नामुमकिन है। इनमें से बहुत से स्थान केवल-आमंत्रण पर उपलब्ध हैं, या वे एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन द्वारा संरक्षित हैं, इसलिए कंपनियां भी नहीं जान सकतीं कि उनमें क्या शेयर हो रहा है।

हालांकि, क्या पत्रकारों, फैक्ट-चेकर (तथ्यों की जांचकर्ता), शोध एवं सार्वजनिक स्वास्थ्य अधिकारियों के लिए इन स्थानों से जुड़कर यह समझने में कोई लोकहित है कि कौन-कौनसी अफवाहें फैल रही हैं, ताकि वे उन्हें खारिज कर सकें? आपको इन स्थानों में मिलने वाली बातों की रिपोर्टिंग की नैतिकता क्या है?

बंद समूहों में मौजूद कंटेंट की निगरानी के साथ नैतिक, सुरक्षा संबधी, यहां तक कि कानूनी चुनौतियां भी जुड़ी हुई हैं, जैसा कि  फ़र्स्ट ड्राफ़्ट की बंद समूहों की आवश्यक मार्गदर्शिका में वर्णित है। पत्रकारों को जिन मुख्य सवालों पर विचार करना चाहिए उनमें से कुछ के आधार पर एक सारांश यहां प्रस्तुत है:

क्या आपको कोरोनावायरस शोध और रिपोर्टिंग करने के लिए किसी निजी समूह में होने की ज़रूरत है?

किसी बंद समूह से जुड़ने से पहले खुले ऑनलाइन स्थानों, जैसे Facebook पेजेस में अपनी सूचना ढूंढने की कोशिश करें।

आपका इरादा क्या है?

आपको इलाज़ और उपचार से संबंधित अफ़वाहों की तलाश है, या फिर किसी स्थानीय अस्पताल के सूत्रों की, या फिर राज्य-स्तरीय प्रतिक्रियाओं से जुड़े सुरागों की? आपको अपनी रिपोर्टिंग के लिए क्या चाहिए इसी से यह तय होगा कि किस प्रकार की सूचना तलाशनी है और किन चैनल्स या समूहों से जुड़ना है।

आप अपनी खुद की कितनी सूचना ज़ाहिर करेंगे?

कुछ टेलिग्राम चैनल्स सहभागी चाहते हैं न कि भीतरघाती, और कुछ Facebook समूहों में जुड़ने से पहले आपको कुछ सवालों के जवाब देने होते हैं। आप ईमानदारी से कितनी सूचना शेयर करेंगे?

इन निजी स्रोतों से मिलने वाली कितनी सूचना आप शेयर करेंगे?

लोगों को जवाबों की तलाश है क्योंकि वे डरे हुए हैं। अग़र समूह लॉकडाउन और देशव्यापी यात्रा प्रतिबंधों के बारे में पूछ रहा है और शेयर किए जा रहे जवाब खलबली और डर फैला रहे हैं, तो आप इसे सार्वजनिक रूप से कैसे शेयर करेंगे? अपने इरादे पर दोबारा विचार करें और देखें कि उस समूह में स्क्रीनशॉट, समूह के नाम, और व्यक्तिगत पहचान करने वाली चीजें, जैसे यूज़रनेम, शेयर करने से पहले समुचित गोपनीयता अपेक्षित है या नहीं। क्या उन संदेशों को प्रकाशित या प्रकट करने से उस समुदाय को नुकसान होगा जिसकी आप निगरानी कर रहे हैं?

आप जिस बंद समूह से जुड़ना चाह रहे हैं वह कितना बड़ा है?

Facebook, वॉट्सएप, डिस्कॉर्ड, वीचैट और टेलिग्राम में अलग-अलग आकारों वाले समूह और चैनल होते हैं। शेयर हो रहे कंटेंट की मात्रा, यूज़र्स की कुल संख्या की बजाय सक्रिय यूज़र्स की संख्या पर अधिक निर्भर करती है। जुड़ने से पहले देखें कि समूह कितना प्रतिक्रियाशील है।

अग़र आप इकट्ठी हुई सूचनाओं के साथ कोई समाचार या लेख प्रकाशित करने की सोच रहे हैं, तो क्या आप अपना इरादा सबके सामने ज़ाहिर करेंगे?

सोचें कि यह समूह किसी पत्रकार को किस प्रकार प्रतिक्रिया दे सकता है, और समूह से प्राप्त सूचनाओं में से आप पहचान जाहिर करने वाली कितनी सूचनाएं प्रकाशित करने को तैयार हैं।

अग़र आप अपना इरादा ज़ाहिर कर देते हैं, तो क्या आपकी ओर लोगों का अनचाहा ध्यान आकर्षित होने या आपसे दुर्व्यवहार होने की संभावना है?

फ़र्स्ट ड्राफ़्ट की क्लोज्ड मैसेजिंग ऐप की आवश्यक मार्गदर्शिका दिखाती है कि मिसाल के तौर पर अश्वेत पत्रकारों और महिलाओं को संभावित रूप से शत्रुपूर्ण समूहों में प्रवेश करते समय अतिरिक्त सुरक्षा चिंताओं का सामना करना पड़ सकता है। अगर आप अपनी असली पहचान का इस्तेमाल करते हुए समूह में प्रवेश करने का फ़ैसला लेते हैं, तो आप यह सूचना किसके सामने प्रकट करेंगे? केवल एडमिनिस्ट्रेटर के सामने या पूरे समूह के सामने?

आप अपनी समाचार इकट्ठी करने की प्रक्रियाओं और कार्यविधियों का कितना हिस्सा शेयर करेंगे?

क्या आपके तौर-तरीकों को प्रकट करने से दूसरे लोग गलत-सूचना के बारे में “सनसनीखेज ख़बरें” पाने के लिए निजी समूहों में प्रवेश करने को प्रोत्साहित होंगे? क्या इससे इन समुदायों पर नकारात्मक असर पड़ेगा और लोग और भी अधिक छिपाऊ समूहों की ओर आकर्षित होंगे? क्या प्रकाशन के बाद आपको समूह छोड़ना होगा, या क्या आप रिपोर्टिंग जारी रखेंगे?

अंततः लोग हर उस जगह जवाब ढूंढेंगे जहां उन्हें वे मिल सकते हों। पत्रकार होने के नाते, यह ज़रूरी है कि इन डेटा शून्यताओं को विश्वसनीय स्रोतों से प्राप्त तथ्यों और नवीनतम सूचनाओं से भरा जाए। सवाल यह है कि समुदाय के नेताओं को अच्छी क्वालिटी की सूचनाओं से कैसे जोड़ा जाए, ताकि इन बंद समूहों में फैल रहीं अफ़वाहों और झूठ / गलत बातों की संख्या में कमी आए।

कोरोनावायरस संबंधी सूचना के लिए विश्वसनीय स्रोत

कोरोनावायरस के प्रकोप के साथ-साथ जो सूचना-महामारी फैल रही है वह लोगों के लिए ज़रूरत के समय में विश्वासपात्र स्रोत और विश्वसनीय मार्गदर्शन ढूंढना मुश्किल बना रही है। विश्वसनीय सलाह के लिए किस ओर रुख करना है यह जानना बेहद ज़रूरी है, इसलिए यहां हम कुछ विश्वसनीय स्रोत बताने जा रहे हैं।

याद रखें, सभी शोधकार्य समान नहीं होते। यह न सोचें कि अग़र कोई चीज़ किसी चार्ट या तालिका के रूप में पेश की गई है तो उसके पीछे का डेटा ठोस होगा-ही-होगा।

रायटर्स ने प्रकोप की शुरुआत से कोरोनावायरस पर प्रकाशित वैज्ञानिक अध्ययनों पर नज़र डाली। उन्होंने जिन 153 अध्ययनों की पहचान की, उनमें से 92 समकक्ष-समीक्षा से नहीं गुज़रे थे, बावजूद इसके कि उनमें कुछ बेहद अज़ीब और असत्यापित दावे मौजूद थे, जैसे कोरोनावायरस को HIV से जोड़ना या सांप-से-इंसान में संचरण। रायटर्स ने इसे “स्पीड साइंस” का नाम दिया है, और इसके साथ दिक्कत यह है कि डेटा पर ठीक से शोध होने से पहले ही लोग आतंकित हो सकते हैं या ग़लत नीतिगत निर्णय ले सकते हैं।

स्रोत: रायटर्स, 2020. स्पीड साइंस: तेज़ी से फैलते कोरोनावायरस शोधकार्यों के जोख़िम

विश्वसनीय सलाह और नवीनतम सूचनाओं के कुछ सर्वश्रेष्ठ स्त्रोत इस प्रकार हैं:

सरकारी विभाग एवं एजेंसियां

INGOs और NGOs

नीचे बताए गए ग़ैर-सरकारी सगंठन कोरोनावायरस के संबंध में वैश्विक और क्षेत्रीय डेटा एवं मार्गदर्शन प्रदान करते हैं:

शैक्षिक संस्थान

भावनात्मक संदेहवाद की ज़रूरत

लोगों को अपने ‘समूह’ से जुड़े होना अच्छा लगता है। यह समूह किसी राजनैतिक दल के सदस्यों का, अपने बच्चों को टीका नहीं लगवाने वाले अभिभावकों का, मौसम परिवर्तन पर चिंतित कार्यकर्ताओं का, या किसी धर्म, जाति या नृजातीय समूह विशेष के लोगों का हो सकता है। ऑनलाइन दुनिया में लोगों में अपने समूह की पहचान के अनुरूप व्यवहार करने की प्रवृत्ति होती है, और इसमें भावनाएं एक बड़ी भूमिका निभाती हैं – विशेष रूप से तब जब बात शेयरिंग की हो।

तंत्रिकावैज्ञानिक जानते हैं कि हमारी भावनाओं को आकर्षित करने वाली सूचनाएं हमें याद जाए, इसकी संभावनाएं अधिक होती है: ऐसी कहानियां जो हमें ग़ुस्सा दिलाती हैं, दुखी करती हैं, डराती हैं या हंसाती हैं। सामाजिक मनोवैज्ञानिक भावनाओं के इस सवाल को परखने के लिए अब और प्रयोग कर रहे हैं, और लगता है कि अत्यदिक भावुक होना इस बात का संकेतक है  कि उन्हें झूठी खबरों पर ज़्यादा विश्वास हो। यहां आपका यह तर्क हो सकता है कि इस समय तो पूरी दुनिया ही ‘अधिक भावुक’ है।

झूठी और भ्रामक ख़बरें जंगल की आग की तरह फैलती हैं क्योंकि लोग उन्हें शेयर करते हैं। झूठ भावनात्मक रूप से बेहद दमदार हो सकता है। वह अक्सर पूरी तरह मनगढ़ंत होने की बजाय सच की ज़मीन में रोपा हुआ भी होता है। संदर्भ को हथियार बनाकर इस्तेमाल करने में लगातार वृद्धि हो रही है – यानि वास्तविक खबर का इस्तेमाल, पर तोड़-मरोड़ कर और शब्दों को अलग ढंग से व्यक्त करके। लोगों का भरोसा जीतने और उन्हें अपने साथ जोड़ने में हर वह चीज कहीं अधिक कामयाब होती है जिसके मूल में सच होता है।

फरवरी में, जापान के तट से कुछ दूर समुद्र में खड़े क्रूज़ शिप में एक ऑस्ट्रेलियाई युगल को क्वॉरन्टीन किया गया था। वे फ़ेसबुक पर नियमित रूप से अपडेट डालते थे जिनके लिए उनके फ़ॉलोअर्स की संख्या में काफ़ी इजाफ़ा हो गया, और एक दिन उन्होंने दावा किया कि उन्होंने ड्रोन से वाइन मंगाई है। पत्रकारों ने इस ख़बर की रिपोर्टिंग शुरू कर दी, और लोग उसे शेयर करने लगे। बाद में उस युगल ने माना कि उन्होंने वह पोस्ट अपने दोस्तों के लिए एक चुटकुले के तौर पर की थी।

हो सकता है कि यह बात मामूली लगे, पर बिना सोचे-समझे झूठे दावों को बार-बार शेयर करने से भरोसा कमज़ोर पड़ सकता है। और जहां तक पत्रकारों और न्यूजरूम की बात है, अग़र आपके पाठक छोटी-छोटी बातों के लिए आप पर भरोसा नहीं कर सकते, तो वे बड़ी बातों के लिए आप पर कैसे भरोसा करेंगे? इसलिए, थोड़ा सा भावनात्मक संदेहवाद बेहद ज़रूरी है। इससे फ़र्क नहीं पड़ता कि सत्यापन या डिजिटल साक्षरता के मामले में आप कितने प्रशिक्षित हैं, इससे फ़र्क नहीं पड़ता कि राजनीति की दुनिया में आप वामपंथी हैं या दक्षिणपंथी। इंसान गलत-सूचना से बड़ी आसानी से प्रभावित हो जाते हैं। आज चारों-ओर डर और अनिश्चितता का माहौल है, और ऐसे में कोई भी इन झूठों से सुरक्षित नहीं है, यही कारण है कि यह सबक याद रखना सबसे ज़रूरी है कि कोई सूचना आपको कैसा महसूस कराती है। अगर किसी दावे से आपको चीखने, चिल्लाने, रोने, या तुरंत कुछ खरीदने पर मजबूर कराती है, तो समझ जाइए कि आपको रुककर सांस लेने की ज़रूरत है।

 

सत्यापन

सत्यापन के 5 स्तंभ

सत्यापन डराने वाला हो सकता है, पर दोहराव से, अटलता से, और थोड़ी सी रचनाशीलता के साथ डिजिटल पड़ताल के टूल्स का इस्तेमाल करने से इसे आसान बनाया जा सकता है। ऑनलाइन कंटेंट का सत्यापन करने का ऐसा कोई रटा-रटाया तरीका या चरण-समूह नहीं है जो हर बार काम करे। इसमें तो आपको सही सवाल पूछने होते हैं और अधिकतम संभव जवाब खोजने होते हैं।

चाहे आप किसी चश्मदीद गवाह का वीडियो देख रहे हों, कोई संभावित डीपफेक देख रहे हों या फिर कोई मीम, सभी की बुनियादी जांचें एक जैसी ही होती हैं। हर स्तंभ के बारे में आपको जितना अधिक पता होगा, आपका सत्यापन उतना ही अधिक मज़बूत होगा।

  1. उत्पत्तिस्थान: क्या आपकी नज़रों के सामने कॉन्टेंट की मूल प्रति है?
  2. स्रोत: कॉन्टेंट की मूल प्रति किसने रिकॉर्ड की?
  3. दिनांक: कॉन्टेंट कब रिकॉर्ड की गई थी?
  4. स्थान: कॉन्टेंट कहां रिकॉर्ड की गई थी?
  5. प्रेरणा: कॉन्टेंट क्यों रिकॉर्ड की गई थी?


एक सत्यापन कार्यप्रवाह स्थापित करें

अब जबकि आप जानते हैं कि कौनसे सवाल पूछने हैं, ये रहे तीन मुख्य चरण जो किसी भी सत्यापन कार्यप्रवाह पर लागू होते हैं:

  1. हर चीज़ दस्तावेज़ीकृत करें। सूचनाओं के महत्वपूर्ण टुकड़े आसानी से खो जाते हैं। आपके सत्यापन की पारदर्शिता के लिए भी दस्तावेज़ीकरण ज़रूरी है। स्क्रीनशॉट लें या  वेबैक (Wayback) मशीन जैसी किसी सेवा में बैकअप लें।
  2. एक टूलबॉक्स व्यवस्थित करें। टूल्स की एक सूची बनाकर रखें, उन्हें बुकमार्क कर लें, और सहकर्मियों से शेयर करें। रिवर्स इमेज सर्च करने वाली उस वेबसाइट का नाम क्या है – यह याद करने में समय बर्बाद न करें। हमारे पास एक बेसिक वेरिफ़िकेशन टूलकिट है जिसे आप बुकमार्क कर सकते हैं।
  3. फोन उठाना न भूलें। कभी-कभी पुराने दौर की एनालॉग पत्रकारिता चीजों के सत्यापन का सबसे तेज़ तरीका सिद्ध हो सकती है।

सत्यापन बहुत ज़रूरी है पर निरर्थक चीजों में फंसने से बचें। अक्सर सत्यापन में बस कुछ मिनट लगते हैं, पर कभी-कभी यह आपको किसी अंतहीन रास्ते पर ले जाता है। जानें कि कब पीछा करना रोक देने का समय हो गया है।

रिवर्स इमेज सर्च से तस्वीरों का सत्यापन करें

एक तस्वीर हज़ार शब्दों के बराबर होती है, और जब बात दुष्प्रचार की हो तो एक तस्वीर हज़ार झूठों के बराबर भी हो सकती है। फ़र्स्ट ड्राफ़्ट में हम गलत-सूचना के जो सबसे आम प्रकार देखते हैं उनमें से एक कुछ ऐसा होता है: असली फोटोग्राफ या वीडियो, जिन्हें बिल्कुल भी एडिट नहीं किया गया है, पर उन्हें किसी नई कहानी में फ़िट करने के लिए बार-बार शेयर कर दिया जाता है।

पर जब इस प्रकार की तस्वीरें ऑनलाइन और संदेश समूहों में शेयर की जाती हैं तो आप मात्र कुछ क्लिक्स की मदद से उनका सत्यापन कर सकते हैं।

जिस प्रकार आप तथ्यों और दावों को “Google” कर सकते हैं, उसी प्रकार आप सर्च इंजन से इंटरनेट पर मिलती-जुलती तस्वीरें और मैप्स तलाश कर यह जांच सकते हैं कि उनका पहले भी इस्तेमाल हुआ है या नहीं। इसे ‘रिवर्स इमेज सर्च’ कहते हैं और विभिन्न सर्च इंजन्स, जैसे Google, बिंग, रूसी वेबसाइट यान्डेक्स (Yandex), या अन्य डेटाबेस जैसे टिनआई (TinEye)की मदद से यह सर्च की जा सकती है।

जनवरी में फ़ेसबुक ने बताया कि (नीचे दिखाया गया) फोटोग्राफ हज़ारों बार शेयर हुआ जिसमें दावा किया गया था कि तस्वीर में दिख रहे लोग चीन के कोरोनावायरस पीड़ित हैं। इमारतों की बनावट पर एक नज़र डालते ही पता चलता है कि ये इमारतें काफ़ी हद तक यूरोपीय शैली में हैं, जिससे संदेह पैदा होता है। और फिर अग़र हम इस तस्वीर को लेकर किसी रिवर्स इमेज सर्च इंजन में जांचें, और ढूंढें कि पहले इसका प्रकाशन कहां-कहां हुआ है, तो हम पाते हैं कि मूल प्रति 2014 की है। यह तस्वीर मूल रूप से रॉयटर्स ने प्रकाशित की थी और यह फ़्रेंकफ़र्ट की एक कला परियोजना की है जिसमें लोग एक नाज़ी यातना शिविर के पीड़ितों की याद में सड़कों पर लेट गए थे।

जर्मनी में 2014 में आयोजित एक कला परियोजना की तस्वीर, जिसे 2020 में फ़ेसबुक पर शेयर किया गया, इस झूठे दावे के साथ कि तस्वीर में दिख रहे लोग चीन के कोरोनावायरस पीड़ित हैं।
स्रोत: Kai Pfaffenbach रॉयटर्स (Kai Pfaffenbach Reuters)Reuters

आप इन कुछ टूल्स का उपयोग कर सकते हैं:

  • डेस्कटॉप: रेवआई (RevEye) के प्लगइन से आप अपने ब्राउज़र से निकले बिना ही इंटरनेट पर किसी भी तस्वीर की खोज कर सकते हैं।
  • फोन: टिनआई (TinEye) से आप यही कार्य अपने फोन पर कर सकते हैं

इस पूरी प्रक्रिया में बस कुछ सेकंड लगते हैं, पर यह ज़रूर याद रखें कि जब भी आपको कुछ झटकेदार या आश्चर्यजनक दिखे तो उसे जांच ज़रूर लें।

जिओलोकेशन के इस्तेमाल से पता लगाना कि फोटो या वीडियो कहां लिया गया था

अधिकतर सोशल नेटवर्क्स पर जब आप कोई पोस्ट, इमेज या वीडियो अपलोड करते हैं तो वह आपसे पूछता है कि आप कहां हैं। वह अक्सर आपके फोन का GPS पोज़ीशन जानकर आपको आपके स्थान का सुझाव देकर आपकी मदद करता है। पर आप उस सुझाव को अनदेखा कर सकते हैं। इसका यह मतलब है कि आप सोशल मीडिया पर दिखने वाली पोस्ट्स में बताए गए स्थान पर भरोसा नहीं कर सकते हैं। यानि आपको खुद जासूसी करनी होगी।

हम सभी में चीजों के अवलोकन का शक्तिशाली कौशल होता है, जो, थोड़ी सी गूगलिंग के साथ, हमें फटाफट यह तय करने में मदद दे सकता है कि कोई फोटो सच में वही है या नहीं जिसका वह दावा करता है। न्यू यॉर्क पोस्ट के इस ट्वीट को देखें। यह मैनहैटन में कोरोनावायरस के पहले पुष्ट मामले के बारे में है। उस इलाके की जनप्रतिनिधि, सीनेटर एलेसेंड्रा बियाजी ने तुरंत ही टिप्पणी करते हुए कहा कि वह फोटोग्राफ क्वीन्स में खींचा गया है। उन्हें यह बात कैसे पता चली?

इस मामले में, हम फोटो में दिख रहे मार्ग व दुकान के संकेतों का उपयोग करके किसी मैप पर यही स्थान ढूंढ सकते हैं। “Duane Reade” “Main Street” “New York” सर्च करें और आपके सामने तीन विकल्प आएंगे।

स्रोत: GOOGLE.COM

क्वीन्स का फ़्लशिंग (Flushing) शुरुआत के लिए अच्छा है क्योंकि यह एक बेहद विविधतापूर्ण इलाका है। गूगल मैप्स में उस Main Street Duane Reade पर जाने पर आप उस छोटे से पीले इंसान वाले आइकन को सड़कों पर रख कर स्ट्रीट व्यू संस्करण देख सकते हैं। वहां से आपको वही इमारतें फोटोग्राफर की नज़र से दिखेंगी।

अगर फोटो बाहर लिया गया है, तो इमारतों की निर्माण शैली, मार्ग के संकेतों, लोगों के पहनावे, कारें सड़क के किस ओर चल रही हैं, दुकानों/व्यापारों के नाम क्या हैं, आदि में संकेत तलाशें। आप क्या खोज और सत्यापित कर सकते हैं? क्या आप दुकानों/व्यापारों के नाम तलाश सकते हैं? क्या आप यही स्थान किसी मैप पर ढूंढ सकते हैं?

अगर फोटो किसी इमारत के अंदर खींचा गया है, तो बिजली के प्लग, पोस्टर्स की भाषा, और टीवी पर दिखाए जा रहे मौसम व अन्य चीजों पर नज़र डाल सकते हैं।

अपने अवलोकन कौशल का अभ्यास करने के लिए, हमारी इंटरैक्टिव ऑब्जरवेशन चैलेंज का सामना करें। और अग़र आप पेशेवर हैं, तो हमारी एडवांस्ड जिओलोकेशन चैलेंज का सामना करें।

थम्बनेल्स और इनविड (InViD) से वीडियो का सत्यापन करना

जब भी आप इंटरनेट पर कोई वीडियो अपलोड करते हैं, तो उसका एक थम्बनेल या स्क्रीनशॉट बन जाता है जो प्रीव्यू के रूप में दिखता है। आप उसे बदल सकते हैं, पर अधिकतर लोग ऐसा नहीं करते हैं। जिस प्रकार आप रिवर्स इमेज सर्च से पता लगा सकते हैं कि कोई फोटोग्राफ इंटरनेट पर पहले भी प्रकाशित हो चुका है या नहीं, उसी प्रकार आप थम्बनेल्स का इस्तेमाल करके पता लगा सकते हैं कि अमुक वीडियो को पहले भी ऑनलाइन पोस्ट किया जा चुका है या नहीं।

थर्मल कैमरों से लोगों को पाद मारते हुए दिखाने वाला वीडियो मूल रूप से 2016 में बनाया गया था  
स्रोत: बनाना फ़ैक्टरी

मिसाल के तौर पर, इस बेआवाज, पर भयंकर वीडियो ने संभावित कोरोनावायरस रोगियों के तापमान की निगरानी करने वाले थर्मल कैमरों की मदद से लोगों को पाद मारते हुए दिखाने का दावा किया था। पर वीडियो के स्क्रीनशॉट्स की रिवर्स इमेज सर्च करने पर आप देख सकेत हैं कि  मूल वीडियो 2016 में बनाया गया एक चुटकुला है। बनाना फ़ैक्टरी नामक एक ऑनलाइन समूह ने यह वीडियो बनाया था जिसने वीडियो बनाने के बाद कंप्यूटर से उसमें गंदे-गंदे ‘बादल’ जोड़ दिए थे, और फिर उसे लैडबाइबिल (LadBible) और रेडिट (Reddit) जैसी वेबसाइट्स ने शेयर कर दिया।

दुनियाभर में फैक्ट-चेकर (तथ्यों की जांचकर्ता) ऐसे वीडियो का सत्यापन कर रहे हैं जो कोरोनावायरस के लक्षणों या प्रभावों को दर्शाने का झूठा दावा करते हैं; ये सभी वीडियो पुराने वीडियो हैं जिन्हें नए शीर्षक के साथ दोबारा शेयर कर दिया गया है। जैसा कि WHO के प्रमुख डॉ टेड्रोस ने कहा, दुनिया पर इस प्रकार की डर फैलाना, असल बीमारी से कहीं अधिक ख़तरनाक होता है, जिससे लोगों में दहशत फैलती है, और वे संसाधन निचोड़ लिए जाते हैं जिनका दुनिया की असली समस्याओं से निपटने में बेहतर इस्तेमाल हो सकता है।

रिवर्स इमेज सर्च का इस्तेमाल करके, आप किसी भी वीडियो से कई थम्बनेल लेकर जांच सकते हैं कि उसे पहले भी इंटरनेट पर पोस्ट किया जा चुका है या नहीं। इनविड (InVid) के वीडियो वेरिफिकेशन प्लगइन में इमेज और वीडियो के सत्यापन के लिए कुछ बेहद असरदार टूल्स मौजूद हैं, और उनके “क्लासरूम” खंड में अन्य ट्यूटोरियल एवं उपयोगी चीजें भरी पड़ी हैं। तो इससे पहले कि आप वह क्लिप अपने चैट समूह से शेयर करें, जांच लें कि कहीं आप मूर्ख तो नहीं बन रहे हैं।

डिजिटल फ़ुटप्रिंट से अकाउंट का सत्यापन कैसे करें

इस समय सोशल मीडिया ऐसे लोगों से भरा हुआ है जो यह दावा करते हैं कि उनके पास भरोसेमंद मेडिकल सलाह है। किसी व्यक्ति की सोशल मीडिया प्रोफ़ाइल के जरिए यह जांचने के कई तरीके हैं कि व्यक्ति वही है या नहीं जो होने का वह दावा करता है। ऑनलाइन स्रोतों की डिजिटल फ़ुटप्रिंटिंग और सत्यापन की इन बुनियादी तकनीकों का पालन करें:

एक उदाहरण और पालन के लिए तीन साधारण नियम

स्रोत: twitter.com

आइए एक मेडिकल पेशेवर की ट्विटर प्रोफ़ाइल का सत्यापन करके अभ्यास करते हैं: कैरोल हेनरी। कैरोल कोविड-19 के बारे में ट्वीट करती रहीं हैं और उसके बायो में लिखा है कि वह एक “B सेल इम्युनॉलजिस्ट” है।

पर हम कैसे निश्चित करें कि उसका विवरण सच्चा है? प्रोफ़ाइल से हमें कुछ ज़्यादा सूचना नहीं मिलती: उनके पास नीला “सत्यापित” निशान नहीं है; वह किसी पेशेवर या अकादमिक वेबसाइट से जुड़ी नहीं है; वह ट्विटर पर अभी जनवरी 2020 में ही आई है; और उन्होंने केवल 10 ट्वीट किए हैं।

थोड़ी खोजबीन से हमें उसके बारे में काफ़ी कुछ पता चल सकता है।

नियम #1: प्रोफ़ाइल पिक्चर की रिवर्स इमेज सर्च करें

रिवर्स इमेज सर्च शक्तिशाली तरीका हैं क्योंकि इनसे आपको बस कुछ सेकंड में ढेर सारी जानकारी मिल जाती है। हमारी सलाह है कि आप  रेवआई (RevEye) रिवर्स इमेज सर्च एक्सटेंशन से रिवर्स इमेज सर्च करें, जिसे आप Google क्रोम या फ़ायरफ़ॉक्स पर डाउनलोड कर सकते हैं।

जब रेवआई(RevEye) इंस्टॉल हो जाए, तो कैरल के प्रोफ़ाइल पिक्चर पर क्लिक करके उसे बड़ा करें। अब, इमेज पर राइट क्लिक करें, मेन्यू में “रिवर्स इमेज सर्च” ढूंढें, और “Google सर्च” चुनें।

आपके ब्राउज़र में एक नया टैब खुलना चाहिए। अग़र आप नीचे तक जाएंगे, तो आपको “Pages that include matching images” (मेल खाने वाले चित्रों से युक्त पेज) नामक एक मददगार खंड मिलेगा। उन पर नज़र डालें।

स्रोत: साइंस लाइफ

शुरु वालों में से एक नतीजा शिकागो यूनिवर्सिटी के मेडिकल स्कूल के किसी लेख जैसा दिखता है।
स्रोत: यूनिवर्सिटी ऑफ़ शिकागो
नीचे जाने पर, हम देख सकते हैं कि कैरल की वही तस्वीर मौजूद है, और एक कोटेशन है जिसमें लिखा है कि वह यूनिवर्सिटी में एक पोस्टडॉक्टोरल फ़ेलो है। तस्वीर के नीचे लिखा है कि उनका नाम “कैरल डुनैन्ड” है। यह एक ऐसी रोचक जानकारी है जिसका इस्तेमाल हम बाद में कर सकते हैं।

स्रोत: लिंक्डइन
रिवर्स इमेज सर्च के नतीजे हमें एक लिंक्डइन प्रोफ़ाइल तक भी ले जाते हैं, जिसमें लिखा है कि वह शिकागो यूनिवर्सिटी में एक स्टाफ़ साइंटिस्ट है और उसे इम्युनॉलजिस्ट के रूप में कार्य करने का 10 वर्षों का अनुभव है।

नियम #2: प्राथमिक स्रोत जांचें

स्रोत: Google.com

पत्रकारिता का महत्वपूर्ण नियम याद रखें: यदि उपलब्ध हों तो हमेशा प्राथमिक स्रोत जांचें। इस मामले में, यदि हम यह पुष्टि करना चाहते हैं कि कैरोल हेनरी शिकागो यूनिवर्सिटी में साइंटिस्ट है या नहीं, तो शिकागो यूनिवर्सिटी की स्टाफ़ डायरेक्टरी इसका प्राथमिक स्रोत होगी। Google पर “Carole Henry University of Chicago” खोजने पर हम “विल्सन लैब” के पेज पर पहुंचते हैं। इस पेज पर शिकागो यूनिवर्सिटी का वेब पता है, और स्टाफ़ सूची में उनका नाम मौजूद है।

नियम #3: संपर्क जानकारी खेजें

स्रोत: http://profiles.catalyst.harvard.edu/

हालांकि संभावना कम है, पर हो सकता है कि हमें जो मूल ट्विटर प्रोफ़ाइल मिला है उसे बनाने वाला व्यक्ति शिकागो यूनिवर्सिटी की कैरोल हेनरी का वेष धरे हुए है। सच में विस्तृत सत्यापन के लिए, संपर्क जानकारी तलाशें ताकि आप स्रोत तक पहुंच सकें।

वह दूसरा नाम याद है जो हमें मिला था – “कैरल डुनैन्ड”? “Carole Dunand University of Chicago” खोजने पर हम सीधे एक अन्य स्टाफ़ डायरेक्टरी तक पहुंचते हैं, और इस डायरेक्टरी में उसका ईमेल पता है।

अकाउंट सत्यापन में ये कुछ और सवाल आपकी मदद करेंगे

  • अकाउंट कब बनाया गया था?
  • क्या आप उस व्यक्ति को ऑनलाइन कहीं और ढूंढ सकते हैं?
  • वह और किसे फ़ॉलो करता है?
  • क्या उसी नाम से और अकाउंट भी हैं?
  • क्या आपको कोई संपर्क विवरण मिल सकता है?

एक सत्यापन केस स्टडी

यहां हम एक के स्टडी को देखेंगे, जिसमें Twitter पर पोस्ट किया गया एक वीउियो शामिल है, जिसमें यह दावा किया गया था कि कोरोनावायरस का एक इटैलियन मरीज एक अस्पताल से भाग रहा है। हम अपनी सत्यापन प्रक्रिया का उपयोग करके और उत्पत्तिस्थान / मूल स्रोत, स्रोत, दिनांक, स्थान, और प्रेरणा के पांच स्तंभों का उपयोग करके पाते हैं कि यह क्लिप वैसी नहीं है जैसी दिखने का दावा करती है।

 

रिपोर्टिंग

टिपिंग प्वॉइंट्स को समझिए

जब आप गलत-सूचना और दुष्प्रचार देखते हैं, तो सबसे पहले आपके मन में उसे खारिज करने की, झूठ / गलत बात का पर्दाफाश करने की, जनता को यह बताने और समझाने की इच्छा जागती है कि क्या चल रहा है, और क्यों वह झूठ है। पर गलत-सूचना पर रिपोर्टिंग करना पेचीदा हो सकता है। हमारे दिमाग़ जिस तरह से कार्य करते हैं उसके चलते हम हम ये याद नहीं रख पाते हैं कि क्या सच है और क्या झूठ। प्रायोगिक शोध दिखाता है कि लोगों को यह बताना कितना आसान है कि कोई चीज झूठ है, और फिर बाद में कभी उनसे पूछे जाने पर वे उसे ही सच बता देते हैं। सुर्खियां लिखने, और कोई चीज झूठ है यह समझाने के कुछ उत्तम तरीके हैं, जिन पर हम अगले खंड में नज़र डालेंगे। दुर्भाग्य से, अच्छे इरादे से की गई रिपोर्टिंग भी आग में घी डाल सकती है और ऐसे कंटेंट को कहीं अधिक लोगों तक पहुंचा सकती है जो रिपोर्टिंग नहीं किए जाने की स्थिति में अपने-आप ही गुम हो गया होता। टिपिंग प्वॉइंट को समझना यह जानने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है कि चीजों को कब खारिज करना है।

परिवर्धन की तुरही

नीचे दिया गया चित्र आपको यह याद दिलाता है कि किस तरह गलत संदर्भ विभिन्न सोशल प्लेटफ़ॉर्म्स में पहुंच सकता है। इसकी शुरुआत बेनामी संदेश बोर्ड्स जैसे 4चैन (4Chan) से, और टेलीग्राम, वॉट्सएप एवं ट्विटर पर निजी संदेश चैनल्स के जरिए हो सकती है। उसके बाद वह रेडिट (Reditt) और यूट्यूब जैसे प्लेटफ़ॉर्म्स पर मौजूद आला दर्जे के समुदायों में फैल सकता है, और उसके बाद सबसे लोकप्रिय सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म्स में। वहां से वह पत्रकारों के हाथ में आ सकता है, जो झूठी सूचना को खारिज करके या उनकी रिपोर्टिंग करके उसे और प्राणवायु दे देते हैं।

जैसा कि एलिस मार्विक और रेबेका लुइस ने अपनी 2017 की रिपोर्ट,  ऑनलाइन दुनिया में मीडिया द्वारा हेर-फेर और दुष्प्रचार, में लिखा है कि “हेर-फेर करने वालों के लिए इससे कोई फ़र्क नहीं पड़ता कि मीडिया किसी ख़बर या अफ़वाह को खारिज करने के लिए उस पर रिपोर्टिंग कर रही है; उनके लिए मीडिया कवरेज पाना ही सबसे महत्वपूर्ण चीज होती है।”

सिराक्यूज़ यूनिवर्सिटी की प्रोफ़ेसर विटनी फिलिप्स ने भी इस बारे में लिखा है कि ऑनलाइन दुनिया में समस्यादायी सूचनाओं को कवर कैसे किया जाए। उनकी 2018 की डेटा एवं समाज रिपोर्ट,  Oxygen of Amplification: Better Practices for Reporting on Extremists, Antagonists, and Manipulators Online, स्पष्ट करती है कि:

“जब आम नागरिक सोशल मीडिया पर झूठी, दुर्भावनापूर्ण, या हेर-फेर करने वाली सूचनाएं फैलाने में मदद करते हैं तो यही अपने-आप में काफ़ी समस्यादायी स्थिति होती है। तो जब पत्रकार, जिनके कार्य लाखों-करोड़ों तक पहुंचते हैं, यही कार्य करेंगे तो यह निश्चित रूप से और अभी अधिक समस्यादायी स्थिति होगी।”

टिपिंग प्वॉइंट

सभी परिदृश्यों में, कार्य करने का कोई आदर्श तरीका नहीं है। रिपोर्टिंग के कृत्य मात्र से हमेशा ही परिवर्धन का जोख़िम जुड़ा होता है, और न्यूजरूम्स को ख़बरों में लोकहित और कवरेज के संभावित दुष्परिणामों के बीच संतुलन बनाकर रखना ही चाहिए।

हमारा कार्य सुझाता है कि जब बात दुष्प्रचार को कवर करने की हो, तो हमारे सामने एक टिपिंग प्वॉइंट होता है।

कुछ ज़्यादा ही जल्दी रिपोर्टिंग करना

बहुत देर से रिपोर्टिंग करना

उन अफ़वाहों या भ्रामक विषय को प्राणवायु दे सकता है जो अन्यथा अपने-आप ही गुम हो जातीं। यानि झूठ / गलत बात अपने पैर जमा लेता है और उसे रोका नहीं जा सकता है – वह एक “रक्तबीज अफ़वाह” बन जाता है, जो ख़त्म ही नहीं होता है।

टिपिंग प्वॉइंट्स के बारे में याद रखने योग्य कुछ मुख्य बातें:

  • कोई एक अकेला टिपिंग प्वॉइंट नहीं होता है – टिपिंग प्वॉइंट को तब मापा जा सकता है जब वह किसी आला दर्जे के समुदाय से निकलकर किसी एक प्लेटफ़ॉर्म पर तेज़ी से फैलने लगता है या अन्य प्लेटफ़ॉर्म्स पर जाने लगता है। आप दुष्प्रचार पर नज़र रखने में जितना समय बिताते हैं, टिपिंग प्वॉइंट उतना ही स्पष्ट होता जाता है – यह न्यूजरूम्स के लिए दुष्प्रचार को गंभीरता से लेने का एक और कारण है।
  • फैलाव पर विचार करें – यानि लोगों की वह संख्या जिसने कंटेंट को देखा या उसके साथ इंटरेक्ट किया है। उपलब्ध डेटा, जो कि आमतौर पर बस शेयर, लाइक, रीट्वीट, व्यू, और कमेंट होते हैं, इनकी मदद से इसे संख्या रूप में मापना कठिन हो सकता है। पर कोशिश करना ज़रूरी है। छोटे या आला दर्जे के समुदाय भी ऑनलाइन दुनिया में अधिक महत्वपूर्ण दिखाई पड़ सकते हैं। यदि कंटेंट को बहुत कम प्रतिक्रिया मिल रही है, तो संभव है कि उसका सत्यापन करने या उसके बारे में लिखने की आवश्यकता ही न हो।
  • सहकार्य ज़रूरी है – टिपिंग प्वॉइंट का पता लगाना कठिन हो सकता है, अतः यह अनौपचारिक सहकार्य का एक अवसर बन सकता है। विभिन्न न्यूजरूम्स कवरेज के फ़ैसलों के बारे में अपनी चिंताओं की तुलना कर सकते हैं। अक्सर ही पत्रकार इस डर से अफ़वाहों की रिपोर्टिंग कर देते हैं कि उनके प्रतिद्वंद्वी उनसे ‘बाज़ी मार ले जाएंगे’ – और दुष्प्रचार के कर्ता-धर्ता यही तो चाहते हैं।

टिपिंग प्वॉइंट का निर्धारण करने में मददगार कुछ उपयोगी सवाल:

  1. कंटेंट को कितनी प्रतिक्रियाएं मिल रही हैं?
  2. क्या कंटेंट एक समुदाय से दूसरे समुदाय में जा रहा है?
  3. क्या कंटेंट एक से अलग अलग प्लेटफार्म पर जा रहा है?
  4. क्या एक प्रभावशाली व्यक्ति ने इसे शेयर किया है?
  5. क्या अन्य पत्रकार एवं न्यूज़ मीडिया उसके बारे में लिख रहे हैं?

टिपिंग प्वॉइंट का निर्धारण कोई सटीक विज्ञान नहीं है, पर मुख्य बात यह है कि ज़रा थम जाएं और कंटेंट को खारिज करने या उसकी असलियत सबके सामने लाने के लिए ऊपर बताई गई चीजों पर विचार करें।

सुर्खियों का महत्व

सुर्खियां बेहद महत्वपूर्ण होती हैं, क्योंकि अक्सर पाठकों को पूरे लेख में से केवल वे ही नज़र आती हैं। 2016 में हुए एक अध्ययन में, कोलंबिया यूनिवर्सिटी और माइक्रोसॉफ़्ट रिसर्च-इनरिया जॉइंट सेंटर के कंप्यूटर वैज्ञानिकों ने यह आकलन किया कि ट्विटर पर मेन्शन की गईं 59% लिंक पर क्लिक की ही नहीं गई थी, जिससे इस बात की पुष्टि हुई कि लोग लेखों को पढ़े बिना ही शेयर कर देते हैं।

दुष्प्रचार पर न्यूजरूम्स जो रिपोर्टिंग कर रहे हैं उसमें उन्हें सुर्खियां ध्यान से और सटीकता से गढ़नी चाहिए, ताकि झूठ का परिवर्धन न हो, आरोप लगाने वाली भाषा का उपयोग न हो, या भरोसा न घटने पाए।

यहां हम गलत-सूचना के बारे में रिपोर्टिंग करते समय सुर्खियां लिखने के कुछ सर्वोत्तम तौर-तरीके शेयर करेंगे, जो मनोवैज्ञानिकों जॉन कुक एवं स्टीफन लेवैन्डोस्की एवं उनके सहकर्मियों द्वारा रचित डीबंकिंग (खारिज करना) हैंडबुक पर आधारित हैं।

समस्या

समाधान

सुपरिचय बैकफायर प्रभाव
झूठ /गलत बात को ठीक करने के उद्देश्य से उन्हें बार-बार दोहराने से,  झूठ /गलत बात को और भी सुपरिचित बना सकता है, और उसके सच मान लिए जाने की संभावना और बढ़ जाती है।
तथ्यों पर फ़ोकस करें
झूठ को ठीक करते समय उसे बेकार ही बार-बार दोहराने से बचें। जहां भी संभव हो वहां, झूठ को दोहराने से पहले पाठकों को चेतावनी दे दें।
आधिक्य बैकफायर प्रभाव
किसी सूचना को प्रोसेस करना जितना आसान होगा, उसे स्वीकार करने में उतनी ही आसानी होगी। कम विवरण अधिक प्रभावी हो सकता है।
सरल करें
अपने कंटेंट को साधारण, संक्षिप्त, और पढ़ने में आसान रखते हुए उसे समझना आसान बनाएं।
अपनी बातें स्पष्ट करने के लिए ग्राफिक्स का उपयोग करें।
वैश्विक नजरिया बैकफायर प्रभाव
लोग सूचनाओं को अपने पूर्वग्रहों के चश्मे से देखते हैं।  जब खारिज करने की कोशिशें किसी व्यक्ति की विश्वधारणा को ख़तरे में डालती हैं, तो अपनी धारणा में सबसे गहरे फंसे हुए व्यक्तियों का अपनी उस धारणा में विश्वास और गहरा हो जा सकता है।
उपहास से बचें
उपहास या अपमानजनक टिप्पणियों से बचें।  खारिज करने के लेख को ऐसे ढांचे में लिखें जो व्यक्ति की विश्वधारणा को कम-से-कम ख़तरे में डालता हो।
विकल्पों की अनुपस्थिति
किसी चीज पर झूठ का लेबल मढ़ देने, पर स्पष्टीकरण नहीं देने से अक्सर लोगों के मन में सवाल छूट जाते हैं। यदि अफ़वाहों को खारिज करने वाला कोई व्यक्ति इन सवालों के जवाब नहीं देता है, तो लोग गलत सूचनाओं पर ही निर्भर बने रहेंगे।
जवाब दें
अफ़वाह खारिज करने से जो भी सवाल पैदा होते हों उनके जवाब दें।

ध्यानपूर्वक तस्वीरों का प्रयोग करना और शेयर करना

तस्वीरें बेहद प्रभावशाली होते हैं और उनका उपयोग ध्यानपूर्वक करना चाहिए। यह ज़रूरी है कि जो भी फोटो या चित्र हैं उन पर हम ध्यानपूर्वक विचार करें, और संदर्भ प्रदान करें, और रूढ़ियों को बढ़ावा दे सकने वाले स्टॉक चित्रों से बचकर निकलने की कोशिश करें।

हमें संदर्भ के बारे में भी बहुत ध्यानपूर्वक सोचना है, विशेष रूप से तब जब बात आम जनता को दिखाने वाली सोशल मीडिया पोस्ट जोड़ने की हो। हो सकता है कि वह चित्र बस कुछ ही लोगों के लिए हो, और जैसे-जैसे वह परिवर्धित और शेयर होता जाएगा, वैसे-वैसे उसका मूल संदर्भ खोता जाएगा। यहां तक कि विश्वसनीय समाचार संगठनों द्वारा ध्यानपूर्वक सही संदर्भ में प्रस्तुत चित्रों को भी लेकर संदर्भ से हटाकर प्रयोग किया जा सकता है, और दूर-दूर तक फैलाया जा सकता है।

विदेशियों के प्रति घृणा को बढ़ावा देना

फ़ेस मास्क पहने किसी एशियाई व्यक्ति का तस्वीर इस्तेमाल करने से पहले, उदाहरण के तौर पर, खुद से पूछें कि आपके लेख के लिए यह चित्र क्यों ज़रूरी है। क्या आपके लेख का विषय एशियाई लोग हैं? क्या आपका लेख वायरस का प्रसार रोकने में फ़ेस मास्क की दक्षता के बारे में है? एशियाई अमेरिकी पत्रकार संघ ने कोविड-19 की रिपोर्टिंग में विदेशियों से घृणा और जातिवाद को बढ़ावा देने से बचने के संबंध में मददगार मार्गदर्शन जारी किया है।

घबराहट पैदा करना

यही बात बेवजह घबराहट पैदा कर सकने वाले तस्वीरों पर भी लागू होती है। क्या आपके द्वारा हैज़मैट सूट पहने लोगों के चित्र के उपयोग से पाठकगण बेचैन हो जाएंगे? क्या एक एंबुलेंस, और घर में घुसने के इंतजार में खड़ी एक खाली ट्रॉली के चित्र के प्रयोग से डर उत्पन्न होगा? आज, जबकि वायरस के प्रभाव के बारे में चिंताएं बढ़ रही हैं, तो ऐसे में हेडर चित्रों के प्रभाव के बारे में सोचना ज़रूरी हो जाता है।

आप इन कुछ दिशानिर्देशों का पालन कर सकते हैं:

  • घबराहट बढ़ाने वाले चित्रों से बचें और ऐसे चित्र उपयोग में लाएं जो उन व्यवहारों को सुदृढ़ बनाते हों जिनका हम लोगों द्वारा पालन करवाना चाहते हैं।
  • रूढ़ियों पर आधारित चित्रों से बचें।
  • ऐसे सोशल मीडिया पोस्ट और चित्र शामिल करने के प्रति सावधान रहें जो उनमें शामिल लोगों पर उल्लेखनीय प्रभाव डाल सकते हैं।

डेटा शून्यताएं भरना

माइक्रोसॉफ़्ट रिसर्च से जुड़े माइकल गोलेब्यूस्की और डैना बॉइड ने सबसे पहले “डेटा शून्यता” शब्द का उपयोग ऐसे खोज प्रश्नों का वर्णन करने के लिए किया था जहां “उपलब्ध संबंधित डेटा सीमित है, है ही नहीं, या अत्यधिक समस्यादायी है।”

माइक्रोसॉफ्ट रिसर्च एंड डाटा एंड सोसाइटी के  गोलेब्यूस्की और डैना बॉइड लिखते हैं कि ब्रेकिंग न्यूज़ वाले हालात में, जब जवाब खोजने के लिए “लोग नामों, हैशटैग, या अन्य सूचनाओं का उपयोग करते हैं और उससे ऐसी नई खोजों की एक लहर पैदा होती है जो अभी तक नहीं की गई थीं”, तो पाठकगणों का सामना डेटा शून्यताओं से होता है।

न्यूजरूम्स को उन कोविड-19 संबंधी सवालों या मुख्य शब्दों के बारे में सोचना चाहिए जिनकी पाठकों द्वारा खोज किए जाने की संभावना है, यह तलाशना चाहिए कि इन सवालों से संबंधित कंटेंट कौन बना रहा है, और डेटा शून्यताओं को अच्छी क्वालिटी की सूचनाओं से भर देना चाहिए।

यह कार्य, गूगल ट्रेंड्स का उपयोग करने के लिए यह पता लगाने का संगत भाग है कि लोग क्या खोज रहे हैं। प्रक्रिया की रिवर्स इंजीनियरिंग करें: जब लोग कोरोनावायरस से संबंधित सवाल टाइप करते हैं, तो उन्हें क्या मिलता है?

पाठक कोविड-19 के बारे में कौनसे सवाल पूछ रहे हैं यह पता लगाना, और डेटा शून्यताओं को अच्छी क्वालिटी की सूचनाओं से भरना ज़रूरी है। उदाहरण के लिए, नीचे इस सवाल के गूगल परिणाम पेज का स्क्रीनशॉट है कि, “क्या मुझे सामानों से कोरोनावायरस हो सकता है”।

जवाब ढूंढ रहे पाठकों को अमेरिकी संसद के कोरोनावायरस आपातकालीन व्यय के बारे में कुछ समाचार मिलेंगे, जिनकी उन्हें तलाश संभवतः नहीं ही है।

पूछे जा रहे प्रश्न खोजने के लिए Google ट्रेंड्स का उपयोग करना

स्रोत: trends.google.com

Google ट्रेंड्स आपको पूरी दूनिया में सार्वजनिक खोज पर निगरानी करने और जनता जिस तरह की जानकारी और जवाब चाह  रही है उन्हें देखने की अनुमति देता है।

Google ने समर्पित ट्रेंड डैशबोर्ड तैयार किया है जो कोरोनावायरस से संबंधित खोज शब्दों के बारे में डेटा प्रदर्शित करता है। गूगल की सर्च बार में लोग जो कुछ टाइप करते हैं उससे हमें इस बात का अंदाजा मिलता है कि उन्हें कौनसी सूचना चाहिए, क्या अस्पष्ट है, और किन सवालों के जवाबों की ज़रूरत है।

हमारी सिफारिश है कि आप कुछ तुलनात्मक खोजें करें क्योंकि वह आपको रूचि की समझ प्रदान करता है इसलिए, उदाहरण के तौर पर किम कदर्शियां की कोरोनावायरस लाकडॉउन के साथ तुलना करें। यहां एक चित्र में पिछले 12 महीनों में US के अंदर इन दोनों खोज विषयों की तुलना की जा रही है।

यह जानकारी होना भी उपयोगी है कि आप देश के अनुसार खोज कर सकते हैं, और जब आप यह करते हैं यह आपको क्षेत्र के अनुसार रूचि दर्शाता है। यहां अल्जीरियाई खोज पैटर्नों का एक चित्र पिछले 7 दिनों में किम कदर्शियां की ‘कन्फाइनमेंट’ (लॉकडाउन के लिए फ्रेंच शब्द) के साथ तुलना करता है। आप पहले ग्राफ के नीचे देश के क्षेत्र अनुसार एक ब्रेकडाउन देख सकते हैं।

स्वयं अपने भावनात्मक स्वास्थ्य की देखभाल करना

कोरोनावायरस वैश्विक महामारी प्रत्येक व्यक्ति के लिए चिंता-प्रेरक है, और रिपोर्टर अलग नहीं हैं। वे लोग जिन्हें आम लोगों को सूचित रखने के लिए रोजाना Covid-19 के बारे में पढ़ना होता है उन्हें सूचना के ओवरलोड का खामियाजा भुगतने का अहसास होता होगा।

वैश्विक महामारी की रिपोर्टिंग करना मनोवैज्ञानिक दबाव के “एक-दो पंच” हैं, डार्ट सेंटर फॉर जर्नलिज्म एण्ड ट्रॉमा के कार्यकारी निदेशक ब्रुस शापिरो का कहना है। रिपोर्टरों द्वारा जीवित बचे परिवारों के साथ साक्षात्कार करना, पीड़ितों के फोटो लेना और चिंतानक डेटा देखना स्वयं ही कहानी की दर्दनाक प्रकृति है, और इसका व्यक्तिगत रूप से सीधा प्रभाव पड़ सकता है। “इन कारकों का संयोजन Covid-19 की विस्तारित कहानी को बहुत से पत्रकारों के लिए चुनौतीपूर्ण बना देगा।”

शापिरो कहते हैं कि “लचीली जनजाति” जोकि पत्रकार हैं आघात का सामना करने में बहुत से लोगों से बेहतर होते हैं। परंतु बेहतर समय में भी, वे लोग जो इस उद्योग में हैं मानसिक स्वास्थ्य मामले पैदा होने के जोखिम में होते हैं

इसलिए हम यहां कोरोनावायरस प्रकोप पर रिपोर्ट कर रहे पत्रकारों के लिए स्वयं अपने मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य की देखभाल करने के लिए सात सुझावों को निर्धारित करेंगे:

  1. कलंक के प्रति जागरूक रहें
  2. कार्य और जीवन को अलग करें
  3. आधिकारिक मार्गदर्शन से जुड़े रहें
  4. सहकर्मियों को नियमित रूप से अपने हाल-चाल बताते रहें
  5. एक स्व-देखभाल योजना बनाएं
  6. अपने ट्रिगरों को पहचानें और सहायता की मांग करें
  7. स्वयं के प्रति दयालु रहें

कलंक के प्रति जागरूक रहें

त्रासदियों को कवर करने वाले पत्रकारों में विकराल आघात सामान्य बात है, और आम लोगों की तुलना में पत्रकारों में ट्रॉमा-उपरांत तनाव के उदाहरण अधिक पाए जाते हैं। निरंतर तनाव के उच्च स्तर में रहना लचीलनेपन को कार्यप्रदर्शन को खुरच डालता है और बर्नआउट की तरफ ले जा सकता है। परंतु मानसिक स्वास्थ्य के बारे में बात करने का एक कलंक बना रहता है।

“मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों पर चर्चा करने में [पत्रकारिता] अन्य पेशेवर दुनिया से बहुत पीछे रह गई है”, फिलिप ईल, प्रोविडेंस, रोड आइलैंड में स्थित एक स्वतंत्र पत्रकार, जिन्होंने पत्रकारिता और मानसिक स्वास्थ्य के बारे में व्यापक रूप से लिखा है।

रिर्पोटिंग करने के लिए साहस की जरूरत होती है, साहस प्रदर्शन की नहीं। अक्सर पत्रकार दिखावा करते हैं कि  मौत और विनाश से उन्हें फ़र्क़ नहीं पड़ता। इसने उद्योग में मानसिक स्वास्थ्य और भावना पर चर्चा करने के लिए अनिच्छा बन गया है।

“[स्वयं अपनी देखभाल करना] एक अच्छा पत्रकार होना है” – फिलिप ईल, स्वतंत्र पत्रकार और मानसिक स्वास्थ्य प्रवक्ता

“पत्रकारिता में बहुत कुछ ऐसा है जो एक स्वस्थ व्यक्ति को तनावपूर्ण, चिंतित और उदास बना देता है,” ईल कहते हैं, जिन्होंने स्वयं अपने काम के दौरान चिंता, अवसाद और बर्नआउट यानि अक्रियशीलता को महसूस किया था। “और वह बिल्कुल ठीक है।”

वे पत्रकारों को सलाह देते हैं कि मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दे पेशेवर क्षमता के उदाहरण नहीं हैं। “जान लें इस काम से आपके ऊपर प्रभाव पड़ने की संभावना है और उसके साथ ठीक रहें,” ईल का कहना है। “विषाक्त और खतरनाक कलंक मत लीजिए जो दुनिया और इस पेशे में व्याप्त है।”

कार्य और जीवन को अलग करें

चिंता से पीड़ित लोगों को विशेषज्ञ इस कठोर समय में समाचारों से दूरी बनाने की सलाह दे रहे हैं ऐसा करना पत्रकारों के लिए लगभग असंभव है, लेकिन यह संभव है कि काम और पारिवारिक जीवन के बीच एक स्पष्ट रेखा खींच दी जाए।

“जब आप परिवार और दोस्तों के साथ हों तो समय निश्चित करें जिसमें काम के बारे में बातचीत करने की अनुमति नहीं हो या जिसके दौरान आप वायरस के बारे में सभी प्रकार चर्चा पर प्रबिंध लगा सकते हैं,” कहतीं हैं रेचल ब्लंडी, हांगकांग में स्थित AFP फैक्ट चेक (तथ्यों का जांच) की सीनियर एडिटर। उनकी टीम कोरोनावायरस गलत-सूचना की फैक्ट-चेक (तथ्यों की जांच) के अग्रिम मोर्चे पर रही है लेकिन वह उनके साथ इस “लगातार चर्चा” करती रही कि कवरेज द्वारा निचोड़े जाने से कैसे बचें।

“मैं चाहती हूँ कि प्रत्येक व्यक्ति अनुभव करे कि जब वे काम पर नहीं हों तो वे स्विच ऑफ कर सकते हैं” – रेचल ब्लंडी, सीनियर एडिटर, AFP फैक्ट-चेक (तथ्यों की जांच)

“शामें और सप्ताहांत हमारे अपने होते हैं,” उन्होंने First Draft को बताया। “हम अब काम पर चर्चा करने के लिए केवल Slack इस्तेमाल करते हैं, जबकि पहले हम व्हाट्सैप इस्तेमाल करते थे। इसने काम और सामाजिक जीवन के बीच एक स्पष्ट रेखा खींचने में मदद की है। मैं चाहती हूँ कि प्रत्येक व्यक्ति अनुभव करे कि जब वे काम पर नहीं हों तो वे स्विच ऑफ कर सकते हैं।”

काम के समय के अलावा आप जो कंटेंट देखते हैं उसे सीमित करें। यदि आपको ब्रेकिंग न्यूज चाहिएं तो आपके मोबाइल डिवाइस पर अलर्ट पुश करें, उन्हें प्राप्त करने का केवल एक आउटलेट चुनें, दर्जनों नहीं।

ऐसे न्यूजलैटर की सदस्यता बंद करें जो चेतावनी जैसे विषय वाक्य उपयोग करते हैं या आपके इनबॉक्स में पहुँचते ही आपको चिंता में डाल देते हैं।

ईल का मानना है कि स्वयं की देखभाल करने के लिए आपके निजी जीवन को काम से अलग करना “सबसे सर्वश्रेष्ठ पत्रकार बनने का हिस्सा है “। “पत्रकार अपनी बीट के साथ अपडेट रहना चाहते हैं, परंतु एक अव्वल दर्जे का पत्रकार होने के लिए आपको अपने दिमाग और शरीर की देखभाल करनी होगी, अन्यथा, यह नष्ट होने वाला है,” उन्होंने First Draft को बताया। “यह एक पत्रकार के रूप में स्वयं अपने आप में निवेश करना है।”

आधिकारिक मार्गदर्शन से जुड़े रहें

वे लोग जो पहले ही मानसिक स्वास्थ्य की समस्याओं से सामना कर रहे हैं आपातस्थितियों में विशेष रूप से सहज शिकार हो सकते हैं। उन रिपोर्टरों के लिए जो पहले ही चिंता, स्वास्थ्य या दूषित चिंता सहित, जुनूनी-बाध्यकारी विकार (OCD) या काम से संबंधित तनाव के शिकार हैं, वायरस पर वैश्विक ध्यान केंद्रित होने से उनकी मुश्किल बढ़ सकती है।

हाथ-धोने से लेकर, सतहों को विषाणुरहित करने और अपना चेहरा नहीं छूने के आधिकारिक दिशार्निदेश OCD विचारों जैसे ही लग सकते हैं। वायरस से स्वयं अपनी और दूसरों की सुरक्षा के लिए आधिकारिक सलाह का पालन करना महत्वपूर्ण है, परंतु यह भी जान लें कि सिफारिश की गई पद्धतियों से ऊपर और आगे निकलना आवश्यक नहीं है।

ईल सिफारिश करते हैं कि लक्षण और एतिहात के बारे में बहुत अधिक सोच-विचार किए बगैर मुख्य तथ्यों को जान लीजिए। “आप तैयार और सर्तक होना चाहते हैं, लेकिन आप स्वच्छता बनाए रखना चाहते हैं।”

ग्राउंड पर पत्रकारों के लिए कोरोना वायरस से स्वयं सुरक्षित रहने के लिए कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स के दिशानिर्देश हैं, हम उनकी समीक्षा करने की सिफारिश करते हैं।

सहकर्मियों को नियमित रूप से अपने हाल-चाल बताते रहें

जैसे-जैसे अधिकतर देशों द्वारा सोशल डिस्टेंसिंग को प्रोत्साहन दिया जा रहा है, उसी क्रम  में ज़्यादा न्यूजरूम रिमोट कार्य अपना रहे हैं। परंतु इसका मतलब है एक तेज गति की स्टोरी पर मेहनत करते हुए पत्रकार अलगाव के ज्यादा जोखिम में हैं।

“सामाजिक अलगाव शारीरिक कष्ट के जोखिम कारकों में से एक है, और सामाजिक जुड़ाव और सहकर्मी सहायता सबसे महत्वपूर्ण लचीलापन के कारकों में से एक है,” शापिरो ने अभिघात (ट्रॉमा) कवर करने वाले पत्रकारों पर रिसर्च का उल्लेख करते हुए First Draft को बताया।

ईल कहते हैं, इस समय पत्रकारों के पास जो सबसे बेहतर संसाधन है वे हम एक-दूसरे ही हैं। “हम में से अनेकों के दोस्त, जीवनसाथी हैं जो पत्रकारिता के क्षेत्र में नहीं हैं वे उस खास किस्म के तनाव को नहीं समझ पातते जिससे हम गुजरते हैं, यह उन सहयोगियों से बात करने पर उपचार के रूप में काफी सही हो सकता है जो जानते हैं कि हम क्या कर रहे हैं।”

सहयोगियों के साथ बात करें जब भी आप कर सकें और यदि आप तनाव महसूस कर रहे हों तो उन्हें बताएं। किसी असम्बद्ध विषय पर बातचीत करने की कोशिश करें, या दूसरों से पूछें वे कैसा महसूस कर रहे हैं। फ्रीलांसरों और अन्य पत्रकारों जिनके पास सहयोगियों का नेटवर्क नहीं है, उनके लिए ईल ने बताया कि यदि कोई उनसे संपर्क कर, इन मुद्दों पर विचार-विमर्श करना चाहे तो उन्हें ख़ुशी होगी।

एक स्व-देखभाल योजना बनाएं

इस तरह के मुश्किल समय में आपके मानसिक स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए एक स्वयं-देखभाल योजना का होना बहुत महत्वपूर्ण है। यह इन ज़रूरी बातों के साथ शुरू होती है : पर्याप्त नींद लीजिए, सोने से पहले ऑफलाइन हो जाइए, अच्छा खान-पान और व्यायाम।

कार्य से बाहर, अपना ध्यान किसी और चीज़ों में लगाने के लिए कुछ भी करें। अपना फोन छोड़ दें, एक शौक अपनाएं, एक किताब पढ़ें, टेलीविजन देखें, ध्यान (मैडिटेशन) करें, एक जर्नल लिखें, स्नान करें या लोगों से मिलें-जुलें, चाहे यह बस वीडियो कॉल द्वारा ही क्यों न हो।

“चाहे आपकी बीट कोरोनावायरस है या नहीं… इस समय से गुजरने के लिए प्रत्येक पत्रकार को एक स्वयं-देखभाल योजना की जरूरत है,” डार्ट सेंटर के शापिरों ने बताया। “अच्छा कार्य करने के लिए हमें अपने स्वयं-देखभाल आधारों को पुख्ता करने की जरूरत है।”

ईल ने आगे बताया, आपको स्वयं-देखभाल को प्राथमिकता देनी है। “पत्रकारों को हमेशा समय की तंगी रहती है, परंतु स्वयं अपनी देखभाल के लिए सक्रिय उपायों को अपनी कार्यसूची में रखें, आपके कार्यक्रम के बेहद ज़रूरी वाले हिस्सों में रखने पर काम करने की कोशिश करें।”

यद्यपि यह मुश्किल है ज्यादातर बातचीत इसी विषय पर हो रहीं हैं, यदि आप कर सकें तो इस संकट के बारे में परिवार और दोस्तों के साथ ज्यादा बातचीत करने से बचें। यदि आप व्याकुलता महसूस करें तो व्हाट्सैप ग्रुप को म्यूट कर दें।

“इस समय से गुजरने के लिए प्रत्येक पत्रकार को एक स्वयं-देखभाल योजना की जरूरत है” – ब्रुश शापिरों, कार्यकारी निदेशक, डार्ट सेंटर फॉर जर्नलिज्म एण्ड ट्रामा

शापिरो का कहना है की काम के दौरान खबरों को चरणबद्ध रूप से करें, ताकि व्यकुलता की अहसास से बचा जा सकें। ब्लंडी यह सुझाव भी देती हैं कि पत्रकार दिन में कुछ समय अन्य चीजों को पढ़ने के लिए भी निकालें। उन्होंने बताया, “हांगकांग में हम नियमित अवकाश लेते हैं और यह सुनिश्चित करने की कोशिश करते हैं कि हम बहुत ज्यादा ओवरटाइम नहीं कर रहें हैं।” यदि संभव हो तो लंच में पूरा एक घंटा कुछ ऐसा करने में लगाएं जो कार्य से संबंधित नहीं है।

हालांकि बहुत से पत्रकारों के लिए यह मुश्किल है, ट्विटर पर कम समय गुजारने की सलाह दी जाती है। ब्लंडी ने बताया, “यह मददगार नहीं हो सकता है और आप महसूस करेंगे कि आप लगातार काम कर रहे हैं, तब भी जब आप काम न कर रहें हों ।”

एक अंतिम सलाह है जो दिन का कार्य पूरा होने पर एक मार्कर के रूप में करना चाहिए: अपने मुंह पर पानी की बौछार डालें, एक इंस्ट्रुमेंट उठाएं, एक सैर या दौड़ के लिए निकलें, आपके दिन का सारांश लिखें, कुछ भी जो आपके मन को काम की ओर मोड़ दे। शापिरो का कहना है, “हमारे पास स्पष्ट समाप्ति बिंदु होने चाहिएं जो कहें की कार्य का समय पूरा हो गया है।”

अपने ट्रिगरों को पहचानें और सहायता की मांग करें

शापिरो का कहना है, “सभी पत्रकारों मे स्वयं अपने तनाव के संकेत और कारण दिखाई देने चाहिएं।” जब तनाव या चिंता में होते हैं तो आप कौन सी आदतें अपनाते हैं – इन्हें लिखें ताकि ज़रूरत पड़ने पर आप अपनी स्व-देखभाल योजना की समीक्षा कर सकें, किसी नजदीकी व्यक्ति से बात करें या पेशेवर मदद प्राप्त करें।

“यदि हमें पहले ही OCD, चिंता, बाइपोलर या किसी अन्य से पीड़ित हैं तो हमें अपनी खुद की सुरक्षा के लिए कुछ अतिरिक्त सुरक्षा उपाय और सहायता के स्रोत जुटाने की जरूरत है”, शापिरो ने आगे बताया। “यदि आप ऐसे व्यक्ति हैं जिनके लिए थैरेपी मददगार रही है,  यही किसी व्यक्ति से बात करने के लिए सही समय है।”

कोरोनावायरस महामारी के महीनों तक जारी रहने की संभावना के साथ ईल थैरेपी की सिफारिश भी करते हैं। “क्योंकि इसके साथ कलंक जुड़ा है, लोग सोचते हैं कि यह उनके लिए है जो कमजोर या मानसिक रूप से बीमार हैं। लेकिन असल में स्वयं आपकी बेहतरी और पत्रकार के लिए है जो आप हो सकते हैं।” उन्होंने आगे बताया: “पत्रकार बेहतरीन प्रदर्शन करने वाले एथलिट हैं। जिनके पास थैरेपिस्ट नहीं हैं उनकी स्थिति साइडलाइन पर. बगैर प्रशिक्षक की  एक पेशेवर स्पोर्टस टीम के समान होगी।”

बहुत से कार्यस्थलों पर कर्मचारियों परामर्श सेवाएं है, परंतु यदि आपके पास वह विकल्प नहीं है तो आप स्वास्थ्य देखभाल प्रदाता से पूछ सकते हैं या देखें कि स्थानीय स्तर पर कौन सी ऑनलाइन सहायता उपलब्ध हैं।

स्वयं के प्रति दयालु रहें

आखिर में, यह ध्यान देना महत्वपूर्ण है कि ये अभूतपूर्व स्थिति है और सामान्य नियम और उच्चतम मापदंड हमेशा लागू नहीं होते हैं। इसलिए अपने प्रति दयालु बनें और वास्तविक बनें कि आप क्या कर सकते हैं।

“पत्रकारों में संपूर्णतावादी, महत्वाकांक्षी, और काम में हमेशा डूबे रहने कीहोने की प्रवृत्ति होती है,” ईल ने बताया। लेकिन पत्रकारों को खुद से सहानुभूति भी जताना ज़रूरी है । इस अत्यंत असाधारण तनावपूर्ण और डरावने समय में, डर महसूस होना ठीक है, तनाव महसूस करना ठीक है, – यह वास्तव में अभूतपूर्व संकट के प्रति बिल्कुल सामान्य प्रतिक्रिया है। स्वयं के साथ सहज बनें क्योंकि ये वास्तव में बहुत कठिन दौर है।”

इस तरह यह स्पष्ट है कि पत्रकारों को कोरोनावायरस संकट पर रिपोर्ट करने के लिए उनके अपने मानसिक स्वास्थ्य की देखभाल करनी होगी। उपरोक्त सलाह का पालन करना आपके भावनात्मक स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए बेहतर अवसर प्रदान करेगा, ताकि आप जनता को उनकी जरूरत की सूचना उपलब्ध करवाने पर ध्यान केंद्रित रख सकें।

 

निष्कर्ष

जैसा हमने कोरोना वायरस के संबंध में सूचना विकार से निपटने में साथ मिलकर किया, यह स्पष्ट है कि भ्रामक जानकारी या गलत जानकारी के अनसुलझे तथ्यों से निपटना पहले की अपेक्षा मुश्किल होगा। हमें उम्मीद है कि इस गाइड ने आपको सूचना-महामारी की बेहतर समझ प्रदान कर दी है, और ऑनलाइन सूचना की निगरानी और सत्यापन करने में मदद के लिए कुछ टूल और तकनीक उपलब्ध करवाई हैं।

हम यह भी आशा करते हैं कि इस अभूतपूर्व समय में स्वयं आपकी और आपके मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए बेहतर सुसज्जित हैं। अंतत: हम आशा करते हैं कि रिपोर्टरों, शोधकर्ताओं और पत्रकारों के रूप में यह पाठ्यक्रम दर्शकों तक विश्वसनीय सूचना प्रदान करने में मदद करेगा, इस जिसकी उन्हें सबसे ज्यादा जरूरत है।

नवीनतम समाचार एवं सूचना के लिए firstdraftnews.org को फॉलो करना जारी रखें। खासतौर पर हमारा रिपोर्टरों के लिए संसाधन सेक्शन जहां नियमित रूप से नए टूल, गाइड, सलाह, FAQ, वेबिनार और अन्य कंटेंट Covid-19 के दौरान सूचित निर्णय लेने और विश्वसनीय कवरेज करने में आपकी मदद के लिए हैं।

यदि आप पहले से नहीं हैं तो आप हमारे दैनिक और सप्ताहिक न्यूजलैटर सेवा और   ट्विटर, Instagram और Facebook पर संपर्क में रहें।

 

शब्दावली

दुष्प्रचार के बारे में बात करने के लिए शब्दों की उभरती सूची

हम में बहुत से एक गलती करते हैं क्योंकि हम Facebook और Twitter इस्तेमाल करते हैं, इसे समझना और प्लेटफार्मों पर रिपोर्ट करना आसान है। हम उम्मीद करते हैं कि यह शब्दावली विशेषकर वैश्विक संदर्भ में इस स्थान की जटिलताओं को प्रदर्शित करेगी।

इस शब्दावली में 62 शब्द हैं और आप इसमें कंटेंट खोजने के लिए CMD + F (कंट्रोल फाइंड) इस्तेमाल कर सकते हैं या केवल स्क्रॉल डाउन कर सकते हैं।


4chan

एक गुमनाम मैसेज बोर्ड जो 2003 में क्रिस्टोफर पूल द्वारा शुरू किया गया था, इसे “moot” ऑनलाइन के रूप में भी जाना जाता है, जिसने इसे जापानी फोर्म और इमेजबोर्डों के अनुसार ढाला था। इस नियंत्रण रहित सर्पिल थ्रेडेड-चर्चा प्लेटफार्म ने उसी समय से यादृच्छिक अहानिकर विषयों के साथ-साथ पोर्नोग्राफी, जातिवाद, संभोगवाद, विषाक्त मर्दानगी और दुष्प्रचार अभियान समन्वय विषयों को शामिल किया है। 4chan को हितों के लिए ईंधन डालने और मीम साझा करने का श्रेय दिया जाता है और इसे स्वयं को स्वंतत्र, गुमनाम आवाज उठाने वाले चैंपियन के रूप में देखा जाता है। पूल ने 2016 में Google के लिए काम करना आरंभ किया। यहां उसका 2010 से TED टॉक है जहां वह प्लेटफार्म की स्थापना और यह फ्री स्पीच के लिए महत्वपूर्ण क्यों है इसे स्पष्ट करते हैं।


एम्प्लीफिकेशन

जब कंटेंट को सोशल मीडिया पर बड़ी संख्या में शेयर किया जाए, या जब मुख्यधारा का मीडिया एक अफवाह या षडयंत्र (कॉन्सपायरेसी) पर ध्यान देता हो या इसमें जान डालता है। कंटेंट का स्वाभाविक रूप से प्रेरित समुदायों और/या बॉट के समन्वित प्रयासों द्वारा या भुगतान वाले विज्ञापनदाताओं या सोशल प्लेटफार्मों पर “बूस्ट” के माध्यम से विस्तारण किया जा सकता है। First Draft के रोरी स्मिथ और कैरलॉटा डोटो ने बॉट्स के विज्ञान और शब्दावली के बारे में एक एक्सप्लेनर लिखा है।


एम्प्लीफिकेशन और सर्च ईंजन

कभी-कभी ऑनलाइन दुष्ट लोगों का लक्ष्य षडयंत्र (कॉन्सपायरेसी) अभियानों को तैयार और वितरण करना होता है। वे विभिन्न मैसेज बोर्ड से लिए गए शब्दों और वाक्यांशों को शामिल करके अनजाने में गेम सर्च र्इंजनों को खोजते हैं और तामसिक तत्व और अक्सर विषाक्त आंदोलनों और विचारधारा को अधिकतम प्रसार में लाकर ट्रेंड बनाने और चलाने का प्रयास कर रहे हैं। डेटा और सोसायटी के “The Oxygen of Amplification” से रिपोर्टिंग सुझाव सेक्शन देखें। किसी भी कार्यरत पत्रकार को पूरी रिपोर्ट जरूर पढ़नी चाहिए


एल्गोरिद्म

सोशल और सर्च प्लेटफार्मों पर एल्गोरिद्म कंटेंट के लिए एक छांटने और फिल्टर करने का मैकेनिज्म प्रदान करता है जो उपयोगकर्ता एक “न्यूजफीड” या खोज परिणाम पेज पर देखते हैं। एल्गोरिद्म लगातार उस समय में वृद्धि करने के लिए समायोजित किए जाते हैं जो एक उपयोगकर्ता एक प्लेटफार्म पर लगाता है। एल्गोरिद्म कैसे काम करता है यह सोशल और सर्च प्लेटफार्मों पर सबसे गोपनीय घटकों में से एक होता है; शोधकर्ताओं, प्रेस या आम लोगों के लिए कोई पारदर्शिता नहीं होती है। डिजिटल मार्केटियर एल्गोरिद्म में बदलावों से अच्छी तरह से परिचित होते हैं और यह उनकी कार्यनीति होती है — वीडियो, “डार्क पोस्ट,” ट्रेकिंग पिक्सल आदि इस्तेमाल करना — यह दुष्प्रचार अभियानों और दुष्ट लोगों के लिए भी सही कार्य करता है।


गुमनाम संदेश बोर्ड

एक परिचर्चा प्लेटफार्म जो सार्वजनिक रूप से पोस्ट करने वाले लोगों के लिए एक हैंडल या यूजरनेम में उनका असली नाम बताना अनिवार्य नहीं करता है, जैसे Reddit, 4chan, 8chan, और Discord. गुमनाम रहना परिचर्चाओं के लिए और अधिक ईमानदार बने रहने देता है, मगर ये विषाक्त भी बन सकता है, पोस्ट करने वाले पर बिना कोई प्रतिक्रिया के। रिपोर्ट करने की सिफारिशें: जैसा 4chan के लिए, यदि आप प्लेटफार्म पर स्क्रीनशॉट, उद्धरण और लिंक शामिल करते हैं, आप जान लें कि प्रकाशित रिपोर्टें जिसमें यह सूचना शामिल है, इस सूचना से इस प्लेटफार्म पर और लोग लाये जा सकते हैं, जिनमे ऐसे अभियानों को विस्तारित करने की क्षमता है जो पत्रकारों और समाचार संगठनों पर हमला करने के लिए डिजाइन किए गए हैं या शरारत और भ्रम पैदा करने, और अनजाने में समस्याजनक कंटेंट की ओर लोगों को रुख करकरने या उसके लिए खोज शब्द (search terms) बना सकते हैं।


एनालिटिक्स (कभी-कभी “मीट्रिक्स” भी कहा जाता है)

वह संख्याएं जो प्रत्येक सोशल हैंडल और पोस्ट पर इक्ट्ठा होती हैं, और कभी-कभी “पहुँच” या विस्तार का विश्लेषण करने में इस्तेमाल की जाती हैं कि कितने ज्यादा दूसरे लोगों ने एक पोस्ट को देखा या उसके साथ जुड़े हैं।


API

एक API या एप्लीकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेस वह है जब एक वेब टूल या एप्लीकेशन से डेटा की अदला-बदली या अन्य द्वारा प्राप्त किया जाता है। दूषित सूचना के स्रोत और प्रसार की पड़ताल का कार्य करने वाले सोशल प्लेटफार्म APIs पर निर्भर होते हैं, लेकिन सभी एकसमान रूप से नहीं बनाए जाते हैं और सार्वजनिक रूप से उपलब्ध डेटा में एक प्लेटफार्म से दूसरे प्लेटफार्म तक अंतर होता है। Twitter के खुले और उपयोग-में-आसान API ने इसे नेटवर्क में और अधिक रिसर्च और जांच-पड़ताल को सक्षम बनाया है, जिससे Facebook की तुलना में Twitter पर किए रिसर्च को देखने की अधिक संभावना होती है।


आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस (कृत्रिम बुद्धिमत्ता) (“AI”)

कंप्युटर प्रोग्राम जो समस्याएं सुलझाने के लिए “प्रशिक्षित” होते हैं। ये प्रोग्राम उनके माध्यम से पार्स किए गए डेटा, अनुकूलन तरीकों और प्रतिक्रियाओं द्वारा इस ढंग से “सीखते” हैं जो अधिकतम सटीकता बनाते हैंं। जब दुष्प्रचार इसके दायरे और मिलावट में विस्तार करता है, कुछ लोग AI को कंटेंट के संबंध में प्रभावी रूप से पड़ताल करने और घटाने के तरीके के रूप में देखते हैं, जैसे ब्राजीली फैक्ट-चेकिंग संगठन Aos Fatos की चैटबोट फातिमा, जो लोगों के सवालों का फैक्ट-चेक (तथ्यों की जांच) के साथ Facebook Messenger के माध्यम से जवाब देते हैं। AI “डीप फेक” जैसी चीजों की समस्याओं में भी मदद कर सकता है और दुष्प्रचार अभियानों को सक्षम बनाता है जो अधिक प्रभावशाली ढंग से लक्षित और व्यक्तिगत किए जा सकते हैं।² रिपोर्टिंग सिफारिशें: “सिंथेटिक मीडिया” और “डीप फेक” को समझने और इसकी तैयारी करने के लिए WITNESS ने एक तरीके का नेतृत्व किया है। WITNESS सैम ग्रेगरी और First Draft की रिपोर्ट भी देखें “Mal-uses of AI-generated Synthetic Media and Deepfakes: Pragmatic Solutions Discovery Convening.”


ऑटोमेशन (स्वचालन)

एक “मशीन” को इस प्रकार डिजाइन करने की प्रक्रिया जो किसी कार्य को न्यूनतम या बगैर मानवीय निर्देश के पूरा करे। ऑटोमेशन ऐसे कार्य लेता है जो मनुष्यों द्वारा करने पर बहुत समय खपाने वाले होंगे और उन्हें ऐसे कार्यों में बदलता है जो बहुत जल्दी पूरे हो जाते हैं। उदाहरण के लिए, एक ट्विट को भेजने की प्रक्रिया को आटोमेट करना संभव है, ताकि व्यक्ति को “पब्लिश” पर क्लिक करने का कार्य नहीं करना होगा। आटोमेशन प्रक्रियाएं दुष्प्रचार के एम्पलीफिकेशन को प्रभावी रूप से तैयार करने में इस्तेमाल होने वाली तकनीकों की रीढ़ की हड्डी है। First Draft के रोरी स्मिथ और कैरलॉटा डोटो ने बॉट्स के विज्ञान और शब्दावली के बारे में एक एक्सप्लेनर लिखा है।


बूलियन प्रश्न

खोज ऑप्रेटरों का एक संयोजन जैसे “AND,” “OR,” तथा “-” जो खोज परिणामों को एक सर्च इंजन, वेबसाइट या प्लेटफार्म पर फिल्टर करते हैं। बूलियन पूछताछ उन विषयों के लिए उपयोगी हो सकती हैं जिन्हें आप रोजाना और ब्रेकिंग न्यूज के दौरानअनुसरण करते हैं।


बॉटस

सोशल मीडिया अकाउंट जो पूरी तरह कंप्युटर प्रोग्रामों द्वारा संचालित किए जाते हैं और एक विशेष प्लेटफार्म पर पोस्ट तैयार करने और/या कंटेंट से जुड़े रहने के लिए डिजाइन किए जाते हैं। दुष्प्रचार अभियान में बॉटस का इस्तेमाल भ्रमक विमर्श की ओर ध्यान खींचने, प्लेटफार्म पर ट्रेंड कर रही लिस्ट को हाइजैक करने और सार्वजनिक चर्चा में भ्रम पैदा करने और समर्थन ⁴ में किया जा सकता है। अनुसंधानकता्र और तकनीक विशेषज्ञ बॉट्स की पहचान करने, प्रति दिन पोस्ट की संख्या के आधार पर एल्गोरिद्म या आसान नियम इस्तेमाल करने पर अलग दृष्टिकोण रखते हैं। First Draft के रोरी स्मिथ और कैरलॉटा डोटो ने बॉट्स के विज्ञान और शब्दावली के बारे में एक एक्सप्लेनर लिखा है।


बॉटनेट*

एक संग्रह या बोट्स का नेटवर्क जो समन्वय में काम करता है और आमतौर पर एक व्यक्ति या समूह द्वारा संचालित किया जाता है। वाणिज्यिक बॉटनेट में दसियों हजार बॉट्स तक शामिल हो सकते हैं।


टिप्पणियाँ

टिप्पणियां जो एक सोशल पोस्ट से जोड़ी जाती हैं जिसमें विश्लेषण में “जुड़ाव” आंकड़े शामिल होते हैं। रिपोर्टिंग सिफारिशें: जब आपकी बीट से संबंधित ध्रुवीकरण विषयों की समीक्षा करते हैं, आमतौर पर ये टिप्पणियां ही होती हैं जहां आपको फॉलो करने के लिए दूसरे लोग और वह शब्दावली मिलती हैं जो आपको बुलियन पूछताछ और अन्य ऑनलाइन खोजों को सूचित कर सकती है।


षडयंत्र सिद्धांत (कॉन्सपायरेसी थ्योरी)

BBC ने तीन सामग्रियों की सूची बनाई है कि क्यों और कैसे एक षडयंत्र सिद्धांत (कॉन्सपायरेसी थ्योरी) कायम रहता है:

  1. कॉन्सपायरेटर: एक समूह जैसे ‘बिग फार्मा, फ्रीमेसन्स, स्कुल एण्ड बोन्स, एक धार्मिक समूह। एक दुश्मन को परिभाषित करना और मानना कि शत्रु हमेशा संदेहपूर्ण और रहस्यमयी रहेगा।
  2. दुष्ट योजना: यह कि आप षड्यंत्रकारी को नष्ट भी कर दें फिर भी उनकी बुरी योजना दुनिया में प्रभुत्व कायम रखने के लिए जीवित रहती है।
  3. बड़े पैमाने पर हेरफेर: रणनीतियों और सत्ता के बारे में विचार करना जिससे षड्यंत्रकारी उनकी भयावह योजना और पहचान छुपाए रखते हैं।

कोरोनावायरस के संबंध में हम षडयंत्र (कॉन्सपायरेसी) को वायरस की उत्पत्ति से जुड़े हुए हैं, उदाहरण के लिए यह एक जैव-हथियार है जो चीनियों द्वारा तैयार किया गया है या वायरस बिल गेट्स की एक लैब में तैयार किया गया था।


सायबॉर्ग

कृत्रिम और मनुष्य की युक्तियों का संयोजन, जिसमे आमतौर पर ऑनलाइन गतिविधि विस्तारित करने के लिए कुछ किस्म का आटोमेशन शामिल रहता है। रिपोर्टिंग सिफारिशें: यह दुष्ट लोगों द्वारा एक सोशल अकाउंट द्वारा प्रमाणित गतिविधि को सार्वजनिक रूप से दिखाने का नवीन तरीका है। आपकी रिपोर्टिंग में यह अंतर करना महत्वपूर्ण है कि क्या ऑनलाइन गतिविधि एक साइबोर्ग, सॉक पपेट, बॉट या मनुष्य नजर आती है। प्रत्येक विशाल अकाउंट बॉट नहीं होता है, लेकिन एक बॉट को साइबोर्ग के साथ मिलाना गलत है और आपकी रिपोर्टिंग पर संदेह और आलोचना का कारण बन सकता है।


डार्क विज्ञापन

विज्ञापन जो केवल प्रकाशक और उनके लक्षित दर्शकों को दिखाई देते हैं। उदाहरण के लिए, Facebook विज्ञापन दाताओं को ऐसी पोस्ट बनाने की अनुमति देता है जो विशेष उपयोगकर्ताओं तक उनकी जनसांख्यिकीय प्रोफाइल, पेज ‘लाइक्स’ और उनके सूचीबद्ध हितों के आधार पर पहुँचती हैं, लेकिन वे सार्वजनिक रूप से दिखाई नहीं देती हैं। इस प्रकार की लक्षित पोस्ट्स के लिए पैसे लगते हैं और इसलिए इन्हें विज्ञापन एक स्वरूप समझा जाता है। क्योंकि इस प्रकार की पोस्ट दर्शकों के एक हिस्से द्वारा देखी जाती हैं, उनकी निगरानी और ट्रेक करना मुश्किल होता है।⁸


डीपफेक

आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस उपयोग करके तैयार किया गया जाली मीडिया। पहले से मौजूद वीडियो या ऑडियो फाइलों के विभिन्न तत्वों को संश्लेषण करने के द्वारा AI ‘नई कंटेंट’ तैयार करने के लिए अपेक्षाकृत आसान तरीके सक्षम कर देता है, जिसमें व्यक्ति ऐसे शब्दों को बोलते और कार्य करते दिखाई देते हैं, जो वास्तविकता पर आधारित नहीं होते हैं। यद्यपि ये अभी अपनी प्रारंभिक अवस्था में हैं, यह संभावना है कि हम इस तरह के सिंथेटिक मीडिया के उदाहरणों को दुष्प्रचार अभियानों में अधिक उपयोग होता देखेंगे, क्योंकि ये तकनीक अधिक परिष्कृत हैं।⁹ रिपोर्टिंग सिफारिशें: “सिंथेटिक मीडिया” और “डीपफेक” को समझने और इसकी तैयारी करने के लिए: WITNESS ने एक तरीके का नेतृत्व किया है। WITNESS सैम ग्रेगरी और First Draft की रिपोर्ट भी देखें “Mal-uses of AI-generated Synthetic Media and Deepfakes: Pragmatic Solutions Discovery Convening.”


डीप्लेटफ़ॉर्म (वक्ता को विचार प्रकट करने से रोकना)

किसी अकाउंट को एक प्लेटफार्म जैसे Twitter, Facebook, यूट्युब, आदि से निकालना। इसका लक्ष्य किसी व्यक्ति की पहुँच में कमी करने के लिए उसे निकालना। Casey Newton लिखते हैं कि अब ऐसे “सबूत हैं जो घृणा फैलाने वालों और उनकी वेबसाइटों को उनकी पहुँच कम करने के लिए लगातार स्थानांतरित करना प्रभावी है।”


डिस्कॉर्ड

एक एप्लीकेशन जो 2015 में प्राथमिक रूप से गेमिंग समुदायों को “सर्वरों” पर बातचीत के माध्यम से जोड़ने के लिए डिजाइन की गई थी। रिपोर्टिंग सिफारिशें: अनेक सर्वर उन तक पहुँच करने के लिए अनुमति अनिवार्य बनाते हैं और समुदाय में नये सदस्यों को अनुमति देने से कई सवाल पूछते हैं। एक जर्नलिस्ट के रूप में आपको निर्धारित करने की जरूरत है कि आप प्रश्नों का जवाब देने के लिए कितने सुविधाजनक हैं — क्या आप सच्चाई के साथ जवाब देंगे और जोखिम को कम या ज्यादा होने नहीं देंगे? या फिर आप अस्पष्ट होंगे और खुद को इस तरह से पेश नहीं करेंगे जैसा कि आप व्यक्तिगत रूप से करते? आपके न्यूजरूम को भी यह निर्धारित करने की जरूरत होगी कि जब रिपोर्टर ऐसी जानकारी शामिल करते हैं जो अज्ञात व्यक्तियों द्वारा ऑनलाइन प्रकाशित की है तो किसे अनुमति है और किसे नहीं — क्या यह जानकारी केवल गहन पृष्टभूमि के लिए इस्तेमाल की जाएगी, क्या आप सीधे सूचना को लिंक करेंगे, हैंडलों के नाम देंगे? याद रखिए ये स्थान असाधारण रूप से विषाक्त हो सकते हैं और ये समुदाय वास्तविक जीवन में लोगों को डराने और उत्पीड़न करने के रूप में जाने जाते हैं।


खोज (डिस्कवरी)

समस्याजनक सामग्री को ऑनलाइन खोजने के लिए टूल और सर्च स्ट्रिंग के संयोजन द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले तरीके जो सूचित और प्रत्यक्ष रिपोर्टिंग भी हो सकते हैं।


दुष्प्रचार अभियान

एक अकेले एक्टर या एक्टरों के समूह, संगठनों या सरकारों द्वारा एक व्यक्ति, तंत्रों और संस्थानों में घृणा, क्रोध, और संदेह को बढ़ावा देने के लिए समन्वयित प्रयास। दुष्ट लोग आमतौर पर प्रचलित मार्केटिंग तकनीकों और प्लेटफार्मों पर इस्तेमाल करते हैं क्योंकि उन्हें एजेंसी को विशेषकर लोकतांत्रिक चुनावों जैसी महत्वपूर्ण घटनाओं के बारे में विषाक्त और भ्रमित करने वाली जानकारी देने के लिए डिजाइन किया जाता है। अंतिम लक्ष्य मुख्यधारा के मीडिया में संदेश देने का कार्य होता है।


निष्क्रिय अकाउंट

एक सोशल मीडिया अकाउंट जिसने लंबे समय तक पोस्ट नहीं किए हैं या अन्य अकाउंट से जुड़ा नहीं है। एक सोशल मीडिया अकाउंट जिसने लंबे समय तक पोस्ट नहीं किए हैं या अन्य अकाउंट से जुड़ा नहीं है। दुष्प्रचार के संदर्भ में यह विवरण ऐसे अकाउंट के लिए इस्तेमाल किया जाता है जो मानवीय- या बॉट-संचालित हो सकते हैं, जो तब तक निष्क्रिय रहते हैं जब तक उन्हें ‘प्रोग्राम’ या अन्य कार्य करने के निर्देश नहीं दिया जाता है।¹⁰ कभी-कभी निष्क्रिय अकाउंट दुष्ट लोगों द्वारा हाईजैक कर लिए जाते हैं और समन्वयित संदेश भेजने के लिए प्रोग्राम किए जाते हैं।


डॉक्सिंग (Doxing या doxxing)(किसी व्यक्ति या संगठन की निजी जानकारी का प्रकटन)

किसी व्यक्ति की अनुमति के बगैर उसकी निजी या पहचान करने वाली सूचना को ऑनलाइन पब्लिश करने का कार्य। इस सूचना में नाम, पते, फोन नंबर, फोटो और अन्य शामिल हो सकते हैं।¹¹ डॉक्सिंग कुसूचना का एक उदाहरण है, जो सटीक जानकारी को नुकसान पहुँचाने के लिए सार्वजनिक रूप से साझा करना है।


दुष्प्रचार

झूठी सूचना जो आमतौर नुकसान पहुँचाने के स्पष्ट इरादे से जानबूझकर तैयार की और फैलाई जाती है।¹² दुष्प्रचार करने वालों की आमतौर पर राजनैतिक, वित्तीय, मनोवैज्ञानिक या सामाजिक प्रयोजन होते हैं।¹²


एनक्रिप्शन

डेटा को एनकोड करने की प्रक्रिया ताकि इसकी व्याख्या केवल प्राप्तकर्ताओं द्वारा की जा सके। बहुत सी लोकप्रिय मैसेजिंग सेवाएं जैसे Signal, Telegram, और WhatsApp उपयोगकर्ताओं के बीच भेजे गए टेक्स्ट, फोटो और वीडियो को एनक्रिप्ट करती हैं। एन्क्रिप्शन सरकारों और अन्य दुष्ट को अवरोधन किए गए संदेशों की कंटेंट को पढ़ने से रोकता है। एनक्रिप्शन अनुसंधानकर्ताओं और पत्रकारों के उन प्रयासों को नाकाम करता है जिसे वे प्लेटफार्म पर साझा की जा रही कुसूचना या दुष्प्रचार की निगरानी कर सके  । जब बहुत से दुष्ट लोग डी-प्लेटफार्म किए जाते हैं और मैसेजिंग अधिक परिवर्तनशील और समन्वयित हो जाते हैं, ये बातचीत क्लोज्ड मैसेजिंग ऐप के बीच में होंगी जहां कानून प्रवर्तन, आम जनता और शोधकर्ता और पत्रकार जो इन समूहों के प्रेरकों और संदेशों को समझने का प्रयास कर रहे हों, इन तक पहुँचने में सक्षम नहीं होंगे।


संलग्नता

प्लेटफार्मों जैसे Facebook और Twitter की संख्या जो सार्वजनिक रूप से लाइक्स, टिप्पणियों और शेयर करने की संख्या दर्शाते हैं। मार्केटिंग संगठन Parse.ly, CrowdTangle, NewsWhip, आदि सेवाओं का उपयोग एक ब्राण्ड में रूचि का मापन करने के लिए करते हैं, न्यूजरूम ने इनका इस्तेमाल दर्शकों रूचियों और ट्रेंड को समझने में इस्तेमाल करना आरंभ कर दिया, और अब कुछ पत्रकार इन्हीं टूल्स का इस्तेमाल ये देखने के लिए करते हैं कि क्या विषाक्त मैसेजिंग और दुष्ट लोग किसी विषय पर रिपोर्टिंग करने या एक कहानी तैयार करने में टिपिंग प्वॉइंट पर पहुँच पाएंगे। “टिपिंग प्वॉइंट” पर विचार करने के लिए यह भी देखें: Claire Wardle’s Trumpet of Amplification अर्थात, क्या एक विषय या शब्द को पर्याप्त लोगों ने देख लिया है ताकि इस पर रिर्पोटिंग करने पर लोग समझ जाएं, बजाय किसी विषय या शब्द पर समयपूर्व रिपोर्ट करके इसकी पहुँच को बढ़ावा दिया जाए।


Facebook ग्राफ सर्च

Facebook पर एक कार्यप्रणाली जो 2014 से जून 2019 तक छह वर्षों के लिए चलती रही जिसने लोगों और ऑनलाइल जांचकर्ताओं को दूसरों के लिए प्लेटफार्म पर खोजने और चैक-इन, फोटों में टैग करने, लाइक्स जैसे मानदंडों पर फिल्टर करने की क्षमता प्रदान की थी। इस तकनीक पर अन्य टूल बनाए गए और ऑनलाइन जांच-पड़ताल को मझदार में छोड़ दिया गया। नैतिक बहस की शुरुआत मानव-अधिकारों की जांच करने वालों के साथ हुई थी क्योंकि प्रौद्योगिकी एक अतिक्रमण की गोपनीयता थी, और ऑनलाइन जांचकर्ताओं और पत्रकारों को एक ही जानकारी के लिए कैसे तैयार किया जाए। इसी प्रकार की नाराजगी पत्रकारों और OSINT समुदाय में उस समय थी जब Google के स्वामित्व वाले Panoramio को नवंबर 2017 में बंद कर दिया गया था।


Facebook विज्ञापन पारदर्शिता

Facebook के अधिक पारदर्शिता बनाने के प्रयास इस बारे में कि प्लेटफार्म पर कौन से विज्ञापन और किन लोगों प्रसारित किए जा रहे हैं। अब आप इसके विज्ञापन डेटाबेस को सामाजिक मुद्दों, चुनावों या राजनीति से संबंधित विज्ञापनों के लिए दुनिया भर में खोज सकते हैं। डेटाबेस यह ट्रेक करने के लिए उपयोगी हो सकता है कि किस प्रकार उम्मीद्वार, दल और समर्थक Facebook का इस्तेमाल वोटरों को सूक्ष्म-लक्षित करने और मैसेजिंग रणनियों के परीक्षण में करते हैं।


नकली फ़ॉलोअर्स

बेनामी या बहुरूपियां सोशल मीडिया अकाउंट जो किसी अन्य अकाउंट के बारे में लोकप्रियता की झूठी छाप छोड़ने के लिए बनाए जाते हैं। सोशल मीडिया उपयोगकर्ता नकली फॉलोवर के साथ-साथ झूठे लाइक्स, व्यू और शेयर के लिए भुगतान कर सकते हैं  ताकि  अपने दर्शकों की संख्या बढ़ा-चढ़ाकर दिखा सकते हैं । उदाहरण के लिए एक इंग्लिश-आधारित सेवा यूट्युब उपयोगकर्ताओं को एक मिलियन “उच्च-गुणवत्ता” के व्यूज और 50,000 लाइक्स की पेशकश $3,150 में करती है।¹⁵ फॉलोवर की संख्या एक प्रोफाइल के लिए कैशे का निर्माण कर सकती है या असली अकाउंट होने का प्रभाव पैदा कर सकती है।


सूचना अव्यवस्था

तीन प्रकार की ऑनलाइन समस्याजनक सामग्री के संदर्भ में क्लेयर वर्डले और हुसैन डेराक्शन द्वारा निर्मित वाक्यांश:

  • गलत-सूचना वह है जब झूठी सूचना साझा की जाती है, लेकिन उद्देश्य नुकसान पहुँचाना नहीं होता है।
  • दुष्प्रचार वह है जब झूठी सूचना जानबूझकर नुकसान पहुँचाने के इरादे से साझा की जाती है।
  • कुसूचना वह है जब सही सूचना को नुकसान पहुँचाने के लिए साझा किया जाता है, अक्सर निजी जानकारी को सार्वजनिक क्षेत्र में प्रकट करके।

लिंक्डइन

बहुत कम US प्लेटफार्म में से एक जिसे China में अनुमति प्राप्त है, लिंक्डइन एक ऑनलाइन स्रोत के रूप में डिजिटल फुटप्रिंटिंग के लिए शुरूआत करने का अच्छा बिंदु हो सकता है।इस प्लेटफार्म से अधिकतम कैसे हासिल करें इस पर Bellingcat ने एक उपयोग टिपशीट प्रकाशित की है।


कुसूचना

सही सूचना जो नुकसान पहुँचाने के लिए साझा की जाती है। इसमें निजी या उद्घाटित की जाने वाली जानकारी शामिल होती है जो एक व्यक्ति या प्रतिष्ठा को नुकसान पहुँचाने के लिए प्रसारित की जाती है।


विनिर्मित परिवर्धन

जब सूचना की पहुँच और प्रसार को कृत्रिम साधनों के माध्यम से फैलाया जाता है। इसमें सर्च इंजन परिणामों तथा ट्रेंड हो रही सूचियों और सोशल मीडिया पर विभिन्न लिंक या हैशटैग का प्रचार करने के लिए मानवीय और आटोमेटेड छेड़छाड़ करना शामिल है।¹⁷ विभिन्न प्रकार के परिवर्धन के लिए ऑनलाइन कीमत सूचियां हैं, जिनमें नकली वोट बनाने और ऑनलाइन चुनाव और याचिकाओं के लिए फर्जी वोट और हस्ताक्षरों की कीमतें, तथा सर्च इंजन परिणामों से विशिष्ट सामग्री की रैंकिंग कम करने कीमतें शामिल हैं।¹⁸


मीम

जैवविज्ञानी रिचर्ड डॉकिंस द्वारा 1976 में उद्घाटित एक विचार या व्यवहार जो एक पूरी संस्कृति में तेजी से प्रचार होते हुए, और समय के साथ परिवर्तन होते हुए व्यक्ति से व्यक्ति तक प्रसारित होता रहता है।¹⁹ इस शब्द का उपयोग अब ज्यादातर शीर्षक सहित फोटो या GIFs के लिए होता है, 4chan पर पोषित हुआ और अब ऑनलाइन प्रसार में है। ध्यान रखें: मीम दुष्प्रचार का एक शक्तिशाली माध्यम है और अक्सर एक मुख्यधारा के निकास में एक ही विषय पर समाचार लेख की अपेक्षा ज्यादा जुडा़व प्राप्त करता है।


माइक्रोटारगेटिंग

जनसंख्या के एक बहुत छोटे खण्ड की पहचान करने, इस मामले में सोशल प्लेटफार्म पर, और उस समूह में विशिष्ट संदेश भेजने की क्षमता। 2016 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव की ओर ले जाने वाली ऑनलाइन आदान-प्रदान की गई सूचना में पहचानी गई सबसे बड़ी समस्याओं में से एक है Facebook उपयोगकर्ताओं के फीड में विवादास्पद मुद्दों को रखने की राजनीतिक अभियानों और दुष्प्रचार एजेंटों की क्षमता। Facebook ने तब से साइट के विज्ञापन अभियान क्षेत्र में कुछ श्रेणी चुनावों जैसे “राजनीति” को निकाल दिया है। माइक्रोटार्गेटिंग और “साइकोग्राफिक माइक्रोटार्गेटिंग” पर और अधिक


गलत-सूचना

सूचना जो गलत है, लेकिन उद्देश्य नुकसान पहुँचाना नहीं है। उदाहरण के लिए, ऐसे व्यक्ति जो नहीं जानते कि सूचना का अंश गलत है इसे सोशल मीडिया पर प्रसारित कर सकते हैं मददगार होने की उद्देश्य से ।²⁰


नॉर्मी (Normie)

ऑनलाइन कठबोली शब्द ऐसे व्यक्ति को बताने के लिए जो मुख्यधारा के समाचार, ऑनलाइन प्लेटफार्म का उपभोग करता है और प्रचलित राय का अनुसरण करता है। यह एक प्रशंसा नहीं है।


OSINT

एक संक्षिप्त शब्द जिसका अर्थ है ओपन-सोर्स इंटेलिजेंस। इंटेलिजेंस एजेंट, अनुसंधानकर्ता, और पत्रकार सार्वजनिक रूप से उपलब्ध सूचना का विश्लेषण सरकारों द्वारा किए गए दावे की पुष्टि या खंडन, बहुत से अन्य कार्यों के साथ ही फोटो और वीडियो से स्थान और दिन के समय की पुष्टि करने के लिए करते हैं। OSINT ऑनलाइन समुदाय अविश्वसनीय रूप से मददगार होते हैं जब नए टूल्स की पड़ताल और स्पष्टीकरण की बात आती है, कैसे वे एक जांच के बारे में निष्कर्ष पर पहुंचे और जानकारी को सत्यापित करने के लिए अक्सर काम के लिए मदद की घोषणा करते हैं, जैसे Bellingcat ने मार्च 2019 में नीदरलैंड में एक वांछित अपराधी किस स्थान पर होने के बारे में किया। उस जांच-पड़ताल में साठ लोगों ने एक ही दिन में Twitter पर मदद की थी।


रैड्डिट (Reddit)

एक थ्रेडेड परिचर्चा मैसेज बोर्ड जो 2005 में शुरू हुआ था और पोस्ट करने के लिए रजिस्ट्रेशन करना आवश्यक है। रैड्डिट अमेरिका की पांचवी सबसे लोकप्रिय साइट है, जिसमें 330 मिलियन उपयोगकर्ता हैं जिन्हें “रैड्डिटर्ज़” कहा जाता है, जो सबरेड्डिट में पोस्ट करते हैं। सबरेड्डिट “the_Donald,” 2016 के US चुनाव चक्र के दौरानसबसे सक्रिय और तीखा था।


व्यंग्य

लेखन जिसमें समाज के तत्वों की आलोचना के लिए साहित्यिक उपकरण जैसे उपहास और विडम्बना इस्तेमाल किए जाएं। व्यंग्य गलत-सूचना बन सकता है यदि दर्शकों द्वारा इसकी तथ्य के रूप में गलत व्याख्या की जाए।²² दुष्प्रचार एजेंटो का एक जाना माना ट्रेंड है जो कंटेंट को फैक्ट-चेकर (तथ्यों की जांचकर्ता) द्वारा चिह्नित करने से बचाने के लिए व्यंग्य का लेबल लगाते हैं। कुछ लोग पकड़े जाने पर व्यंग्य का लेबल लगाने पर अडिग रहते हैं , जैसा एक शिक्षक ने फ्लोरिडा में किया था जिसे जातिवादी पॉडकास्ट करते हुए पाया गया


स्क्रेपिंग

एक वेबसाइट से API इस्तेमाल किए बगैर डेटा निकालने की प्रक्रिया। इसे अक्सर पर रिसर्च करने वालों और कंप्युटेशनल पत्रकारों द्वारा विभिन्न सोशल प्लेटफार्म और फोरमों पर गलत-सूचना और दुष्प्रचार की निगरानी करने में इस्तेमाल किया जाता है। आमतौर पर, स्क्रेपिंग एक वेबसाइट की उपयोग की शर्तों (नियम जिन्हें उपयोगकर्ता प्लेटफार्म का उपयोग करने के लिए सहमत होते हैं) का उल्लंघन करती है। परंतु, रिसर्च करने वाले और पत्रकार जब जांच के लिए प्रयासों और एल्गोरिद्म के प्रभावों का अध्ययन करते हैं तो अक्सर स्क्रेपिंग को किसी अन्य विकल्प के अभाव में न्यायोचित ठहराते हैं। रिपोर्टिंग सिफारिशें: न्यूजरूम को यह निश्चित करने की जरूरत है कि वह क्या स्वीकार करेगा और क्या नहीं जब ऐसी सूचना की बात आती है जो उस वेबसाइट के नियमों का उल्लंघन करती है जहां से वह सूचना प्राप्त हुई और/या डाउनलोड किया गया था।


नकली पहचान (सॉक पपेट)

एक ऑनलाइल अकाउंट जो गलत पहचान का इस्तेमाल खास तौर पर धोखा देने के लिए बनाया किया जाता है। सॉक पपेट का सोशल प्लेटफार्म पर इस्तेमाल अन्य अकाउंट के फॉलोवर्स की संख्या बढ़ाने और बड़े पैमाने पर दर्शकों तक झूठी सूचना का प्रसार या विस्तार करने के लिए किया जाता है।²³ शब्द को “बॉट” शब्द का पर्यायवाची समझा जाता है, परंतु सभी सॉक पपेट बॉटस नहीं होते हैं। द गार्जियन सॉक्स पपेट्स की व्याख्या एक काल्पनिक व्यक्ति के रूप में करता है जो किसी दृष्टिकोण को सहारा देने और किसी व्यक्ति को ट्रोल करने के लिए तैयार किया जाता है जो अपनी पहचान नहीं छुपाने में हिचकिचाता नहीं है।


शैलो फेक्स

एक वीडियो के प्ले होने के तरीके में निम्न-गुणवत्ता की छेड़छाड़ करना। शैलो फेक के बारे में जागरूकता अप्रेल और मई 2019 में उस समय बढ़ी जब US हाऊस स्पीकर नैंसी पेलोसी का एक वीडियो ऑनलाइन प्रसारित किया गया जिसे यह भ्रम पैदा करने के लिए धीमा कर दिया गया कि एक हाल ही के आयोजन में बोलते समय वह नशे में थी। शैलो फेक छेड़छाड़ वर्तमान में डीप फेक के बजाय अधिक चिंताजनक है क्योंकि किसी वीडियो में मामूली सा बदलाव करके जल्दी तैयार करने के मुफ्त टूल्स उपलब्ध हैं। रिपोर्टिंग सिफारिशें: वीडियो फॉरेंसिकिस्ट की मदद लें जब कोई वीडियो ट्रेंड करता है, और उस व्यक्ति के साथ चरित्र से मेल नहीं खाता है जो व्यक्ति दिखाया गया है।


शिटपोस्टिंग

विशाल मात्रा में कंटेंट को फेंकने का कार्य, इसमें से ज्यादातर विडंबनायुक्त, निम्न-गुणवत्ता की ट्रोलिंग होता है जिसका उद्देश्य कम इंटरनेट प्रेमी दर्शकों की भावनात्मक प्रतिक्रिया को भड़काना है। अंतिम लक्ष्य उपयोगी चर्चा को भटकना ओर पाठकों का ध्यान विचलित करना होता है।


स्पेम (अवांछित संवाद)

अवांछित, अवैयक्तिक संचार, आमतौर पर प्रचार, विज्ञापन या दर्शकों के साथ धोखाधड़ी के लिए इस्तेमाल किया जाता है। वर्तमान में स्पैम ज्यादातर ईमेल द्वारा वितरित किया जाता है, एल्गोरिद्म उपयोगकर्ताओं के इनबॉक्स में स्पैम को खोज, फिल्टर और ब्लॉक करता है। स्पैम की रोकथाम करने में लागू करने जैसी तकनीकों को संभवत: सूचना अव्यवस्था के संदर्भ में इस्तेमाल किया जा सकता है, या कम से कम कुछ पाठ जिसमें सीखने प्रस्तावित है


स्नैपचैट

केवल-मोबाइल मल्टीमीडिया ऐप की शुरूआत 2011 में हुई थी। स्नैपचैट में इसकी सबसे-लोकप्रिय विशेषताएं जैसे कहानियां, फिल्टर, लेंस और स्टिकर हैं जो Facebook और इंस्टाग्राम द्वारा नक़ल की गई हैं। ऐप के पास 203 मिलियन दैनिक उपयोगकर्ताहैं और अनुमान है कि U.S. में 90 प्रतिशत तक सभी 13-24 वर्ष आयु और 75 प्रतिशत सभी 13-34-वर्ष आयु वाले इस ऐप का इस्तेमाल करते हैं। स्नैप्स गायब करने के इरादे से होते हैं, जिसने इस ऐप को लोकप्रिय बना दिया, परंतु स्क्रीनशॉट संभव हैं। 2017 में, स्नैपचैट ने स्नैपमैप्सकी शुरूआत की परंतु फुटेज के मालिक से संपर्क करने का कोई तरीका नहीं है क्योंकि उपयोगकर्ता जानकारी पर क्लिक नहीं कर सकते। कभी-कभी उपयोगकर्ता के अन्य प्लेटफार्म पर उनके असली नाम मिलते-जुलते नाम कनवेंशन रखते हैं। टैग द्वारा खोजना भी कठिन होता है जब तक आप NewsWhip के Spike जैसा टूल इस्तेमाल नहीं करते हों। रिपोर्टिंग सिफारिशें: स्नैपमैप्स ब्रेकिंग-न्यूज घटनाओं में गतिविधि की पुष्टि के लिए काफी मददगार हो सकते हैं, परंतु जरूरी नहीं की सूचना को एक प्रकाशित रिपोर्ट में इस्तेमाल किया जाए।


सिंथेटिक मीडिया

सामुहिक रूप से आटोमेटड माध्यमों से डेटा और मीडिया के कृत्रिम उत्पादन, छेड़छाड़ और संशोधन करने के सभी को शामिल करने वाला शब्द, विशेष रूप से आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस एल्गोरिद्म के इस्तेमाल द्वारा लोगों के भ्रमित करने या एक मूल अर्थ को बदलने के लिए किए जाते हैं।


सेवा के नियम

सभी प्रकार की कंपनियों द्वारा स्थापित नियम कि इसकी सेवाओं के लिए क्या अनुमति है और क्या नहीं है। Facebook और Twitter जैसे प्लेटफार्मों की लंबी, और लगातार बदलती हुर्द सेवा की शर्तें होती हैं, और जब किसी ने उनके नियमों को तोड़ा है तो असमान रूप से लागू करने के लिए आलोचना होती रही है। रिपोर्टिंग सिफारिशें: न्यूजरूम को यह निश्चित करने की जरूरत है कि वह क्या स्वीकार करेगा और क्या नहीं जब ऐसी सूचना की बात आती है जो ऐसे प्लेटफार्म से ली गई जो इसके नियमों का उल्लंघन करती है।


टिकटॉक

2017 में चीनी कंपनी ByteDance द्वारा Music.ly ऐप के रीब्राण्ड के रूप में लांच किया गया एक मोबाइल-ऐप वीडियो प्लेटफार्म है। वायर्ड ने 2019 में रिपोर्ट की थी कि टिकटॉक भारत में घृणात्मक भाषण की महामारी फैला रहा है।दांव पर जो है उसके लिए केसी न्यूटन के पास बहुत डिस्टीलेशन है और Facebook लोकप्रियता में ऐप की वृद्धि “भीड़भाड़ वाले बाजार” के रूप में इस्तेमाल कानून निर्माताओं से नियमन से बचने की अपील करता है।


ट्रॉल

ऐसे व्यक्ति को निर्दिष्ट करने में इस्तेमाल किया जाता है जो दूसरों को ऑनलाइन परेशान और अपमान करता है। जबकि इसे मानव-नियंत्रित अकाउंट के रूप में वर्णित करने में इस्तेमाल किया जाता है जो बॉट जैसे कार्य करते हैं, बहुत से ट्रॉल अक्सर उनके असली नाम से पहचानना और इसे ही इस्तेमाल करना पसंद करते हैं।


ट्रॉलिंग

एक ऑनलाइन समुदाय पर दर्शकों को भड़काने या बातचीत को बाधित करने के इरादे से आपत्तिजनक या भड़काऊ सामग्री पोस्ट करने का कार्य।


ट्रॉल फ़ार्म

व्यक्तियों का समूह जो ट्रॉलिंग या बॉट की तरह विमर्शों को एक समन्वयित ढंग से प्रचार करने में संलग्न रहता है। एक प्रमुख ट्रॉल फार्म रूस में स्थित इंटरनेट रिसर्च एजेंसी थी जिसने U.S. राश्ट्रपति चुनावों में हस्तक्षेप करने की कोशिश में ऑनलाइन भड़काऊ कंटेंट का प्रसार किया था।


दो घटकों वाला प्रमाणन (2FA)

एक ऐप में या किसी वेबसाइट पर लॉगइन करते समय स्वयं आपकी पहचान करने का एक दूसरा तरीका, और आपके लॉगइन तक पहुँच करने का सबसे सुरक्षित तरीका। यह आमतौर पर आपके मोबाइल नंबर से जुड़ा होता है जहां आपको एक सुरक्षा कोड के साथ SMS प्राप्त होगा जो आप ऐप या साइट पर पहुँच प्रदान करने के लिए प्राम्पट में दर्ज करते हैं। यह चरण परेशानी वाला हो सकता है, परंतु परेशानी का कारण ये भी हो सकता है कि आपके प्रोटोकॉल में कमजोर होने के कारण हैक किया जा सकता है। रिर्पोटिंग सिफारिशें: स्वयं आपको और आपके स्रोतों को प्रत्येक ऐप और वेबसाइट (विशेषरूप से पासवर्ड मैनेजर और वित्तीय साइटों) पर, जो सेवा प्रदान करती है, दो घटकों वाला प्रमाणन सेट अप करके सुरक्षित करें। यह भी सिफारिश की जाती है कि मुफ्त पासवर्ड मैनेजर जैसे LastPass, लंबे पासवर्ड 16 या अधिक अक्षरों वाले इस्तेमाल करें, जब ऑनलाइन (Chrome, Firefox) विषाक्त सूचना देख रहे हों तो एक VPN उपयोग करें या गुप्त मोड में ब्राउजिंग करें।


सत्यापन

सूचना की प्रमाणिकता निर्धारित करने की प्रक्रिया जब यह गैर आधिकारिक स्रोतों द्वारा ऑनलाइन, विशेषकर विजु़अल मीडिया पर पोस्ट की जाती है।²⁵ Itयह पत्रकारों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के लिए 2000 के आखिर में एक नए कौशल सेट के रूप में उभरा है, विजुअल चित्रों की आवश्यकता की सबसे उल्लेखनीय प्रतिक्रिया “अरब स्प्रिंग” के दौरान हुई। फैक्ट-चैक (तथ्यों की जांच) केवल आधिकारिक रिकॉर्ड को देखती है, गैर-आधिकारिक या उपयोगकर्ता-निर्मित विषय नहीं, यद्यपि फैक्ट-चैकिंग और सत्यापन अक्सर ओवरलैप और विलय की संभावना होगी।


वाइबर

जापानी कंपनी Rakuten Inc. द्वारा 2010 में शुरू किया गया वाइबर, व्हाट्सैप की तरह एक मैसेजिंग ऐप है जो एक फोन नंबर से जुड़ा होता है और डेस्कटॉप से पहुँच योग्य भी होता है। ऐप ने एक सिरे से दूसरे तक ओर व्यक्ति से व्यक्ति और समूह बातचीत के एनक्रिप्शन जोड़ा है जहां एनक्रिप्शन के कार्य करने के लिए सभी प्रतिभागियों के पास 6.0 या उच्च रिलीज हों — आप गणना करते रहें कि प्रत्येक ने अपने ऐप अपडेट किए हैं। वाइबर के पास दुनियाभर में 250 मिलियन उपयोगकर्ता हैं,, इसकी तुलना में व्हाट्सैप के पास 1.6 बिलियन मिलियन उपयोगकर्ता हैं, और वह पूर्वी यूरोप, रूस, मिडल ईस्ट और कुछ एशियाई बाजारों में काफी लोकप्रिय है


VPN, या वर्चुअल प्रायवेट नेटवर्क

एक उपयोगकर्ता के डेटा को एनक्रिप्ट करने और उसकी पहचान और स्थान को छुपाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। एक VPN प्लेटफार्मों के लिए यह जानना मुश्किल बना देता है कि कोई व्यक्ति कहां से दुष्प्रचार कर रहा है या विज्ञापनों की खरीद स्थित है। जब ऑनलाइन स्थानों की जांच-पड़ताल कर रहे हों तो VPN का इस्तेमाल करना समझदारी भी है जहां दुष्प्रचार अभियान तैयार किए जा रहे हैं।


वीचैट

2011 में शुरू किया गया व्हाट्सैप जैसा मैसेजिंग ऐप चीन में नजदीकी दोस्त समूहों और परिवारों के लिए है, यह ऐप अब दोस्तों के साथ समकालीन बातचीत (Facebook की टाइमलाइन जैसी विशेषता), वीचेट पर सार्वजनिक अकाउंट (सार्वजनिक, निजी या कंपनी अकाउंट जो कहानियां प्रकाशित करते हैं) से लेख पढ़ने, एक टैक्सी बुलाने, मूवी टिकट बुक करने और एक क्लिक के साथ बिलों को भुगतान करने में इस्तेमाल पर निर्भर है। यह ऐप, जिसके 1 बिलियन उपयोगकर्ता हैं, इसकी चीन की सरकार के लिए व्यापक स्तर पर निगरानी कार्यकरने की भी रिपोर्ट की गई है। रिर्पोटिंग सिफारिशें: वीचैट दुनियाभर में चीनी प्रवासियों के बीच लोकप्रिय है, इसलिए यदि आपकी बीट में प्रवासी शामिल है तो यह समझना महत्वपूण्र है कि ऐप कैसे कार्य करता है और सूचना का आदान-प्रदान कैसे होता है।


विभाजनकारी मुद्दा

ये विवादास्पद विषय हैं जिनका लोग ध्यान रखते हैं, और उनकी भावनाएं मज़बूत होती हैं। दुष्प्रचार एक जोरदार भावनात्मक प्रतिक्रिया पैदा करने के लिए डिजाइन किए जाते हैं ताकि लोग इसे साझा करें— गुस्से, डर, हास्य, निराशा, प्यार या मानवीय भावनाओं की पूरी में सीमा में किसी भी कारण से करें। इन विषयों पर उच्च भावनात्मक अस्थिरता उन्हें दुष्प्रचार एजेंटों के लिए लोगों द्वारा दोबारा सोचे बगैर सूचना को साझा करने में इस्तेमाल होने वाला आसान लक्ष्य बना देती है। उदाहरण के लिए राजनीति, नीति, पर्यावरण, शर्णार्थी, प्रवासी, भ्रष्टाचार, नौकरियां, महिलाओं के अधिकार आदि।


व्हाट्सैप

अनुमानित 1.6 बिलियन उपयोगकर्ताओं, के साथ व्हाट्सैप सबसे लोकप्रिय मैसेजिंग ऐप है, और Facebook (2.23 बिलियन) और यूट्युब (1.9 बिलियन)सक्रिय मासिक उपयोगकर्ताओं के साथ तीसरा-सबसे-लोकप्रिय सोशल प्लेटफार्म है। व्हाट्सैप को 2009 में लांच किया गया था और Facebook ने इस ऐप का फरवरी 2014 में अधिग्रहण कर लिया। 2016 में एक सिरे से दूसरे तक एनक्रिप्शन जोड़ा गया, परंतु मई 2019, में डेटा उल्लंघन हुए जिसने निजता सुरक्षा के बारे में  उपभोक्ताओं को चिंतित कर दिया। First Draft पहला NGO था जिसकी प्लेटफार्म तक API पहुँच हुई जो हमारे ब्राजील के चुनाव प्रोजेक्ट Comprovaके साथ है। विशेष पहुँच के साथ भी यह जानना मुश्किल है कि दुष्प्रचार कहां से आरंभ हुआ और यह आगे कहां तक जाएगा।


ज़ीरो-रेटिंग

Telecoms ने U.S. और बहुत सी पश्चिमी दुनिया के देशों में फोन, टेक्स्ट, और डेटा को, सापेक्ष रूप से कम-कीमत के प्लान में एक बंडल में बांध दिया है। दक्षिणी अमेरिका, अफ्रीका, और एशिया-प्रशांत के क्षेत्र इनमें से प्रत्येक सुविधा के लिए अलग भुगतान करते हैं। प्लेटफ़ॉर्मों, सबसे बढ़कर Facebook ने इन क्षेत्रों में मोबाइल कैरियर के साथ “जीरो-रेटिंग” के लिए बातचीत की है जो इसके प्लेटफार्मों – Facebook, Facebook मैसेंजर, इंस्टाग्राम और व्हाट्सैप को डेटा प्लान के बाहर उपयोग करने की अनुमति देता है। ये ऐप, जब “जीरो-रेटिंग” पर बातचीत की गई है, मुफ्त इस्तेमाल के लिए हैं। उपयोगकर्ताओं के लिए इस प्लान के साथ सबसे बड़ा मुद्दा यह है कि Facebook इंटरनेट है; “प्लेटफार्म पर” बने रहने के प्रोत्साहन बहुत ऊंचे हैं। बहुत से लोग समाचार साइटों से लेखों को पूरी तरह व्हाट्सैप में कॉपी-और-पेस्ट करते हैं, और प्लेटफार्म से बाहर इस सूचना की फैक्ट चेक (तथ्यों की जांच) के लिए डेटा की आवश्यकता होती है।

 

अध्ययन सूची और स्रोत

अवलोकन

निगरानी

सत्यापन

रिपोर्टिंग

 

पाठ्यक्रम नोट्स

30 Covering Coronavirus - Handbook_V2GL

 

धन्यवाद

यह कोर्स क्लेयर वार्डेल, लॉरा गार्सिया तथा पॉल डॉयल ने तैयार किया है। इसकी संकल्पना हमारे प्रबन्ध निदेशक जेनी सर्जेन्ट ने की थी।

 First Draft टीम के सदस्यों को बहुत-बहुत धन्यवाद। लोग इस उद्देश्य के लिए आगे आए, यहां तक कि वे अपने बाथरूम में जाकर कंबल ओढ़कर वॉयसओवर रिकॉर्ड किए, सप्ताहांत में काफी लम्बे समय तक काम किए, तथा/अथवा कोर्स से सम्बन्धित इन मांगों को दूसरे महत्वपूर्ण कार्यों से अधिक वरीयता दिए। योगदानकर्ताओं में शामिल हैं जैकलिन मैसन, एन्नी क्रुगर, अक्षता राव, एलस्टेयर रीड, जैक सर्जेन्ट, डॉयरा जे टॉउन्स, शेडनी अरबैनी, एवं मैडलिन वेब। इसके अलावा हमने विक्टोरिया क्वान, लाइडिया मॉरिश, तथा एमी राइनहार्ट के पिछले शानदार कार्यों का भी इसमें पुन: उपयोग किया है।

महामारी वैश्विक है और इसलिए इस पाठ्यक्रम को कई भाषाओं में उपलब्ध कराना हमेशा ही एक प्राथमिकता थी। बहुभाषी पत्रकारों की हमारी अद्भुत टीम को धन्यवाद, जिन्होंने First Draft की एम्मा डॉबिन्सन के नेतृत्व में कई भाषाओं में अनुवाद की समीक्षा करने में मदद की: पेड्रो नोएल (पुर्तगाली – ब्राजीलियन), कार्लोट्टा डोट्टो (इटालियन), मैरी बोहनेर (फ्रेंच), लौरा गार्सिया (स्पेनिश), जीएनएल बर्लिन से नादिन राबा (जर्मन) और डेटालीड्स से राज वर्दराजन

(हिंदी)। इसके अलावा हम शानदार डिजाइन एवं कॉपीराइटिंग टीम को भी धन्यवाद देना चाहते हैं, जिन्होंने हमें यह कोर्स तैयार करने में सहायता की: मैनी धांधा, जेनी फोगार्टी, तथा मैट राइट।

एक संस्थापक पार्टनर के रूप में, Google News Initiative दुनिया भर में First Draft के कार्य को सपोर्ट करता है। हम अपने सभी वित्त-पोषकों को उनके सतत् समर्थन के लिए हार्दिक आभार व्यक्त करते हैं।

इस पाठ्यक्रम का मूल संस्करण 2 अप्रैल, 2020 को अंग्रेजी में लॉन्च किया गया था। सभी

कोर्स उदाहरण और उपयोग किए गए उपकरण प्रासंगिक थे और इस तिथि पर उपलब्ध थे।

हिंदी में इस संस्करण का अनुवाद Global Lingo द्वारा किया गया है और

First Draft टीम के सदस्यों द्वारा सटीकता के लिए उसकी समीक्षा की गई है। इस अनूदित संस्करण को जून 2020 में लॉन्च किया गया था।